USERC News : जल संरक्षण, जल गुणवत्ता एवम् स्वास्थ्य स्वच्छता विषय पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ।।Web News।।
दो दिवसीय जल संरक्षण, जल गुणवत्ता एवम् स्वास्थ्य स्वच्छता विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लोहाघाट में प्रारंभ
आज उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवम् अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवम् सतत् विकास संस्थान कोसी कटार मल अल्मोड़ा के सहयोग से जल" संरक्षण, जल गुणवत्ता एवम् स्वास्थ्य स्वच्छता" विषय पर स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जंतु विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में प्रारंभ दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ।कार्यक्रम के मुख्य अन्वेषक एवं यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा ने पर्वतीय जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन की विभिन्न विधियों को विस्तार से बताया जिसमें रिचार्ज पिट बनाना, रिचार्ज साफ्ट बनाना, रिचार्ज ट्रेंच बनाना,बुश चेक डैम बनाना, परकोलेशन टैंक, वर्षा जल संरक्षण तथा वर्षा जल संरक्षण में महिलाओं का योगदान व विद्यार्थी गतिविधि पर विस्तार से बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ संगीता गुप्ता ने पानी को बचाने का आवाहन किया तथा विद्यार्थियों को आगे आने को कहा । हिमालयन ग्राम विकास समिति गंगोलीहाट के राजेन्द्र बिष्ट ने पर्वतीय जल स्रोतों के पुनर्जीवन कार्य को करने के विभिन्न पहलुओं को बताया । उन्होंने पहाड़ी जल स्रोतों को बचाने के लिए सामूहिक रूप से मिलकर कार्य करने का आवाहन किया।
उत्तराखंड जल संस्थान देहरादून स्थित राज्य स्तरीय जल गुणवत्ता प्रयोग शाला के तकनीकी प्रबंधक डॉ विकास कंडारी एवं भास्कर पंत की टीम ने जल गुणवत्ता जांचने के विभिन्न वैज्ञानिक विधियों को प्रयोगात्मक किट के माध्यम से सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। उपस्थित प्रतिभागियों के सभी प्रश्नों का समाधान भी प्रदान किया गया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ धर्मेंद्र राठौड़ ने जल संरक्षण को आज की आवश्यकता बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मनोज कुमार ने किया । कार्यक्रम में राजदीप जंग, डॉ तौफीक अहमद, डॉ महेश त्रिपाठी, डॉ अनीता सिंह, डॉ विमला देवी, डॉ एस पी सिंह, डॉ रुचिर जोशी, डॉ अनीता खर्कवाल, डॉ नम्रता दयाल व महाविद्यालय के स्टाफ उपस्थित रहे साथ 95 प्रतिभागियों विद्यार्थियों एवं ग्रामीण जनों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया गया।
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