दुखद खबर : उत्तराखंड के वरिष्ठ लोक कलाकार राम रतन काला नही रहे, देखिए उफतारा के मंच पर उनका हास्य वीडियो ।।web news।।
उत्तराखण्ड कला जगत से दुखद खबर लोक कलाकार, वरिष्ठ रंगकर्मी राम रतन काला का बुधवार रात निधन हो गया।
गढ़ लोक संस्कृति की आत्मीयता से परिपूर्ण... आत्मीय सादगी पूर्ण अभिनय करने वाले हीरे को खो दिया, उत्तराखण्ड के वरिष्ठ रंगकर्मी, गीतकार, आकाशवाणी दूरदर्शन कलाकार और अभिनेता राम रतन काला अब हमारे बीच नहीं रहे। कल रात उनका हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। आकाशवाणी नजीबाबाद के ग्राम जगत कार्यक्रम में "रारादा" आखिर किसे याद नहीं होगा ? इस कार्यक्रम में स्टॉक कैरेक्टर में सालों भूमिका निभाने वाले राम रतन काला अब हमारे बीच नहीं रहे। कई गढ़वाली फिल्मों में वे हास्य कलाकार की भूमिका निभाते नजर आए। वे बहुत सहज और ग्रामीण पृष्ठभूमि के कलाकार थे । उत्तराखण्ड के संस्कृति प्रेमी , कला जगत जुड़े व आपको जाने वाले हर एक उत्तराखंड वासी सदैव आपकी जीवंतता का स्मरण कराता रहेगा आप बेहतरीन कलाकार के साथ मनख्यात के भी शिखर थे भावपूर्ण श्रद्धाजंलि ।"मैं तैं ब्योली खुजै द्यावा", "अब खा माछा" आदि उनकी अनेक हास्य प्रस्तुतियां देखने-सुनने वालों को आज भी गुदगुदाती हैं। 1980 के दशक में उनके हास्य गीत "एजी ब्योला बणे दयावा, मैं तैं ब्योली खुजै द्यावा' ने लोकप्रियता के मामले में उस समय के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे । 12 अप्रैल को वह देहरादून में मंच पर नजर आए जब उन्हें उफतारा नें सम्मानित किया। उन्होंने अपने लोक प्रिय गाने से सभागार लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया था । ,गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के एक गाने "नया जमाना का छोरों कनि उठी बोल - तिबारी डिड्याळी मां रॉकम रॉल" में उनके शानदार अभिनय ने गीत को उचाईयों पर पहुँचा दिया था।
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