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शुक्रवार, 29 मई 2020

पॉजिटीव वेब : बाजार खुलेगें 7 बजे से 7 बजे तक, पढे क्या है पूरी खबर ।।web news।।

Meeting,
बैठक में दिशा निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने  हाई लेवल बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण फैसले

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को देर सांय मुख्यमंत्री आवास में मुख्य सचिव के साथ ही शासन के उच्चाधिकारियों के साथ प्रदेश में कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की। बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए।

बाजारों को प्रातः 07:00 बजे से सांय 07:00 बजे तक खोलने का फैसला ।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के साथ ही क्वॉरेंटाइन सेंटरों की व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने के व्यापक निर्देश भी दिये। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मार्केट खुलने के समय को प्रातः 07:00 बजे से सांय 07:00 बजे तक किया जाए।

यात्रा पास व श्रमिकों को कार्य अनुमति देने का निर्णय ।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि अन्तरजनपदीय यात्राओं के लिये सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा दी गई सूचना के साथ ही उसे अविलम्ब पास की उपलब्धता सुनिश्चित करायी जाए। उन्होंने छोटे निर्माण कार्यों के लिये स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को अनुमति प्रदान करने के साथ ही जो व्यक्ति अपने कार्य से सीमित अवधि के लिये आ रहे हैं उनके लिये क्वॉरेंटाइन की अवधि की अनिवार्यता में शिथिलता प्रदान करने को कहा।

लोक डाउन के नियमों का पालन हो ।

मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक को यह भी निर्देश दिये कि बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था का अनुपालन कड़ायी से सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक के अनुरोध पर कोविड- 19 के दृष्टिगत ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को आवश्यकतानुसार पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर आदि की व्यवस्था के लिये अपेक्षित धनराशि की व्यवस्था आपदा प्रबंधन एवं विभागीय बजट से किये जाने के भी निर्देश दिये।

जनजागरूकता अभियान तेज किये जायें

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों में कोरोना वायरस के भय को दूर करने, तथा इसके बचाव के उपायों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिये इससे जुड़े डॉक्टरों के छोटे-छोटे वीडियो तैयार कर ग्राम पंचायतों तक उपलब्ध कराये जाएं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों के अनुभवों को भी इसमें शामिल किया जाए ताकि समाज में कोरोना के प्रति सकारात्मक सोच विकसित हो सके।

प्रभावी उपचार में तेजी लायी जाए ।

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से जनपद में इस महामारी की रोकथाम के लिये प्रभावी व्यवस्था बनाये रखने तथा बीमार व्यक्तियों के उचित उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सेनिटाइजर के अनिवार्य रूप के उपयोग से हम इस महामारी को रोकने में कामयाब हो सकेंगे। इस दिशा में जन जागरूकता के प्रसार पर भी उन्होंने बल दिया।

बैठक में उपस्थित अधिकारी गण ।

बैठक में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, सचिव श्री अमित नेगी, श्री नितेश झा, श्रीमती राधिका झा, श्री शैलेश बगोली, पुलिस महानिदेशक श्री अनिल रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था श्री अशोक कुमार, आई.जी श्री संजय गुंज्याल, श्री अभिनव कुमार व श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

गुरुवार, 28 मई 2020

बड़ी खबर : रिवर्स पलायन बढावा के लिए "मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’’ का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ , जाने क्या है पूरी खबर ।। web news ।।

मुख्यमंत्री-रोजगार-योजना

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना युवाओ और प्रवासियों को रोजगार देने की बड़ी योजना ।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, राज्य के उद्यमशील युवाओं और कोविड-19 के कारण उत्तराखण्ड वापस लौटे लोगों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्घ कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इससे कुशल और अकुशल दस्तकार, हस्तशिल्पि और बेरोजगार युवा खुद के व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित होंगे। राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। राज्य सरकार द्वारा रिवर्स पलायन के लिए किए जा रहे प्रयासों में योजना महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिये

इस योजना की जानकारी गांव-गांव तक पहुंचाई जाय ताकि युवा इस योजना का लाभ उठा सकें। जन प्रतिनिधियों एवं जिलास्तरीय अधिकारियों के माध्यम से योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किकया जाय। इस योजना के तहत लाभार्थियों को लोन लेने में कोई समस्या न हो इसके लिए जिलाधिकारी, बैंकर्स से समन्वय करें-त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड

मार्जिन मनी होगी अनुदान के रूप में समायोजित

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों के माध्यम से सभी पात्र विनिर्माणक, सेवा और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए वित्त पोषित किया जायेगा। एमएसएमई विभाग द्वारा योजना के अन्तर्गत मार्जिन मनी की धनराशि अनुदान के रूप में उपलब्ध कराई जायेगी। विनिर्माण क्षेत्र में परियेाजना की अधिकतम लागत 25 लाख रूपये और सेवा व व्यवसाय क्षेत्र के लिए अधिकतम लागत 10 लाख रूपये होगी। एमएसएमई नीति के अनुसार वर्गीकृत श्रेणी ए में मार्जिन मनी की अधिकतम सीमा कुल परियोजना लागत का 25 प्रतिशत, श्रेणी बी व बी़ में 20 प्रतिशत तथा सी व डी श्रेणी में कुल परियोजना लागत का 15 प्रतिशत तक मार्जिन मनी के रूप में देय होगी। उद्यम के 02 वर्ष तक सफल संचालन के बाद मार्जिन मनी, अनुदान के रूप में समायोजित की जायेगी। योजना के अन्तर्गत सामान्य श्रेण्ी के लाभार्थियों द्वारा परियोजना लागत का 10 प्रतिशत जबकि विशेष श्रेणी के लाभार्थियों को कुल परियोजना लागत का 05 प्रतिशत स्वयं के अंशदान के रूप में जमा करना होगा।

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना मुख्य बिंदु

■ विनिर्माण में 25 लाख रूपये और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रूपये तक की परियोजनाओं पर मिलेगा ऋण।
■राज्य के उद्यमशील एवं प्रवासी उत्तराखण्डवासियों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना मुख्य उद्देश्य।
■ युवाओं को मिलेगा स्वरोजगार का अवसर, रिवर्स पलायन को मिलेगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में पात्रता की शर्तें एवं अहर्ता

◆इस योजना के अन्तर्गत आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
◆शैक्षिक योग्यता की बाध्यता नहीं है।
◆योजना के अन्तर्गत उद्योग, सेवा एवं व्यवसाय क्षेत्र में वित्त पोषण सुविधा उपलब्ध होगी।
◆ आवेदक अथवा उसके परिवार के सदस्य को योजना के तहत केवल एक बार लाभान्वित किया जायेगा।
◆लाभार्थियों का चयन अधिक आवेदन प्राप्त होने पर प्रोजेक्ट वायबिलिटी को देखते हुए ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर किया जायेगा।

आवेदन की प्रक्रिया एवं योजना का क्रियान्वयन

आवेदक, महाप्रबंधक एवं जिला उद्योग केन्द्रों में आॅनलाईन एवं मैनुअल आवेदन कर सकते हैं। योजना के क्रियान्वयन के लिए एमएसएमई विभाग के नियंत्रणाधीन उद्योग निदेशालय, उत्तराखण्ड नोडल विभाग होगा। योजना का क्रियान्वयन जिला स्तर पर जिला उद्योग केन्द्र द्वारा किया जायेगा।

बैठक में अपर मुख्य सचिव श्रीमती मनीषा पंवार, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री रमेश भट्ट, आईटी सलाहकार श्री रवीन्द्र दत्त, निदेशक उद्योग श्री सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।

Online Charcha : पलायन रोकने के लिए ड्रीम्स का गोल्डन ड्रीम , जानने के लिए पढे पूरी खबर ।। web news ।।



Dreams

पलायन रोकने हेतु कैसे हो स्थानीय संसाधनों का विकास विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा

देहरादून ।। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण विभिन्न राज्यों से बडी संख्या में प्रवासी उत्तराखण्डवासी वापस अपने गाँव आ रहे है। राज्य सरकार द्वारा प्रवासी लोगो के लिए योजनाएं तैयार की जा रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ड्रीम्स संस्था द्वारा एक अभिनव प्रयोग किया गया। प्रवासी लोग अपने गाँव में रहकर ही रोजगार को अपनाए और इस रिवर्स पलायन के बाद पुनः पलायन को कैसे रोका जायए इसके लिये ड्रीम्स संस्था द्वारा समाज के विभिन्न बुद्विजीवियों एवं विषय विशेषज्ञों के साथ ऑन लाइन वीडियो के माध्यम चर्चा की गई। चर्चा का विषय "कोरोना काल में रिवर्स पलायन के पश्चात् पुनः पलायन रोकने हेतु कैसे हो स्थानीय संसाधनों का विकास" रखा गया था।
"संस्था का यह प्रयास सफल रहा पिछ्ले एक सप्ताह में हर रोज एक वीडियो जारी किया गया। जिसमें समाज के विभिन्न बुद्विजीवियों एवं विषय विशेषज्ञों के ऑन लाइन वीडियो भेजकर अपने विचार व्यक्त किये गये"- दीपक नौटियाल , महासचिव, ड्रीम्स
1- प्रथम उद्बोधन  "अनूप नौटियाल" ने उत्तराखंड में पलायन के असर के बारे में बताते हुए विभिन्न प्रकार के पलायन के आंकड़े दिये। उन्होंने कहा कि पलायन को रोकने में सरकारें नाकाम रही है। वर्तमान सरकार ने पलायन आयोग का गठन किया।  पलायन आयोग की रिपोर्ट के आंकड़े अपने विचारों के माध्यम से रखे इस कोरोना अवधि में उन्होंने 10 जिलों में अब तक 69360 लोगों के वापस आने की बात कहीं थी। उन्होंने लौटे हुए लोगों के प्रति चिंता जता कर सरकार से जल्दी योजना बनाने और लागु करने पर जोर दिया।

2- दूसरे उद्बोधन में शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल ने भी सरकार से मांग की कि योजनाएं शार्ट टर्म हों और जल्दी से लागु होंए उन्होंने कहा कि लौटे लोगों को योजनाओं की जानकारी एवं उनके लायक कार्य के प्रति उन्हें जानकारी एवं मार्ग दर्शन जल्दी से एवं गंभीरता से देने की आवश्य्कता है। उन्हें किसानों को तकनिकी ज्ञान देने एवं खेतोँ की चैकबंदी करने की दिशा में काम करने को कहा । व्यक्ति स्किलड हो सकता है तो यहां पर सर्विस सेक्टर को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने इंडस्ट्रियल हैम्प (भाँग) की खेती करवाने पर जोर दिया जो कि बहुत अधिक महंगी बिकती है और जानवर भी इसे नुकसान नहीं पहुंचाते। इसके अलावा दवाई हेतु उपयोगी कंडाली और बिजली बनाने हेतु पहले से ही प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली चीड़ का सदुपयोग करवाने पर जोर दिया।

3-  तीसरे उद्बोधन में विजय प्रसाद मैठाणी ने भी पलायन के आंकड़ों को रखते हुए पर्यावरण की बहुत सी सभावनाओं जरुरत बताया। उन्होंने अलग अलग महत्वपूर्ण स्थानों को व्यापारिक केंद्र बनाने के सुझाव दिये। जलश्रोतों के सयोजन की विस्तृत योजना बनाते हुए विद्युत परियोजनाओं पर कार्य करने की बात की ओर ध्यान आकर्षित किया और होम स्टेजों को विकसित करने के लिए अच्छी योजनाओं की अपील की।

4-  चौथे सम्बोधन में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय शर्मा ने अपने अपने गावों में लौटे लोगों के लिए सरकार से ईमानदारी से काम करने पर जोर देते हुए नये छोटे बड़े कारखाने लगाने की बात की ताकि लोगों को रोजगार मिल सके।

5-पांचवें उद्बोधन में हरियाली फाउंडेशन के उपाध्यक्ष राम प्रसाद भट्ट ने सेवानिवृत कर्मचारियों के अनुभवों को सम्मिलित कर लघु एवं कुटीर उद्योगों को विकसित करने की बात की। उन्होंने सरकार को लोगों के लिए बहुत कम व्याज दर पर आसान किस्तों में पूर्ण किए जाने वाले लोन उपलब्ध कराने की सलाह दी।

6-छटवें उद्बोधन में चमोली जिले के नेहरू युवा केंद्र के समन्वयक डा0 योगेश धस्माना के अनुसार उत्तराखंड के पलायन और अन्य प्रदेशों के पलायन में बहुत अंतर है। हमारे यहां स्किल्ड लोगों की अधिकता है तो उनके लिए बहुत जल्दी उसी तरह की योजना बनाने की आवश्यकता है। एक ढांचागत नीति के तहत लोकल क्षेत्र की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए काम करने वालों के लिए सब्सिडी के बजाय वाह्य सपोर्ट की आवश्यकता है। हमें अपना ट्रांसपोर्ट सिस्टम एवं सूचना तंत्र को विशेषकर पहाड़ों के लिए मजबूत करना होगा ताकि हर तरह के कार्यों में तकनीकीय स्वरुप आ सके और रोजगार की संभावना बढे। उन्होंने शिक्षा के स्वरुप को नवोदय विद्यालयों की तरज पर बदलने की जरुरत पर जोर दिया एवं कृषि को तकनीकीय स्वरुप देने की बात कही।

7- सातवें उद्द्बोधन में एच पी ममगाईं ने पशुपालन एवं हर्बल विकास पर भी प्रबल सभावनाएं बताई।

8- आठवें उद्बोधन में शिक्षक अमित कपरुवाण ने इस गोष्ठी के आठवें सम्बोधन में लोकल श्रोतों को तकनीकीय स्वरुप देकर विकसित करने एवं पुनः हिमालयी संसाधनों के विकसित करने के साथ साथ प्रचुरता में उत्पादन पर जोर दिया। उनके अनुसार अगर प्रचुरता होगी तो इस तकनीकीय युग में मार्केट स्वतः ही विकसित हो जायेगा।

9- नवें उद्बोधन में फिल्म निर्माता एवं निर्देशक प्रदीप भंडारी ने इसे एक प्रकार से इसे पुनर्स्थापन नाम दिया और इसे दो श्रेणियों में बाँटा पहली वो जब आज लौटे व्यक्ति के पास कुछ भी नहीं है जिसे स्थापित करने हेतु सरकारी मदद या अन्य क्षेत्रीय समर्थन की आवश्यकता है और एक दीर्घकालीन जब वह स्वयं में निर्भर होने की स्तिथि में होगा। दोनों परिस्थियों के लिए सरकार को गंभीर योजनाएं बनाने की आवश्यकता है।

10- दसवें उद्बोधन में हाई कोर्ट के अधिवक्ता भगवत सिंह नेगी ने 10वें उद्बोधन में पलायन को एक प्राकृतिक, सामयिक एवं प्रस्थितिक प्रक्रिया बताया जो होती रहेगी मगर हमारे क्षेत्रीय संसाधनों का विकास इस तरह से हो कि यही प्रक्रिया विपरीत भी होने लगे अथार्त अपनी रोजी का साधन व्यक्ति पहाड़ों पर भी ढूंढे। कृषि, पशुपालन, पर्यटन, पर्यावरण पर अभी तक कोई भी सरकार गंभीरता से काम नहीं कर पाई है जो अब तनिकीय स्वरुप देकर और भी आसान हो सकता है बस जरुरत सोच और नीयत की।

11- ग्यारवें उद्बोधन में यूथ आइकन के संस्थापक समाजसेवी शशिभूषण मैठाणी ने अपने वीडियो सम्बोधन में सभी लोगों से अपना परिचय सूचना को अपने गावों से जोड़े रखने की और गावों को पूर्ण रूप से न छोड़ने की अपील की। उन्होंने भी सरकार से क्षेत्रीय संसाधनों को विकसित करने हेतु बन रही योजनाओं की सम्पूर्ण एवं सही जानकारी सभी लोगों तक पहुंचाने का अनुरोध किया।
 
12- बारहवें उद्बोधन में राण्उण्मा पालाकुराली जखोली 
रूद्रप्रयाग के विज्ञान के अध्यापक अश्विनी गौड़ ने लोकल उत्पाद की अधिकता एवं उनका ब्रांड बनाकर तकनीकी ढंग देकर उसका वृहद व्यापार करने का सुझाव दिया।

इस श्रृंखला का संयोजन संस्था के उपाध्यक्ष राकेश मैठाणी एवं श्रेया नौटियाल द्वारा बारी.बारी से किया जा रहा है। अभी यह उद्बोधन श्रृंखला जारी है अभी इसमें कुल 20 से 25 उद्बोधनों का संकलन कर उन सभी की एक सूक्ष्म डॉक्यूमेंट्री का निर्माण कर सुझाव स्वरूप राज्य सरकार को भेंट की जाएगी।

पलायन रोकने की ड्रीम्स के गोल्डन ड्रीम वीडियो गोष्ठि का समापन उद्बोधन संस्था के अध्यक्ष गंभीर सिंह जयाडा जी का होगा । जिसमें उनके द्वारा वीडियो गोष्ठि का निष्कर्ष देव भूमि की आम जन मानस तथा सरकार तक रखने का प्रयास किया जायेगा।

वीडियो गोष्ठि के सभी वीडियो संस्था के फेसबुक पेज पर देखे जा सकते है ।

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वेब न्यूज़ की वैश्विक माहमारी कोरोना वाइरस से लड़ रहे कोरोना योद्धाओं पर विशेष रिपोर्ट "उत्तराखण्ड के कोरोना वारियर्स" के लिए क्लिक करें





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पॉजिटीव वेब: जनहित याचिका के बाद सरकार एक्शन में , क्वारन्टीन केंद्रों की जिलेवार रिपोर्ट मांगी,जाने क्या है पूरी खबर ।। web news।।

Uttrakhand-cm, trivendra-singh-rawat

जिलों में संस्थागत क्वारंटाईन केन्द्रों में रखे गये प्रवासी व्यक्तियों की व्यवस्थायें सुनिश्चित किये जाने के लिए सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी।


वर्तमान में बड़ी संख्या में राज्य में आ रहे प्रवासियों के लिये विभिन्न स्तर पर संचालित किये जा रहे क्वारंटाइन केन्द्रों के सम्बन्ध में मा. उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कज गयी । मा. उच्च न्यायालय ने प्रवासी व्यक्तियों को दी जा रही सुविधाए सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

जिलों में स्थापित क्वारंटाइन केन्द्रों में निम्नानुसार व्यवस्थायें की जानी हैं।

1. बिजली/पानी
2. पेयजल
3. स्वच्छता व नियमित सेनीटाइजेशन
4. स्वच्छ बिस्तर
5. कम से कम 03 समय पौष्टिक भोजन
6. साफ व पर्याप्त संख्या में शौचालय/स्नानागार
7. शिकायत पंजिका व शिकायत हेतु उच्चाधिकारियों के नम्बर
8. नियमित चिकित्सकीय परीक्षण
10 Do's and Dont's
11. मनोरंजन व्यवस्था
9. चौबीसों घण्टे केयरटेकर की उपलब्धता
12 मास्क/सेनेटाइटजर की उपलब्धता
13. सामाजिक दूरी के नियमों का अनुपालन

जिलाधिकारियों को उप जिलाधिकारियों को निर्देशित कर 30 मई, 2020 तक सूचना विभाग को सूचना देने के लिये कहा गया है क्योंकि 02 जून 2020 को जनहित याचिका की अगली सुनवाई होनी है।

यह भी पढ़े- पॉजिटीव वेब : पलायन पर रोक के लिए लॉन्च हुई मुख्यमंत्री रोजगार योजना , योजना की विस्तृत जानकारी के लिए पूरा पढ़ें।। web news।। 

पॉजिटीव वेब : NCSTC ने हिंदी में लोकप्रिय कोविद कथा को जारी किया जाने कोविद कथा के बारे में ।। web news ।।

Covid-katha

कोविद कथा: जन जागरूकता फैलाने के लिए एक मल्टीमीडिया गाइड इसमें कोविद-19 महामारी के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है


राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने डॉ. अनामिका रे मेमोरियल ट्रस्ट के सहयोग से, कोविद-19 महामारी के संदर्भ में जन जागरूकता फैलाने के लिए सभी (ए-टू-जेड) महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाली लोकप्रिय मल्टीमीडिया गाइड का हिंदी संस्करण जारी किया है।

इसका अंग्रेजी संस्करण पहले ही इस महीने की शुरुआत में जारी किया जा चुका है। विशेष रूप से हिंदी पट्टी के लोगों की कोविद कथा के हिंदी संस्करण की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से, कोविद कथा के हिंदी संस्करण को अतिरिक्त और संशोधित जानकारी के साथ लेकर जारी किया गया है, जिससे लोग इसका लाभ उठा सकें।

"कोविद कथा की सराहना करते हुए कहा है कि आम लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए आम आदमी की भाषा में विज्ञान की व्याख्या करना महत्वपूर्ण है और हिंदी व्यापक स्तर पर बोली जाने वाली भाषा है इसलिए कोविद कथा का हिंदी संस्करण बहुत ज्यादा महत्व रखता है। प्रो. शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिक संदेश देने और स्वास्थ्य अवधारणाओं को साधारण तरीके से समझाते समय, विज्ञान कार्टून (साइंटून्स) में हास्य और मनोरंजन भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि वर्तमान स्वास्थ्य संकट के दौरान लोग तनाव महसूस कर रहे हैं"-प्रो. आशुतोष शर्मा डीएसटी, सचिव

मल्टीमीडिया तकनीकों और डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके, कोविद-19 के संबध में सामान्य जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से, भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग लोगों को उपयुक्त ज्ञान और विश्वास के साथ महामारी को समझने और उससे निपटने में सहायता प्रदान करने के लिए एक इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक गाइड को प्रस्तुत किया है।

अंग्रेजी के बाद हिंदी और अन्य भाषाओं में संकरण की है तैयारी

कोविद कथा का मेघालय की खासी भाषा में अनुवाद किया जा रहा है; इसका तमिल संस्करण भी आ रहा है; लोग अपने आप ही इसके बंगाली और असमिया संस्करणों पर काम कर रहे हैं।

कोविद कथा में विभिन्न विज्ञान संचार उत्साहवर्धकों को प्रभावी रूप से विभिन्न प्रारूपों में एक साथ रखने का प्रयास किया जा रहा है, यानी कि फ्लिप संस्करण, एनिमेशन, वीडियो और अन्य प्रारूप। कई आधिकारिक एजेंसियां अपने सोशल मीडिया और अन्य जनसंचार अभियानों में कोविद कथा के विभिन्न तत्वों का भी उपयोग कर रही हैं, यानी कि क्या करें और क्या नहीं, साइंटून्स, प्रत्येक दिन एक वर्णमाला का उपयोग करके दैनिक जानकारी प्राप्त करना आदि। कोविद कथा के हिंदी और अन्य भाषाओं के संस्करणों के माध्यम से जागरूकता को जमीनी स्तर पर फैलाने में मदद मिलेगी।

कोविद कथा पढ़ने के लिए नीचे दिये लिंक पर क्लिक करें

हिंदी में कोविद कथा को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

अंग्रेजी में कोविद कथा को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

बुधवार, 27 मई 2020

पॉजिटीव वेब : पलायन पर रोक के लिए लॉन्च हुई मुख्यमंत्री रोजगार योजना , योजना की विस्तृत जानकारी के लिए पूरा पढ़ें।। web news।।


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प्रदेश में रोजगार एवं स्वरोजगार के साधन सुलभ कराने हेतु एक नई पहल

राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना तथा गंगा गाय महिला डेरी योजनान्तर्गत 03 व 05 दुधारू पशुओं के क्रय हेतु 25 प्रतिशत अनुदान तथा नगरीय क्षेत्रों में आंचल मिल्क बूथ स्थापना हेतु 20 प्रतिशत अनुदान पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 3 हजार दुग्ध उत्पादकों को कुल 10 हजार दुधारू पशु उपलब्ध कराए जाएंगे और 500 आंचल मिल्क बूथ स्थापित किए जाएंगे। इसके तहत राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना और गंगा गाय महिला डेरी योजना में दुधारू पशुओं को खरीदने पर 25 प्रतिशत अनुदान और शहरी क्षेत्रों में आंचल मिल्क बूथ स्थापित करने के लिए 20 प्रतिशत अनुदान पर ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है।
"ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु ग्राम स्तर पर रोजगार के साधन उपलब्ध करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।गाँव में निवासरत ग्रामीणों तथा अन्य राज्यों से आये,राज्य के प्रवासियों के लिए सरकार द्वारा स्वरोजगार का उचित अवसर प्रदान किया जा रहा है। पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन के माध्यम से अपनी आजीविका चलाने हेतु राज्य सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ ले।"- त्रिवेन्द्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड
उक्त योजना का लाभ दुग्ध सहकारी समिति के सदस्यों को दिया जाएगा। जो व्यक्ति वर्तमान में दुग्ध सहकारी समिति का सदस्य न हो परंतु सदस्य बनने का इच्छुक हो, उन्हें भी योजनान्तर्गत लाभान्वित किया जाएगा। योजना के तहत क्रय किए जाने वाले दुधारू पशु राज्य के बाहर से क्रय किए जाएंगे, ताकि प्रदेश में पशुधन की वृद्धि हो।

योजना में 3 हजार दुग्ध उत्पादकों को कुल 10 हजार दुधारू पशु उपलब्ध कराए जाएंगे और 500 आंचल मिल्क बूथ स्थापित किए जाएंगे। योजना का लाभ लेने के लिए 01 जून से 15 जुलाई 2020 तक प्रबंधक/प्रधान प्रबंधक दुग्ध संघ कार्यालय में आवेदन किया जा सकता है।

योजना के मुख्य बिन्दु

◆योजना का लाभ दुग्ध सहकारी समिति सदस्यों को प्रदान किया जायेगा।
◆वह व्यक्ति जो कि वर्तमान में दुग्ध सहकारी समिति का सदस्य न हो परन्तु सदस्य बनने हेतु इच्छुक हो, उन्हे भी योजनान्तर्गत लाभान्वित किया जायेगा।
◆ योजनान्तर्गत क्रय किये जाने वाले दुधारू पशु राज्य के बाहर से क्रय किये जायेंगे, ताकि प्रदेश में पशुधन की वृद्धि हो सके।
◆3000 दुग्ध उत्पादकों को कुल 10000 दुधारू पशु उपलब्ध कराये जायेंगे।
◆500 आंचल मिल्क बूथ स्थापित किये जायेंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सिर से चारे का बोझा हटाने तथा वर्षपर्यंत पोष्टिक व हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा साइलेज एवं पशु पोषण योजना प्रारंभ की गयी है जिसके अंतर्गत प्रदेश में गठित दुग्ध सहकारी समिति के सदस्यों को 50 प्रतिशत अनुदान पर साइलेज (मक्के का हरा चारा) उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा साइलेज के ढुलान पर होने वाले व्यय की धनराशि भी अनुदान के रूप में दी जा रही है।

इस योजना से प्रदेश के मैदानी तथा सुदूरवर्ती जनपदों में दुग्ध उत्पादकों को एक ही दर अर्थात रू 3.25 प्रति किलोग्राम की दर से उनके द्वार पर ही साइलेज की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। योजना से दुग्ध सहकारी समिति के लगभग 50 हजार पोरर सदस्यों को लाभान्वित किया जायेगा। योजना के सफलता पूर्वक संचालन से जहाँ एक ओर पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार होगा वहीं दूसरी ओर दूध की गुणवत्ता में भी सुधार होने से दुग्ध उत्पादकों को अधिक मूल्य प्राप्त होगा।

आवेदन कैसे करें

योजना का लाभ लेने हेतु आवेदन पत्र दिनांक 01 जून 2020 से 15 जुलाई 2020 तक प्रबन्धक/प्रधान प्रबन्धक दुग्ध संघ कार्यालय से प्राप्त कर जमा किए जा सकते हैं।

डेरी विकास विभाग, उत्तराखण्ड योजना की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने हेतु

जनपद के सहायक निदेशक डेरी, प्रबन्धक/प्रधान प्रबन्धक दुग्ध संघ अथवा मोबाइल नं. 9412929257, 9012220864 से सम्पर्क कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें-पॉजिटिव वेब : सीएम ,डीएम के बाद विधान सभा अध्यक्ष की गढ़वाली चिठी , पढ़े पूरी चिठी ।।web news।

मंगलवार, 26 मई 2020

Uttrakhand Health Bulletin : 400 जो गए कोरोना पॉजिटीव जाने क्या है पूरी खबर ।।web news।।



अभी अभी का हेल्थ बुलेटिन कोरोना पॉजिटिव हो गए 400

एक और देश और दुनिया में कोरोना संकमण तेजी से फैल रहा है, हजारों मरीज कोरोना के संक्रमण से प्रतिदिन संक्रमित हो रहे है वहीं उत्तराखण्ड में आज 3:00 बजे सरकारी हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया जिसके अनुसार 400 कोरोना संक्रमित मरीज में 329 पॉजिटीव केस है जो उत्तराखण्ड सरकार और आज जनता के लिए और अधिक चिंता दायक खबर है।

अभी अभी 3 बजे के हेल्थ बुलिटिन में हरिद्वार से 1 , अल्मोड़ा से 3, देहरादून से 1 , पिथौरागढ़ से 06, नैनीताल से 10, उधम सिंह नगर से 02 और टिहरी गढ़वाल से 14 कोरोना पॉजिटिव केस की सूचना मिली है जो अब कुल 400 कोरोना संक्रमितों की संख्या हो गयी है जिसमे से 64 लोग ठीक हो गए है।

सबसे ज़्यादा 136 केस नैनीताल जनपद से आये, आज कोरोना पॉजिटीव में अधिकतर प्रवासी या अन्य राज्यो से आये लोग थे साथ ही हरिद्वार जनपद के सरकारी अस्पताल की नर्स कोरोना पॉजिटीव आयी।

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भारत नेपाल के बीच चर्चा में आये काली नदी विवाद को आसान भाषा मे समझा रहे है- भगवान सिंह धामी ।।web news ।।

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क्या है काली नदी विवाद इसे समझते है।

सबसे पहले तो इतिहास को देखते हैं जिससे हमें मालूम पड़ता है कि वर्तमान पश्चिमी नेपाल जोकि बाइसी और चौबीसी राज्य क्षेत्र में सम्मिलित है। पूर्व में नेपाल का हिस्सा नहीं था, डोटी और जुमला स्वतन्त्र राज्य थे जैसे उत्तराखण्ड में पँवार और चंद राज्य थे।

चौबीसी जो कि 24 ठकुराइयों में बंटा था इसमें ही एक ठकुराई थी कास्की जिसके अधीन गोरखा राज्य था, जो गुरु गोरखनाथ पर गोरखा कहलाया था। पूर्व में गोरखा केवल एक राज्य था वर्तमान में एक जनपद है।

सीधे विवाद में आते है इतिहास में ज्यादा न पड़ते हुए।

1815-16 में अंग्रेजों और नेपाल के मध्य सिगौली की संधि हुई जिसमें पारस्परिक सम्प्रभुता के साथ ही काली नदी भारत-नेपाल के मध्य सीमा घोषित की गई। हालांकि गोरखों द्वारा डोटी जीतने से पूर्व तक सुदूर पश्चिमी अंचल कभी भी नेपाल का अंग नहीं था। इस संधि से सुदूर पश्चिमी क्षेत्र नेपाल का अंग बन गया। 1817 में असंतुष्ट नेपाल ने सीमांकन दुबारा करवाया तब दो गाँव #छांगरु और #तिंकर नेपाल को दे दिए गए। (नीचे नजरिया मानचित्र में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं)

मानसखण्ड के अनुसार काली नदी के उद्गम कालापानी से होता है। और यह बात सर्वबिदित भी है। कालापानी नामक स्थान पर पानी हालांकि कम मात्रा में है पर उसके कारण ही काली का जल काले रंग का होता है।

अब नेपाल अभी जो मांग रख रहा है वह ये है कि बड़े जलस्रोत को काली नदी माना जाना चाहिए और बड़ा जलस्रोत काली नदी के लिए गूंजी गांव में काली में मिलने वाली कुटी नदी है, जिसे स्थानीय लोग कुटी यांगटी कहते हैं।

यह बात प्रत्येक नेपाली और भारतीय स्थानीय नागरिक जानते हैं कि काली नदी कौन सी है और कुटी यांगती कौन सी है।

बहरहाल नेपाल का यह तर्क मान भी लिया जाये कि बड़ा जलस्रोत ही मान्य होगा तो सवाल सभी उन लोगों से हैं जो गंगा और अलकनंदा को जानते हैं सही मायने में अलकनंदा नदी बड़ी है आकार में जल धारण क्षमता में तो क्या भागीरथी नदी को गंगा न मानकर अलकनंदा नदी को गंगा कहा जाना उचित होगा.?

ये बेतुका तर्क नेपाल सरकार द्वारा दिया जा रहा है, लेख लम्बा करने का कोई अभिप्राय नहीं है। आप लोग नीचे दिए गए मैप के माध्यम से विवाद और नेपाल की मानसिकता को आसानी से समझ सकते हैं।

Map
Map- Pan Singh Dhami



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लेखक - भगवान सिंह धामी
परिचय - सीमांत धारचूला (पिथौरागढ़) स्यांकुरी गांव के भगवान सिंह धामी  वर्तमान में उत्तराखंड सचिवालय में कार्यरत, युवा इतिहास के जानकार, उत्तराखण्ड ज्ञानकोष General Study के एडमिन , उत्तराखण्ड ज्ञानकोष जनपद दर्पण के लेखक, इनफार्मेशन ब्लॉगर
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चारधाम ऑल वेदर रोड पर बनी टनल का हुआ उद्धघाटन


चम्बा शहर के दो किनारों (गुल्डी गांव और दिखोलगांव) को एक भूमिगत सुरंग के माध्यम से जोड़ने का कार्य पूरा हो गया है । इस सुरंग के निर्माण से चम्बा का मुख्य बाजार पुनर्निर्माण/विकास की भेंट चढ़ने से भी बच गया है। यह कार्य भारत सरकार के अधीन चल रहे एक महत्वकांक्षी "आल वेदर रोड" प्रोजेक्ट का अभिन्न अंग है। इसमें लगभग 440 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण हुआ । जो कि आस्ट्रेलियन तकनीकी का इस्तेमाल कर बनाया जा रहा है।
चारधाम ऑल वेदर रोड पर इस टनल के बनने से न केवल गंगोत्री, यमुनोत्री का सफर आसान होगा, बल्कि चंबा को जाम से मुक्ति भी मिलेगी। मैं इस सफलता के लिए प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, केंद्रीय मंत्री गडकरी जी व B.R.O. सभी अधिकारियों,इंजीनियर्स व कर्मचारियों का आभार व्यक्त करता हूं- त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किया उद्घाटन


बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन द्वारा ऋषिकेश-धरासू हाइवे पर चंबा कस्बे के नीचे 440 मीटर लंबी सुरंग तैयार की है। इस टनल का आज केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी  ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उद्घाटन किया।

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Premchand-aggarwal

मुख्यमंत्री और उत्तरकाशी के जिलाधिकारी की गढ़वाली चिठी के बाद चर्चाओं में है विधान सभा अध्यक्ष की गढवाली चिठी

मैं उत्तराखंड का शहीदों का चरणों मा बारम्बार अपणु शीष नवोंदों । साथ मा उत्तराखण्डी भै बैणों आप सब्बू तैं सादर सेवा सौंली लगोंदु ।

भै-बंदों आज इनु समय ऐगि जब हम सब लोग कोरोना महामारी का संकट का बीच अपड़ि गुजर बसर कना छां । कभि हमारा प्रदेश का रैवासि भै बंद रोजि -रोटी का खातिर देश - विदेश मा गैन अर अपणा -अपणा क्षेत्रु मा प्रवासि बन्धुन उल्लेखनीय कार्य का माध्यम सी अपुणु व उत्तराखंड कु नौं रोशन करि। बहुत सारा प्रवासी भै -बंद देशु -प्रदेशु मा भौत अच्छी स्थिति मा छन। अर भौत बड़ी संख्या मा पड्याँ - लिख्याँ ज्वान नौना-नौनी प्रदेशु मा अपणि रोजि- रोठि का खातिर बहुत मेनत कना छन। पलायन करिक तैं भी हमारा उत्तराखंडी भै -बंद देश अर प्रदेश का विकास मा अपड़ा - अपड़ा हिसाब सी योगदान देंणा छन।पर कोरोना महामारिन सैरि दुन्यां मा एक इनि डर उबजैलि कि अधिकतर प्रवासि अपणा - अपणा गौं व क्षेत्रों मा औंण कु मन बणैंलि । जै मा भौत सारा प्रवासि अपणा - अपणा गौं व जगों मा पौंछि भि गैन । जु प्रवासी भै- बन्द औण सि रैगिन तौं का वास्ता भी भौत जल्दी सरकार व्यवस्था बणौण लगीं च । जु काम भारि औखु लगदु थै, सु सरकार कि सूझबूझ सि आसानि सि त ह्वैगि । पर एक बड़ि कठणै भि हमारा सामणि ऐगी । जु भी प्रवासि भै -बंद घौर वापस ऐगिन तौंका वास्ता रोजि- रोठि कु बंदोबस्त जल्द सी जल्दी स्वरोजगार का माध्यम सी सरकार तैं सुनियोजित विचार कन पड़लू।

देश का प्रधानमन्त्री मा० नरेन्द्र मोदी जी 20 लाख करोड़ कि मदत उत्तराखंड सहित देश मा स्वरोजगार व आत्मनिर्भरता का वास्ता दीलिन जै कु मूल मन्त्र च "स्वराज" । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी भि इनि बोल़्दा था कि स्वराज ही हमारा देश तैं आत्मनिर्भर बणैं सकदु । मा० प्रधानमंत्री जी न भि ये विशेष आर्थिक पैकेज मा किसान, श्रमिक, कुटीर, लघु व गृह उद्योग का साथ मा उद्यानिकी, वानिकी, फलोद्यान, मत्स्य पालन, गौ पालन, मौन पालन, पशुपालन का दगड़ा- दगड़ी ग्राम विकास का अनेक इना रचनात्मक कामौं का माध्यम सि बेरोजगार युवा आज अपड़ा सुनहरा भविष्य कि दिशा मा अगनै बढि सकदन।

ग्रामविकास, पर्यावरण, कृषि जल, जंगल जमीन ,पर्यटन, तीर्थाटन, साहासिक पर्यटन आदि अनेक संसाधनु कु उचित दोहन करिक तैं हम स्वरोजगार, स्वावलंबन कि तरफ बड़ी सकदां । ये अभियान मा हम स्वयंसेवी संस्था, सहकारिता, महिला स्वयं सहायता समूह अर सरकार का अनेक विभागौं कु सहयोग व उचित परामर्श का माध्यम सि प्रवासि व घर वासियों का मेलजोल करिक तैं हम गौं कु पलायन भि रोकि सकदा अर स्वरोजगार भि अपणै सकदां । अनेक प्रदेशों मां रेक आप लोग अपणा-अपणा अनुभव ली तें ओणा छन । आपकी मेहनत, ईमानदारी व प्रतिभा कु लाभ उत्तराखंड तें मिलु अर हमारा प्रदेश कु चोमुखी विकास कन मा आप सभी प्रवासी जन समर्पित भाव सि काम करला ।

अन्त मा मैं आप तैं विश्वास दिलौनु कि ईं विपदा कि घड़ी मा आप पर भगवन श्री बद्री केदार कृपा बणि रली। मैं आप सभि प्रदेश वासियों का दगड़ा मा छौं। अर मैं स्वयं व सरकार का माध्यम सी जतना भि सहयोग आपका खातिर ह्वै सकुलू, कनकु पूरु - पूरू प्रयास करलु । आप जब ऐथर - ऐथर चलला त हम सब आपका दगड़ा - दगड़ी चलिक तैं आपकु व प्रदेश कु उज्जवल भविष्य बणौंण कि पूरि कोशिश करला।
मेरु आप सबु सि निवेदन छ कि आप लोग "आरोग्य सेतु" एप कु उपयोग करला, साथ मा संस्थागत क्वारेंटीन / होम क्वारेंटीन होण मा सहयोग देला, ताकि हम स्वयं स्वस्थ रला, हमारू परिवार, समाज व प्रदेश स्वस्थ रै सकुलु । ये का दगडा -दगड़ी सामाजिक दूरी बणैक रख्यां, भीड़ वाळी जगौं मा कतै नि जाया, अर जु भि सरकार का नियम बणायां छन, वूं कु पूरू - पूरू पालन करला। बस इथगा निवेदन आप सबु सी करदु । आप सभी प्रदेश वासियों तैं मेरु सादर प्रणाम।

जय उत्तराखंड ! जय भारत !!

( प्रेम चन्द अग्रवाल )
अध्यक्ष उत्तराखंड विधानसभा