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रविवार, 2 मार्च 2025

माणा हिमस्खलन रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा - 46 श्रमिक बचाए गए, 8 की मौत



उत्तराखंड माणा हिमस्खलन 2025 - बचाव अभियान

चमोली जिले के माणा क्षेत्र में 28 फरवरी को हुए हिमस्खलन में फंसे श्रमिकों के लिए चलाया गया सर्च और रेस्क्यू अभियान सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। इस आपदा में कुल 54 श्रमिक प्रभावित हुए, जिनमें से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, जबकि दुर्भाग्यवश 8 श्रमिकों की मृत्यु हो गई।

मुख्यमंत्री ने रेस्क्यू टीमों की सराहना की

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, पुलिस, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमों के साहस और समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में चलाए गए इस ऑपरेशन में 46 जिंदगियां बचाई गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इस पूरे अभियान की जानकारी लेते रहे।

घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण

28 फरवरी 2025 की सुबह 8:30 बजे जोशीमठ तहसील के अंतर्गत माणा गेट स्थित बीआरओ कैंप के पास मजदूर कार्य कर रहे थे, तभी अचानक हिमस्खलन हुआ और वे फंस गए। पहले श्रमिकों की संख्या 55 बताई गई थी, लेकिन जांच में यह संख्या 54 निकली।
  • हिमस्खलन में फंसे कुल श्रमिक – 54
  • सुरक्षित बचाए गए श्रमिक – 46
  • मृतक श्रमिक – 8
  • जोशीमठ में उपचाराधीन श्रमिक – 44
  • एम्स ऋषिकेश में उपचाराधीन श्रमिक – 2

युद्धस्तर पर संचालित रेस्क्यू अभियान

02 मार्च 2025 को बचाव दलों ने वृहद स्तर पर सर्च अभियान चलाया। इस दौरान 4 और शव बरामद किए गए, जिससे मृतकों की संख्या 8 हो गई।
  • सुरक्षित निकाले गए 46 श्रमिकों में से 44 को ज्योतिर्मठ स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी स्थिति सामान्य है और उचित चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।
  • 2 श्रमिकों का एम्स ऋषिकेश में इलाज चल रहा है और वे स्वस्थ हो रहे हैं।
  • 7 मृतकों का पोस्टमार्टम कर पार्थिव शरीर उनके परिजनों को सौंप दिया गया।

रेस्क्यू अभियान में आधुनिक तकनीकों का उपयोग

बचाव कार्यों में अत्याधुनिक उपकरणों और संसाधनों का प्रयोग किया गया:
  • GPR (Ground Penetrating Radar) को जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से एमआई-17 हेलीकॉप्टर द्वारा घटनास्थल पर भेजा गया।
  • एनडीआरएफ ने थर्मल इमेजिंग कैमरा, विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, रोटरी रेस्क्यू सॉ, एवलांच रॉड और डॉग स्क्वाड की सहायता से रेस्क्यू अभियान को तेज किया।
  • एसडीआरएफ और यूएसडीएमए ने भी अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग कर श्रमिकों की खोज में सहयोग दिया।
  • वायु सेना और राज्य सरकार के हेलीकॉप्टरों ने राहत एवं बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की सतत निगरानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पूरे ऑपरेशन पर नजर बनाए रखी। उन्होंने मुख्यमंत्री से लगातार संपर्क कर स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री का ग्राउंड जीरो दौरा और राहत उपाय

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद ग्राउंड जीरो का दौरा किया और चार बार आपदा कंट्रोल रूम (SEOC) जाकर बचाव कार्यों की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों को प्रभावी कार्यवाही के निर्देश दिए।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर तेजी से राहत कार्य किए।
गंभीर रूप से घायल श्रमिकों के इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
हिमस्खलनों की निगरानी के लिए बेहतर तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए गए।

निष्कर्ष

माणा हिमस्खलन राहत एवं बचाव अभियान राज्य सरकार, सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, और अन्य एजेंसियों के बेहतरीन समन्वय का उदाहरण है। इस त्रासदी में 8 श्रमिकों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई, लेकिन 46 जिंदगियां बचाने में सफलता मिली। सरकार अब भविष्य में ऐसी आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करने पर काम कर रही है।

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