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अंतराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तराखंड समाचार : कृपया ध्यान दे ! होली सरकारी फरमान के अनुसार मनाए , जाने होली की गाइडलाइन ।।web news।।

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होली के लिए सरकार ने जारी की गाइडलाइन कोरोना को देखते हुए होली के लिए गाइडलाइन जारी की गयी, गाइडलाइन के अनुसार होलिका दहन कार्यक्रम स्थल की छमता 50% व्यक्तियों के लिए ही अनुमति रहेगी तथा होलिका दहन स्थल पर भीड़ का जमावड़ा नहीं किया जाएगा कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले समस्त व्यक्ति मास्क व समाजिक दूरी के नियम का पालन करेंगे होलिका दहन कार्यक्रम में 60 साल से ऊपर की महिला व पुरुष 10 साल से कम उम्र के बच्चे तथा गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति कार्यक्रम में प्रतिभाग करने से बचें होली मिलन स्थल पर स्थल की क्षमता का 50% अधिकतम 100 से ज्यादा व्यक्ति प्रति भाग नहीं करेंगे समारोह के आयोजकों द्वारा स्थल के प्रवेश पर थर्मल स्कैनिंग सैनिटाइजर आदि व्यवस्थाओं की सुनिश्चित किया जाएगा तथा बुखार जुखाम आदि से पीड़ित व्यक्तियों तथा बिना मास पहने व्यक्तियों का शालीनता के साथ स्थल पर प्रवेश न करने की सलाह दी जाए होली मिलन स्थलों पर शालीनता के साथ होली मनाई जाए किसी प्रकार का हुड़दंग आदि नहीं किया जाएगा सार्वजनिक स्थल पर मदिरापान तेज म्यूजिक लाउडस्पीकर आदि का प्रयोग नहीं किया जाएगा कैंटोनमेंट जोन मैं होली

Biodiversity Day Special : जैव विविधता का असंतुलन है केदारनाथ जैसी त्रासदी - संदीप ढौंडियाल ।। web news uttrakhand ।।

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अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर विशेष जैव विविधता अर्थात जीवों के अनेक प्रकार या कह सकते हैं जीवन के अनेक रूप। प्रकृति में मौजूद वनस्पति से लेकर सभी जीव जंतुओं की संतुलित मौजूदगी पर चिंता ने ही जैव विविधता दिवस की परिकल्पना की। निरंतर होते जा रहे प्रकृति के दोहन ने आज पूरे विश्व को इस ओर ध्यान आकर्षित कर सोचने पर मजबूर किया है। इन्हीं तमाम चिंताओं को लेकर विश्व समुदाय ने 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। प्रत्येक वर्ष एक नए विषय पर पूरे विश्व भर में चिंतन और मनन होता है। साथ ही उस पर तमाम देश अच्छे सुझाव को लेकर जैव विविधता के संरक्षण के कार्य को अंगीकार करते हैं। सही मायने में प्रकृति जैसे - हवा, पानी, पेड़, वनस्पति सहित वन्य जीव जंतु का मानव से सीधा जुड़ाव ही जैव विविधता है। प्रकृति या पर्यावरण का असंतुलित हो जाना ही कारण बनता है प्राकृतिक उथल - पुथल का। जिसके फिर भयंकर परिणाम सामने आते हैं। जैसे बाढ़, चक्रवात, तूफान और भूकंप जैसी अप्रिय घटनाओं का होना। इन सब को देखते हुए मानव सभ्यता को बचाने के लिए जरूरी हो जाता ह