बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मसिस्टों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया , जाने क्या है मांगें ।।web news।।
कोरोना काल में आयुर्वेदिक बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों को भी मिले मानदेय के साथ सेवा का मौका: डॉ० डी० सी० पसबोला
देहरादून । राज्य के बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर कोरोना काल में सम्बन्धित विभाग में नौकरी दिलाने की मांग की है। बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों ने कहा कि यदि सरकार उन्हें रोजगार देने का निर्णय लेती है तो राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रहे ग्रामीणों को चिकित्सा सेवा का लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही कोरोना महामारी में स्वास्थ्य कर्मियों कमी से भी निजात मिलेगी।राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखंड के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ ० डी० सी० पसबोला ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एवं आयुष मंत्री डॉ० हरक सिंह रावत को ज्ञापन प्रेषित किया है, जिसकी एक प्रति उन्हें भी प्रेषित की गयी है। जिसमें मुख्यमंत्री एवं आयुष मंत्री से राज्य के विभिन्न राजकीय आयुर्वेदिक एवं एलौपैथिक चिकित्सालयों में रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति देने की मांग की गयी है। इसके अलावा आयुर्वेद विश्वविद्यालय, नगर निगम, भारतीय सेना के चिकित्सालयों एवं नगर पंचायत स्तर पर भी रोजगार देने की मांग की गयी है। इसके अलावा एलोपैथिक फार्मासिस्टों की तरह लाइसेंस देने की भी मांग की गयी है। जबकि राज्य में हजारों पंजीकृत आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट बेरोजगार हैं। राजकीय आयुर्वेदिक संघ के प्रान्तीय उपाध्यक्ष डॉ० अजय चमोला ने भी बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों की सभी मांगों का समर्थन किया है।
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डॉ० पसबोला ने आगे बताया कि राज्य में दो दर्जन से ज्यादा कालेज है जहां से निकलकर हर साल सैंकड़ों बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों की संख्या में इजाफा ही होता जा रहा है। क्यूंकि इन बेरोजगारों को रोजगार देने के मामले में राज्य सरकार का रवैया हमेशा से सौतेला ही रहा है। यहां तक कि राज्य में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है और उनकी आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई है, ऊपर से कोरोना महामारी ने कोढ़ में खाज का काम किया है।
डॉ० पसबोला ने आगे बताया कि राज्य में दो दर्जन से ज्यादा कालेज है जहां से निकलकर हर साल सैंकड़ों बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों की संख्या में इजाफा ही होता जा रहा है। क्यूंकि इन बेरोजगारों को रोजगार देने के मामले में राज्य सरकार का रवैया हमेशा से सौतेला ही रहा है। यहां तक कि राज्य में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है और उनकी आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई है, ऊपर से कोरोना महामारी ने कोढ़ में खाज का काम किया है।
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ज्ञापन में मुख्य बिन्दु इस प्रकार है
● आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों को भी ऐलोपैथिक फार्मेसिस्टों की तरह लाइसेंस मिले● कोविड 19 की वजह से उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। शीघ्र स्वास्थ्य विभाग में आयुर्वेदिक
फार्मेसिस्टों की भर्ती की जाय
● भारतीय सेना में ऐलोपैथिक फार्मासिस्टों की तरह आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों की भर्ती करायी जाय
● नगर निगमों में शीघ्र आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों की भर्ती करायी जाय
● न्याय पंचायत के फार्मासिस्टों की तरह आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों को मौका दिया जाय
● विश्व विद्यालय में आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों की भर्ती करायी जाय
मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में पर गीता धौलाखण्डी, ज्योति, ममता नयाल, हरेंद्र कुमार, सूरज, प्रदीप, लक्ष्मण, वैशाली, तन्नू , सुनीता, रोहित, दीक्षा, पूजा आदि फार्मासिस्टों के हस्ताक्षर हैं।
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