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World Environment Day : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं सामाजिक संस्थाओं ने पेंटिंग प्रतियोगिता और वृक्षारोपण कार्यक्रम किए ।।Web News।।

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विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर DLSA ,जिला समाज कल्याण विभाग व सामाजिक संगठनों ने विभिन्न कार्यक्रमों का किया आयोजन देहरादून आज पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला समाज कल्याण विभाग देहरादून व सामाजिक संस्थाओं ने सिंगल मंडी कुसुम बिहार की बस्ती में बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता कराई गई । बच्चों को पर्यावरण का महत्व समझाया गया साथ ही वृक्षारोपण के माध्यम से बच्चों को पौधे लगाने के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान बच्चों ने पौधारोपण के साथ सुंदर सुंदर पेंटिंग्स भी बनाई। कुछ बच्चे जो नशे में लिप्त थे उनकी काउंसलिंग करके नशा न करने और नशे से बचने के तरीके भी बताए गए।आज के इस कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से समीना सिद्दीकी, विमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट फाउंडेशन से मानसी मिश्रा, मैक संस्था से जहांगीर आलम, गगन फाउंडेशन से वैजयंती माला आदि लोग उपस्थित रहे। देखे वीडियो, पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का जीवन परिचय यह भी पढे  : ◆ कोरोना काल में घर बैठे ऑनलाइन करे 'सुकन्या समृद्धि' बचत योजना से बेटियों का भविष्य सुरक्षित  । ◆ Wo

World Environment Day : यूसर्क ने उत्तराखंड में जल सुरक्षा एवं जलसंरक्षण पर केंद्रित पर्यावरणीय समाधान' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया ।।web news।।

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विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यूसर्क नेपर्यावरणीय समाधान' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन आज विश्व पर्यावरण दिवस 2021 के अवसर पर उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क), देहरादून द्वारा ऑनलाइन माध्यम से संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष निर्धारित की गई थीम "ईकोलॉजिकल रेस्टोरेशन" के अंतर्गत "उत्तराखंड में जल सुरक्षा एवं जलसंरक्षण पर केंद्रित पर्यावरणीय समाधान' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन करने हुये यूसर्क के वैज्ञानिक डा० ओम प्रकाश नौटियाल ने किया। कार्यक्रम में यूसर्क की निदेशक प्रो० (डा०) अनीता रावत ने कहा कि पांचों तत्वों के शुद्धिकरण एवं पुनर्जीवन पर केंद्रित एप्रोच के माध्यमों से एक जल तत्व को केंद्रित करते हुए आज का कार्यक्रम "एनवायर्नमेंटल सोलूशन्स फोकसिंग ऑन वाटर प्रोटेक्शन एंड कंजर्वेशन इन उत्तराखंड" विषय पर आयोजित किया गया ।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विख्यात पर्यावरणविद एवं पाणी राखो आंदोलन के प्रणेता सचिदानंद भारती द्वारा मुख्य व्याख

पर्यावरण समाचार : पर्यावरण प्रेमी चंदन सिंह नयाल का हरित वन क्रान्ति से जुड़ने का आह्वान ।।web news।।

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घर घर की एक ही आवाज, हरित वन क्रांति की शुरुआत - चंदन सिंह नयाल जहां एक ओर लगातार जंगल खत्म होते जा रहे हैं और दूसरी ओर जंगलों से उत्पन्न होने वाले जल स्रोत भी धीरे-धीरे समाप्त होने के कगार पर हैं इस स्थिती को देखते हुए चन्दन सिंह नयाल एक हरित वन क्रांति को गति देने का प्रयास कर रहे हैं जैसा किस शब्द से ही प्रतीत होता है हरित वन अर्थात हरे-भरे वन हमें पुनः से अपने वनों को हरा भरा करना है जिसके लिए इस क्रांति को प्रत्येक व्यक्ति द्वारा शुरू करना पड़ेगा जिस प्रकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति का जन्म हुआ उसी प्रकार लगातार पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए जंगलों के अंधाधुन कटान को देखते हुए और जल स्रोतों को सूखते देखते हुए हरित वन क्रांति शुरू होने जा रही है हम आज नहीं जागे तो समय हमारे लिए नहीं रुकेगा प्रत्येक घर से प्रत्येक व्यक्ति की इस क्रांति में भागीदारी होनी चाहिए क्योंकि जल जंगल जमीन हम सब की जरूरत है । हरित वन क्रान्ति के मुख्य उद्देश्य ◆ चौडी पत्ती के जंगलों को संरक्षित करना ◆चौडी पत्ती के पौधों का पौधा रोपण करना  ◆फलदार पौधे लगाकर रोजगार उत्पन्न करना ◆जल स्त्रोतों का सं

USERC News : जल संरक्षण, जल गुणवत्ता एवम् स्वास्थ्य स्वच्छता विषय पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ।।Web News।।

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दो दिवसीय जल संरक्षण, जल गुणवत्ता एवम् स्वास्थ्य स्वच्छता विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लोहाघाट में प्रारंभ आज उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवम् अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवम् सतत् विकास संस्थान कोसी कटार मल अल्मोड़ा के सहयोग से जल" संरक्षण, जल गुणवत्ता एवम् स्वास्थ्य स्वच्छता" विषय पर स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जंतु विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में प्रारंभ दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ।  कार्यक्रम के मुख्य अन्वेषक एवं यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा ने पर्वतीय जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन की विभिन्न विधियों को विस्तार से बताया जिसमें रिचार्ज पिट बनाना, रिचार्ज साफ्ट बनाना, रिचार्ज ट्रेंच बनाना,बुश चेक डैम बनाना, परकोलेशन टैंक, वर्षा जल संरक्षण तथा वर्षा जल संरक्षण में महिलाओं का योगदान व विद्यार्थी गतिविधि पर विस्तार से बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ संगीता गुप्ता ने पानी को बचाने का आवाहन

World Wetland Day : माटी संस्था व भारतीय प्राणी सर्वेक्षण देहारादून ने “पक्षी विहार दर्शन” कार्यक्रम का आयोजन किया ।। web news ।।

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विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर माटी संस्था व भारतीय प्राणी सर्वेक्षण देहारादून के संयुक्त प्रयास से “पक्षी विहार दर्शन” कार्यक्रम का आयोजन । 2 फरवरी को “विश्व आर्द्रभूमि दिवस” (World Wetland Day) मनाया जाता है । इस वर्ष “विश्व आर्द्रभूमि दिवस” की थीम “आर्द्रभूमि (वेटलेंड) और जीवन” निर्धारित की गयी है। यह दिन वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने, उसे बढ़ावा देने तथा सम्पूर्ण मानव जाति के लिये आर्द्रभूमि (वेटलैंड) की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताने के लिए आयोजित किया जाता है। वेटलैंड का मतलब होता है नमी या दलदली क्षेत्र अथवा पानी से संतृप्त भूभाग से है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो सालभर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है। भारत में वेटलैंड ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है। वेटलैंड के बहुत से लाभ है। जैविक रूप से विविध पारिस्थितिक तंत्र जो कई प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करना, तूफान और बाढ़ के खिलाफ तट पर बफ़र्स के रूप में सेवा करना, पानी की गुणवत्ता में सुधार करने, बाढ़ के पानी को स्टोर करने

International mountain day : : यूसर्क ने वेबिनार के माध्यम से दिया हिमालयी जैवविविधता संरक्षण का संदेश , पढे पूरी खबर ।।web News।।

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अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के अवसर पर यूसर्क ने ‘पर्वतीय जैवविविधता’ विषय पर वेबीनार का आयोजन  उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) ने आज ‘अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ के अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये यूसर्क के निदेशक प्रो0 एम.पी.एस. बिष्ट ने बताया कि इस वर्ष ‘अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ को ‘पर्वतीय जैवविविधता’ विषयक थीम को लेकर मनाया जा रहा है। प्रो0 बिष्ट ने हिमालयी जैवविविधता के संरक्षण हेतु सभी युवाओं को आगे आ कर कार्य करने का आवाहन किया। उन्होंने बताया कि यूसर्क द्वारा विज्ञान शिक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण विषयक कार्य को किया जा रहा है। राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार कीे महत्वपूर्ण परियोजना जैसे कि जलशक्ति मिशन, स्वच्छता अभियान, जलसा्रेत पुर्नजीविकरण तथा अन्य पर्यावरण एवं विज्ञान से सम्बन्धित कार्यक्रमों का लाभ आम जनमानस तक पहुंचाने के लिये यूसर्क कार्य करेगा। उन्होंने कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जनपदों से जुड़े छात्र-छात्राओं को शोध एवं अनुसंधान के माध्यम से उत्तराखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों में विद्यमान पलायन, पर्यावरण, कृषि,

Positive Web : उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष की बेटी ने सगाई में पर्यावरण संरक्षण का दिया सन्देश , पढे खबर ।।web news।।

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उत्तराखण्ड विधना सभा अध्यक्ष की बेटी की यादगारपूर्ण सगाई की विशेष रिपोर्ट उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की पुत्री निमिका अग्रवाल का सगाई समारोह आज देहरादून में संपन्न हुआ। समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल, देशभर के विभिन्न विधानसभाओं के अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री ,सांसद, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, मंत्री एवं विधायक आदि शामिल हुए। सभी आतिथियों ने नवदंपति को अपना आशीर्वाद लिया । कोरोना संक्रमण के चलते सरकार के दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए विधानसभा अध्यक्ष की सुपुत्री के सगाई समारोह में सीमित अतिथियों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान सभी अतिथि सेनीटाइज होकर समारोह स्थल पर पहुंचे।  विधान सभा अध्यक्ष की बेटी ने सगाई में निभाई पर्यावरण संरक्षण की रस्म सगाई को यादगार और संदेश पूर्ण बनाने के लिए नव दम्पति ने परिसर में पौधारोपण किया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल हमेशा पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग रहते है समय समय पर पर्यावरण के प्रति आम नागरिक की जिम्मेदारी निभाने के संदेश देते रहते है उनका मानना है कि हर धार्मिक अनुष्ठान एवं पावन पर्व के अवसर पर पौधारोपण अवश्य करना चाहिए।

हिमालय दिवस : नौबत ढोल बजा कर सामाजिक संगठनों ने सरकार से किया हिमालय के वाशिंदों को बचाने का किया आग्रह ।।web news।।

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देहरादून।। हिमालय दिवस के अवसर पर जाड़ी संस्था के संस्थापक द्वारिका प्रसाद सेमवाल के नेतृत्व मे गाँधी पार्क देहरादून मे बीज बम अभियान, सामाजिक विकास अनुसंधान एवं परिवर्तन सोसायटी, आगाज फेडरेशन व उत्तराखंड समता अभियान के कार्यकर्ताओ ने दिन 11 बजे से 1 बजे तक नौबत ढोल बजा कर जनगीत गा करसरकार से हिमालय व हिमालय के वाशिंदो को बचाने का आग्रह किया । हिलामय दिवस के अवसर पर सरकार से सामाजिक संगठनों की हिमालय के वाशिंदों को बचाने की मांगें ◆ राज्य में वन कानून 2006 को शीघ्र लागू किया जाय ◆मानव एवं वन्य जीवों के बीच बढ़ रहे संघर्ष को कम करने के लिए बीज बम अभियान को अनिवार्य रूप से लागू किया जाय ◆ वन एवं वन्यजीवो की सुरक्षा के प्रभावी उपाय किये जाय। ◆वनों पर स्थानीय लोगों के हक- हकूक को बरकरार रखा जाय एवं यहाँ के वाशिन्दों को हिमालय संरक्षक का दर्जा मिले। ◆प्रवासी नागरिकों के रोजगार एवं पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाय। ◆उत्तराखण्ड के समस्त स्कूलो जिनमे मिड दे मील बनता है वह पर सप्ताह के एक दिन आवश्यक रूप से गढ़ भोज शामिल किया जाय । ◆ चार धाम सड़क परियोजना से हुए पर्यावरण के नुकसान

हिमालय दिवस :सामूहिक प्रयत्नों से ही हिमालय की रक्षा संभव है-डॉ० अनिल प्रकाश जोशी ।।web news।।

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हिमालय दिवस की तैयारी में डॉ० अनिल प्रकाश जोशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस डॉ० अनिल प्रकाश जोशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा जीवन और अर्थव्यवस्था के परिग्रह के परिणामस्वरूप ही विश्व पर कोविड -19 महामारी की मार पड़ी है। मानव इतिहास में अब तक की सबसे खराब इस महामारी में पूरे विश्व को पंगु बना दिया है और हर तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी। हमेशा की तरह इस बार भी दुनिया भर में प्रकृति की बिगड़ते हालातों पर केवल बहस ही हुई है इसी बीच सोशल मीडिया पर प्रकृति के सुधार हालातों से संबंधित विभिन्न खबरें भी वायरल हुई। कहीं ना कहीं हमें ये तो पता है कि हमने प्रकृति के साथ जो भी ज्यातियां की हैं कोरोना उसी का नतीजा है। हम इस तथ्य को समझने में पूरी तरह असफल रहे हैं कि आखिरकार दो प्रकृति ही है जो हमारे भाग्य को निर्धास्ति करती है और अगर हम अपनी सीमाओं को पार करेंगे तो प्रकृति ही उसका हिसाब करेगी। इस दौरान खासतौर से जब कोविड 19 एक असाधारण वैश्विक आपदा बन कर उभरा तय प्रकृति ने आम जनमानस का ध्यान खींचा। ये भी सच है कि मनुष्य ने अपने लालम व विलासिताओं के लिये प्रकृति का दोहन करने की सारी सीमाओं को पार कर दिया ह

पर्यावरण संरक्षण : हमारी आवश्यता हमारे जंगल,जल, जमीन है - चन्दन सिंह नयाल ।।web news।।

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प्रकृति प्रेमी चन्दन सिंह नयाल की प्रकृति संरक्षण यात्रा ।। शुरुआती दौर में आज से चार पांच साल पूर्व मेरे गांव में सड़क भी नहीं थी लगभग 3 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था तो उस वक्त मैं मेरे परिवार वाले मेरे युवा सहयोगी सड़क से गांव तक पेड़ों को अपने सर में ले जाकर अपने क्षेत्र में पौधारोपण करते थे और कई जगह कई गांव में हमने कंधों पर पौधे ले जाकर पौधारोपण भी किया कई जल स्रोतों पर भी हम लोगों ने चौड़ी पत्ती का पौधा रोपण किया एक जोश जुनून के साथ अभी भी यह कार्य निरंतर प्रगति पर है । पहाड़ की जिंदगी सब समझते हैं पहाड़ के रास्ते पहाड़ के स्कूल, नैनीताल जिले की कई दूरस्थ स्कूलों में जाकर बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की जानकारी देने का कार्य भी निरंतर जारी है जिसमें अभी तक 251 से अधिक विद्यालयों में जाकर बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की जानकारी दी, कई विद्यालयों में कई कई किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है धूप हो या छांव हो निकल पड़ता था, प्रकृति से अमिट प्रेम ने सब कुछ भुला दिया बस यही समझा दिया की प्रकृति ही जीवन है जिसके लिए निरंतर प्रयास जारी है गांव के लोगों में जागरूकता धीरे-धीरे आने लगी

'Arth' Video Series : पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को वीडियो सीरीज से बता रहे है पर्यावरणविद् डॉ अनिल प्रकाश जोशी, वीडियो सीरीज की पूरी जानकारी पढे ।।web news।।

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डॉ अनिल प्रकाश जोशी की "अर्थ" वीडियो सीरीज से आसान भाषा में समझिए पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को पदम भूषण व पर्यावरणविद् डॉ अनिल प्रकाश जोशी पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को वीडियो सीरीज के माध्यम से जानकारी दे रहे है, अभी तक अर्थ वीडियो सीरीज के दो भाग प्रसारित किए गए है , अर्थ वीडियो सीरीज के सभी भाग यू ट्यूब चैनल और प्रसारित किए जाएंगे । डॉ अनिल प्रकाश जोशी द्वारा प्रसारित अर्थ वीडियो सीरीज देखने के लिए यू ट्यूब चैनल से जुड़ें । यू ट्यूब चैनल का लिंक -  Dr Anilprkash Joshi Hesco अर्थ वीडियो सीरीज पार्ट -1 अर्थ वीडियो सीरीज के पार्ट -1 में अर्थवेद के मंत्र माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या के आधार पर वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को समझाया गया है । पृथ्वी की उत्पति जानने के लिए ....जुड़िए डॉ अनिल प्रकाश जोशी से और सुनिए उनकी जुबानी..अर्थ वीडियो सीरीज पार्ट -1 में अर्थ वीडियो सीरीज पार्ट -2 जले विष्णु थले विष्णु.... जल और थल दोनों में विष्णु का वास है, दोनों ही जीवन को पनपाते हैं,अर्थ वीडियो सीरीज का पार्ट -

लोकपर्व हरेला : पर्यावरण संरक्षण का स्वयं सिद्ध पर्व है हरेला - संदीप ढौंडियाल, ।। Web News।।

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हमारे पूर्वजों की पर्यावरण संरक्षण के प्रति दूरदर्शिता दर्शाता है उत्तराखण्डी लोकपर्व हरेला ।। आज पूरा विश्व समुदाय पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंतन कर रहा है। साथ ही कई तरह के दिवसों के माध्यम से भी जन - जागरूकता चलाई जा रही है। एक ओर जल संरक्षण से लेकर वायु, मिट्टी और पर्यावरण संरक्षण के लिए वर्ष भर कई दिवसों के माध्यम से करोड़ों रुपए के कार्यक्रम  आयोजित किए जाते रहे हैं। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समय की मांग के हिसाब से एक ओर जरूर प्रकृति संरक्षण पर बल दिए जाने की बात कई फोरम पर उठती हैं। लेकिन प्रकृति संरक्षण को लेकर वास्तव में हमारे पूर्वज कितने सजग थे और उनकी कितनी दूरदर्शी सोच थी। यह हमारे पर्व त्योहारों और संस्कृति में आसानी से समझा जा सकता है। जिसकी एक बानगी झलकती है हमारे उत्तराखंडी पर्व हरेला में। हरेला का सीधा शाब्दिक अर्थ ही हरियाली है। हरियाली यानी प्रकृति का रूप। हरेला पर्व श्रावण माह के पहले दिन मनाया जाता है। जिसमें वृक्षारोपण के साथ ही कुछ पारंपरिक तौर तरीके से प्रकृति की पूजा और अनुष्ठान किया जाता है। अगर गौर किया जाए तो प्राकृतिक रूप से भी  वृक्षारो

Environment Day :पहाड़ का बदलता पर्यावरण और हाशिये पर पहाड़ी - सुमित बहुगुणा ।। Web news Uttrakahnd ।।

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पर्यावरण दिवस विशेष इस लेख में पहाड़ों में हो रहे बदलावों को पहाडी की नजरों से देखते है । उत्तराखंड जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय बदलावों से हो रहे नुकसान का असर देखा जा सकता है उत्तराखंड की राजधानी देहरादून व अन्य मैदानी शहर वायु प्रदूषण के घेरे में तो पहले ही आ चुके हैं । किंतु आज चिंता यह है कि पहाड़ों में विकास के नाम पर हो रहे अंधाधुंध निर्माण कार्यो व पहाड़ी प्राकृतिक सम्पदाओं के निरंतर दोहन से ,वायु प्रदूषण जैसी गंभीर  समस्या ने पहाड़ों में भी जन्म ले लिया है । पहाड़ों में आज विभिन्न बांध परियोजनाओं के साथ बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्यों ने हालात को और चिंताजनक बना दिया है । 2013 की केदारनाथ आपदा से तबाह संपूर्ण केदार घाटी में पुनर्निर्माण के कार्य जिस तेजी से गति पकड़ रहे हैं वह मनुष्यों का केदार घाटी पहुंचना सुगम कर देंगे परन्तु तेजी से हो रहा पर्यावरणीय नुकसान किसी आपदा से कम नहीं । विकास कार्यो को हमे SDG यानी सतत विकास के लक्ष्यों के आधार पर ही करना चाहिए । अंग्रेजों ने अपने समय में मसूरी, नैनीताल जैसे पहाड़ी कस्बे स्वच्छ पर्यावरण को देख कर बसाए ,साथ ही द

Biodiversity Day Special : जैव विविधता का असंतुलन है केदारनाथ जैसी त्रासदी - संदीप ढौंडियाल ।। web news uttrakhand ।।

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अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर विशेष जैव विविधता अर्थात जीवों के अनेक प्रकार या कह सकते हैं जीवन के अनेक रूप। प्रकृति में मौजूद वनस्पति से लेकर सभी जीव जंतुओं की संतुलित मौजूदगी पर चिंता ने ही जैव विविधता दिवस की परिकल्पना की। निरंतर होते जा रहे प्रकृति के दोहन ने आज पूरे विश्व को इस ओर ध्यान आकर्षित कर सोचने पर मजबूर किया है। इन्हीं तमाम चिंताओं को लेकर विश्व समुदाय ने 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। प्रत्येक वर्ष एक नए विषय पर पूरे विश्व भर में चिंतन और मनन होता है। साथ ही उस पर तमाम देश अच्छे सुझाव को लेकर जैव विविधता के संरक्षण के कार्य को अंगीकार करते हैं। सही मायने में प्रकृति जैसे - हवा, पानी, पेड़, वनस्पति सहित वन्य जीव जंतु का मानव से सीधा जुड़ाव ही जैव विविधता है। प्रकृति या पर्यावरण का असंतुलित हो जाना ही कारण बनता है प्राकृतिक उथल - पुथल का। जिसके फिर भयंकर परिणाम सामने आते हैं। जैसे बाढ़, चक्रवात, तूफान और भूकंप जैसी अप्रिय घटनाओं का होना। इन सब को देखते हुए मानव सभ्यता को बचाने के लिए जरूरी हो जाता ह