भारत नेपाल के बीच चर्चा में आये काली नदी विवाद को आसान भाषा मे समझा रहे है- भगवान सिंह धामी ।।web news ।।

Bharat-nepal

क्या है काली नदी विवाद इसे समझते है।

सबसे पहले तो इतिहास को देखते हैं जिससे हमें मालूम पड़ता है कि वर्तमान पश्चिमी नेपाल जोकि बाइसी और चौबीसी राज्य क्षेत्र में सम्मिलित है। पूर्व में नेपाल का हिस्सा नहीं था, डोटी और जुमला स्वतन्त्र राज्य थे जैसे उत्तराखण्ड में पँवार और चंद राज्य थे।

चौबीसी जो कि 24 ठकुराइयों में बंटा था इसमें ही एक ठकुराई थी कास्की जिसके अधीन गोरखा राज्य था, जो गुरु गोरखनाथ पर गोरखा कहलाया था। पूर्व में गोरखा केवल एक राज्य था वर्तमान में एक जनपद है।

सीधे विवाद में आते है इतिहास में ज्यादा न पड़ते हुए।

1815-16 में अंग्रेजों और नेपाल के मध्य सिगौली की संधि हुई जिसमें पारस्परिक सम्प्रभुता के साथ ही काली नदी भारत-नेपाल के मध्य सीमा घोषित की गई। हालांकि गोरखों द्वारा डोटी जीतने से पूर्व तक सुदूर पश्चिमी अंचल कभी भी नेपाल का अंग नहीं था। इस संधि से सुदूर पश्चिमी क्षेत्र नेपाल का अंग बन गया। 1817 में असंतुष्ट नेपाल ने सीमांकन दुबारा करवाया तब दो गाँव #छांगरु और #तिंकर नेपाल को दे दिए गए। (नीचे नजरिया मानचित्र में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं)

मानसखण्ड के अनुसार काली नदी के उद्गम कालापानी से होता है। और यह बात सर्वबिदित भी है। कालापानी नामक स्थान पर पानी हालांकि कम मात्रा में है पर उसके कारण ही काली का जल काले रंग का होता है।

अब नेपाल अभी जो मांग रख रहा है वह ये है कि बड़े जलस्रोत को काली नदी माना जाना चाहिए और बड़ा जलस्रोत काली नदी के लिए गूंजी गांव में काली में मिलने वाली कुटी नदी है, जिसे स्थानीय लोग कुटी यांगटी कहते हैं।

यह बात प्रत्येक नेपाली और भारतीय स्थानीय नागरिक जानते हैं कि काली नदी कौन सी है और कुटी यांगती कौन सी है।

बहरहाल नेपाल का यह तर्क मान भी लिया जाये कि बड़ा जलस्रोत ही मान्य होगा तो सवाल सभी उन लोगों से हैं जो गंगा और अलकनंदा को जानते हैं सही मायने में अलकनंदा नदी बड़ी है आकार में जल धारण क्षमता में तो क्या भागीरथी नदी को गंगा न मानकर अलकनंदा नदी को गंगा कहा जाना उचित होगा.?

ये बेतुका तर्क नेपाल सरकार द्वारा दिया जा रहा है, लेख लम्बा करने का कोई अभिप्राय नहीं है। आप लोग नीचे दिए गए मैप के माध्यम से विवाद और नेपाल की मानसिकता को आसानी से समझ सकते हैं।

Map
Map- Pan Singh Dhami



◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆


लेखक - भगवान सिंह धामी
परिचय - सीमांत धारचूला (पिथौरागढ़) स्यांकुरी गांव के भगवान सिंह धामी  वर्तमान में उत्तराखंड सचिवालय में कार्यरत, युवा इतिहास के जानकार, उत्तराखण्ड ज्ञानकोष General Study के एडमिन , उत्तराखण्ड ज्ञानकोष जनपद दर्पण के लेखक, इनफार्मेशन ब्लॉगर
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

अन्य आर्टिकल-

जन्मदिवस विशेष: अमर हुतात्मा श्रीदेव सुमन ने टिहरी रियासत को राजशाही के बेड़ियों से मुक्ति दिलायी- विनय तिवारी ।।web news ।।




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएनबी आरसेटी ने डोईवाला ब्लाक के ग्राम रेशम माजरी में स्वरोजगार प्रशिक्षण का किया शुभारंभ ।।web news।।

USERC News : जल संरक्षण, जल गुणवत्ता एवम् स्वास्थ्य स्वच्छता विषय पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ।।Web News।।

Junyali : उत्तराखंड की पहली म्यूजिकल गुड़िया जुन्याली , जाने जुन्याली की पूरी कहानी ।।web news।।

#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून : सोशल मीडिया से उतर कर सड़कों पर आ रहे है युवा ।।web news।।

Pahadi product : दिवाली धमाका पहाड़ी उत्पाद स्यारा बटै त्यारा घौर, पढे पूरी खबर ।।web news।।

'Arth' Video Series : पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को वीडियो सीरीज से बता रहे है पर्यावरणविद् डॉ अनिल प्रकाश जोशी, वीडियो सीरीज की पूरी जानकारी पढे ।।web news।।

Independence Day : माटी, देहारादून के प्रांगण में 74वाँ स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया, ।।web news।।

Pahadi Product : मडुवे के रसगुल्लों से दिवाली में पहाड़ी रस्याण , पढे हिदेश ट्रस्ट की अनोखी पहल ।। web news uttrakahnd ।।

चर्चा में है : भगवान सिंह धामी का कुमाउँनी कार्ड पढे पूरी खबर।।web news।।

जन जागरण अभियान समिति ने हरेला पर्व के अवसर पर बेबिनार का आयोजन किया ।।web news।।