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गणेश चतुर्थी विशेष : स्वाधीनता संग्राम में गणपति की रही विशेष कृपा ।।web news uttarakhand।।

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ब्रिटिश समयकाल में लोग किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम या उत्सव को साथ मिलकर या एक जगह इकट्ठा होकर नहीं मना सकते थे । इसीलिए, लोग घरों में पूजा अर्चना करते थे। स्वाधीनता संग्राम के अग्रदूतों में से एक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया जो आगे चलकर एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में गणेशोत्सव ने लोगों को एक जुट करने में अहम भूमिका निभाई । लोकमान्य तिलक ने उस दौरान गणेशोत्सव को जो स्वरूप दिया उससे गणपति "राष्ट्रीय एकता के प्रतीक" बन गए । उन्होंने पूजा को सार्वजनिक महोत्सव का रूप देते समय उसे केवल धार्मिक कर्मकांड तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि, गणेशोत्सव को आजादी की लड़ाई, छुआछूत दूर करने और समाज को संगठित करने तथा आम आदमी का ज्ञानवर्धन करने का जरिया भी बनाया एवं उसे एक आंदोलन का स्वरूप दिया । इस आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।   वीर सावरकर तथा अन्य क्रांतिकारियों ने भी गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किया , महाराष्ट्र के नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही