किसानों को आत्मनिर्भर बना रही है माटी संस्था की “उर्वरा योजना” , ।।web news।।


माटी संस्था किसानो को उर्वरा योजना के तहत बना रही हैआत्मनिर्भर।

देश में किसानों की एक अलग ही भूमिका वर्षों से रही है। हमारे किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जब कोरोना संकट काल में देश की आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह से थम सी गयी थी, उस समय केवल हमारे किसान ही थे जिन्होने देश की अर्थव्यवस्था को संभाला। इस विकट स्थिति में भी अगर देश के लोगों तक खाद्य-सामग्री व अनाजों सुचारु रूप से पहुँच रही थी तो उसके पीछे हमारे किसानो के अपने कृषि के प्रति कठिन मेहनत व लगन थी। कोरोना संकट में यह देश को दिखा दिया कि दुनिया के इस संघर्षमय समय में आज कृषि आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन बन कर उभरा है। कृषि क्षेत्र की इसी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री ने कोरोनाकाल के मध्य में अर्थव्यवस्था को पुनः खड़ा करने के लिए देश को आत्मनिर्भर बनने का एक नई राह का संदेश दिया। देश में कृषि की अहम भूमिका व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से प्रेरणा लेते हुए माटी संस्था, देहारादून की ओर से पिछले कुछ माह पूर्व एक योजना “उर्वरा” की शुरुवात की गयी थी। इस योजना के अंतर्गत संस्था के वैज्ञानिको व् संस्था से जुड़े विशेषज्ञों के द्वारा किसानो को आधुनिक, पारंपरिक एवं जैविक खेती के लिए तकनीकी प्रशिक्षण व सहायता प्रदान किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य देश के किसानों को जैविक कृषि के प्रति प्रोत्साहित करना जिससे वे इसे स्वरोज़गार के रूप में अपना कर आत्मनिर्भर बन सके। साथ ही किसानो को कृषि संबन्धित प्रबंधन, भंडारण व बाजार जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाना भी इस योजना का एक उद्देश्य है।

माटी संस्था अपने उर्वरा योजना के तहत उत्तरप्रदेश के बिजनौर जिला के किसानों को केसर जैसे गैर-पारंपरिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था। केसर (saffron) एक सुगंध देने वाला व विश्व का सबसे कीमती पौधा है। इसके पुष्प की वर्तिकाग्र (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। केसर न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होता है बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी गुणकारी होता है।

किसानों के द्वारा उगाए केसर को बेचने के लिए वे व्यापारियों से संपर्क कर रहे हैं। साथ उन्होंने बताया की केसर की यह खेती मात्र जैविक खेती व परंपरागत खेती मात्र नहीं है, बल्कि यह स्मार्ट परंपारगत खेती भी है जिसके माध्यम से गुणवत्ता और उत्पादन मात्रा दोनों बनाए रखा जा सकता है। माटी संस्था की यह "उर्वरा कृषि योजना" उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश के साथ अन्य राज्यों के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु समय-समय पर अन्य फसलों के साथ भी प्रयोग करने की है जिससे किसान आत्मनिर्भर बन कर व देश की उन्नति में सहयोग दे सकते हैं- डॉ० वेद प्रकाश ,माटी संस्था के संस्थापक व वैज्ञानिक
माटी संस्था के विशेषज्ञों के द्वारा सेहत के लिए गुणकारी एवं किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होने वाली केसर की खेती करने के लिए एक प्रयोग किया। इसके लिए संस्था के द्वारा पूर्व कुछ माह से लगातार किसानो को केसर के खेती हेतु आवश्यक आर्थिक व तकनीकी सहायता प्रदान किया जा रहा था साथ ही किसानो को केसर की खेती हेतु समय - समय प्रशिक्षण मुहैया कारवाई गई। संस्था के इस मार्गदर्शन व सहयोग से बिजनौर के किसान श्री धरम पाल सिंह जी ने बेशकीमती फसल केसर की खेती सफलतापूर्वक कर सभी को आश्चर्य में डाल दिया। केसर उत्पादन करने वाले श्री धरम पाल सिंह ने बताया की इस वर्ष उन्होंने केसर की खेती छोटे स्तर पर प्रयोग हेतु किया जिसके अंतर्गत लगभग 5 किलो केसर उत्पादित किया। उन्होने बताया कि मेरी इस सफलता को देख कर गाँव व क्षेत्र के अन्य किसान भी इस दिशा में आगे आ रहे हैं। उन्होने कहा कि इस प्रयास व सफलता के पीछे माटी संस्था देहारादून के संस्थाप व वैज्ञानिक डॉ॰ वेद प्रकाश तथा सह-संस्थापक व वैज्ञानिक डॉ० अंकिता राजपूत के सयुंक्त प्रयास व मेहनत रहा है।

किसानो के केसर गैर-पारंपरिक खेती के सफल उत्पादन पर माटी संस्था के सह-संस्थापक व वैज्ञानिक डॉ० अंकिता राजपूत ने बताया कि केसर की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके बीज, केसर तो महंगे बिकते ही हैं, साथ में फसल के अवशेष भी हवन सामग्री में इस्तेमाल किए जाते हैं। डॉ० अंकिता ने बताया की संस्था के द्वारा तैयार केसर की गुणवता की जाँच प्रतिष्ठित लैबों मेँ करवाया गया, जिसमें इसकी गुणवता उच्च कोटी पाई गयी। उन्होने बताया की बाजार में केसर का थोक रेट फिलहाल साठ हजार से डेढ़ लाख प्रति किलोग्राम बताया जा रहा है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएनबी आरसेटी ने डोईवाला ब्लाक के ग्राम रेशम माजरी में स्वरोजगार प्रशिक्षण का किया शुभारंभ ।।web news।।

USERC News : जल संरक्षण, जल गुणवत्ता एवम् स्वास्थ्य स्वच्छता विषय पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ।।Web News।।

Junyali : उत्तराखंड की पहली म्यूजिकल गुड़िया जुन्याली , जाने जुन्याली की पूरी कहानी ।।web news।।

#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून : सोशल मीडिया से उतर कर सड़कों पर आ रहे है युवा ।।web news।।

Pahadi product : दिवाली धमाका पहाड़ी उत्पाद स्यारा बटै त्यारा घौर, पढे पूरी खबर ।।web news।।

'Arth' Video Series : पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को वीडियो सीरीज से बता रहे है पर्यावरणविद् डॉ अनिल प्रकाश जोशी, वीडियो सीरीज की पूरी जानकारी पढे ।।web news।।

Independence Day : माटी, देहारादून के प्रांगण में 74वाँ स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया, ।।web news।।

Pahadi Product : मडुवे के रसगुल्लों से दिवाली में पहाड़ी रस्याण , पढे हिदेश ट्रस्ट की अनोखी पहल ।। web news uttrakahnd ।।

चर्चा में है : भगवान सिंह धामी का कुमाउँनी कार्ड पढे पूरी खबर।।web news।।

जन जागरण अभियान समिति ने हरेला पर्व के अवसर पर बेबिनार का आयोजन किया ।।web news।।