दिनांक 3 अप्रैल से 5 अप्रैल 2025 तक चला प्रशिक्षण सत्र, किसानों को खेती, प्रसंस्करण और विपणन की दी गई जानकारी
सेलाकुई (देहरादून) लखवाड़ कैट योजना के अंतर्गत चकराता वन प्रभाग, कालसी के चयनित किसानों के लिए सगंध पौधा केंद्र (कैप), सेलाकुई में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण श्री अभिमन्यु, भा०व०से०, प्रभागीय वनाधिकारी चकराता के निर्देशन एवं गंगोत्री कौशल विकास एवं उत्थान समिति, देहरादून के सहयोग से आयोजित हुआ।
सगंध पौधों की खेती से बेहतर आमदनी के अवसर
प्रशिक्षण के दौरान कैप के वरिष्ठ तकनीकी सहायक श्री सुनील सिंह बर्त्वाल ने किसानों को सगंध पौधा केंद्र की गतिविधियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि डेमस्क गुलाब, लैमनग्रास, तेजपत्ता जैसी फसलें किसानों को प्रति हेक्टेयर लाखों रुपये की आमदनी दिला सकती हैं।
श्री बर्त्वाल ने किसानों को बताया कि डेमस्क गुलाब की खेती ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों के लिए लाभकारी है। इसका उपयोग इत्र निर्माण में किया जाता है।
लैमनग्रास व तेजपत्ता की खेती से बंजर भूमि को मिलेगा नया जीवन
कैप के विशेषज्ञ श्री शंकर लाल सागर ने बताया कि लैमनग्रास की खेती विशेष रूप से उन खेतों के लिए उपयुक्त है, जो लंबे समय से बंजर पड़े हैं। सिंचित भूमि में लैमनग्रास से दुगनी आमदनी प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंने किसानों को तेजपत्ता की कृषि वानिकी पद्धति से खेती की जानकारी दी, जिससे पत्तियों के साथ-साथ छाल बेचकर भी अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है।
सगंध फसलों की मार्केटिंग और सरकारी योजनाएं
प्रशिक्षण के अंतिम दिन डॉ. चेतन पाटिल ने किसानों को जानकारी दी कि केंद्र व राज्य सरकार सगंध फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं। इसके अंतर्गत 5 नाली तक नि:शुल्क पौधरोपण सामग्री तथा आसवन संयंत्र व सोलर ड्रायर स्थापना पर अनुदान दिया जाता है।
डॉ. आरके यादव एवं अन्य विशेषज्ञों ने किसानों को सगंध फसलों के महत्व, गुणवत्ता नियंत्रण और विपणन संबंधी विस्तृत जानकारी दी।
प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ समापन
समापन सत्र में गंगोत्री कौशल विकास एवं उत्थान समिति के अध्यक्ष श्री रमेश खत्री ने किसानों से सगंध फसलों की खेती को अपनाकर आत्मनिर्भर बनने का आह्वान किया। अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
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