स्वरोजगार समाचार : ऐपण को रोजगार से जोड़ने के लिए ऐपण गर्ल' की ऐपण कार्यशाला ।।web news।।
अल्मोड़ा के चितई गांव में ऐपण कार्यशाला के समापन पर 15 ग्रामीणों को आवंटित किए प्रशस्ति पत्र।
कुमाऊं की लोककला 'ऐपण' को नयी पहचान दे रहीं, मेहलखण्ड रानीखेत में जन्मी ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती और पिथौरागढ़ से ऐपण कलाकार प्रियंका नें सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के चितई गांव में लोगों को ऐपण का 6 दिवसीय प्रशिक्षण दिया। यह प्रशिक्षण कार्यशाला Minakriti - The Aipan Project की संस्थापक ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती के नेतृत्व में उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर लोककला ऐपण के जरिये महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार से जोडने की मुहिम के अंतर्गत अयोजित किया गया । जिसमें 50 से अधिक ग्रामीणों जिनमें स्थानीय छात्र-छात्राओं और महिलाओं नें बढ़-चढकर प्रतिभाग किया।ऐपण कार्यशाला में ग्रामीणों नें शुरुआती बेलें जिनमें हिमाचल बेल , सिंघालिया बेल , मछिया लहर बेल और गेरू बिस्वार से घर की देहलियों पर वसोधरा ऐपण दिए साथ ही पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए विशेष रूप से लक्ष्मी चौकी और सरस्वती चौकी को बारीकी से बनाना सीखाया गया ।
ऐपण कार्यशाला में सुहाना, अनीता, अभय, अंजली, आरती आर्या, शिखा, आकृति, काजल और पूजा को मिलाकर 15 प्रतिभागियों को मीनाकृति : द ऐपण प्रोजेक्ट के अंतर्गत इस 'लोककला ऐपण संरक्षण कार्यक्रम' में प्रशस्ति पत्र भेंट किये गये।
मिनाकृति प्रोजेक्ट के अंतर्गत 5 वर्षों 5 हजार से अधिक लोगों को ऐपण से जोड़ा गया
ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती विगत 5 वर्षों 5 हजार से भी ज्यादा लोगों को ऐपण का प्रशिक्षण और 200 से अधिक लोगों को ऐपण कार्य से जोड़ते हुए लुप्त होती, कुमाऊं की पौराणिक ऐपण कला को नये कलेवर के रूप में प्रस्तुत किया और इससे रोजगार के अवसरों का सृजन कर पूरे देश में एक नयी पहचान दिलाई है। मीनाक्षी नें कुमाऊं की ऐपण कला को घरों की देहली से देश दुनिया के सामने लाने का अभिनव प्रयास किया है। ऐपण गर्ल की वजह से ही आज कई गुमनाम ऐपण प्रतिभाओं को भी प्रोत्साहन और हौसला मिला है परिणामस्वरूप पूरे प्रदेश से कोने कोने से दर्जनो ऐपण कला के हुनरमंद भी सामने आ रहें हैं। राज्य सरकार भी ऐपण को बढ़ावा और प्रोत्साहित करने की हरसंभव कोशिश कर रही है।यह भी पढे -
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें