This is default featured slide 1 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 2 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 3 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 4 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 5 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

गुरुवार, 14 मई 2020

CharDham Yatra : श्री बदरीनाथ धाम पहुंचे आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी कल सुबह खुलेंगे कपाट जाने क्या है पूरी जानकारी ।। web news।।

Badrinath, chardham-yatra-2020

15 मई को प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर खुलेंगे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट।

श्री बदरीनाथ धाम।। कल 15 मई प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे । इस शुभ अवसर पर कम लोग उपस्थित रहेंगे क्योंकि वैश्विक माहमारी कोरोना वाइरस के संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉक डाउन घोषित है , इसके मध्यनजर सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य सरकारी एडवाइजरी का पालन करना अनिवार्य है । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के चार धामों के कपाट खुले है जबकि कोरोना महामारी संकट टलने के बाद सभी को शीघ्र चारधाम यात्रा शुरू होने की उम्मीद है।
Badri-nath-dham,CharDham-yatra , chardham-yatra-2020
श्री बद्रीनाथ धाम की सुन्दर फूलों से सजावट
आदि गुरू शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी सहित रावल जी, श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी एवं गाडूघड़ा( तेलकलश ) योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से आज दिन में श्री बदरीनाथ धाम पहुंचे।
इस बार श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा बदरीनाथ धाम को फूलों से सजाया गया है।

कम संख्या में बदरीनाथ धाम जाने की अनुमति प्रशासन द्वारा दिये जाने के कारण देवस्थानम बोर्ड तथा सीमित संख्या में हकूकधारी बदरीनाथ धाम पहुंचे। कपाट खुलने की प्रक्रिया से जुड़े कम से कम लोगों को श्री बदरीनाथ धाम जाने की अनुमति दी गयी है।

कल प्रात: 3 बजे से कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। कुबेर जी, श्री उद्धव जी एवं गाडू घड़ा दक्षिण द्वार से मंदिर परिसर में रखा जायेगा।कल 15 मई प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर कृष्ण अष्टमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे-डा.हरीश गौड़, मीडिया प्रभारी ,उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड


रेलवे की उपलब्धि: “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनों से 10 लाख यात्रियों की घर वापसी पढ़े पूरी खबर

Railway-news,

भारतीय रेलवे ने 14 मई, 2020 तक देशभर में 800 “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनें चलाई जिन से 10 लाख लोगों की हुई घर वापसी

15 दिनों में भारतीय रेलवे "श्रमिक स्पेशल" ट्रेनों के जरिये 10 लाख से अधिक यात्रियों को भारतीय रेलवे उनके गृह राज्यो में पहुँचा चुके है एक सकारात्मक पहल कर चुकी है , भारतीय रेलवे का कोरोना युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका पर विशेष रिपोर्ट

विभिन्न राज्यों में पलायन करके गए फंसे श्रमिकों, तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों की आवाजाही के संबंध में गृह मंत्रालय के आदेश के बाद,भारतीय रेलवे ने 800 “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनों का संचालन का किया इन “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनों से 14 मई 2020 तक, देश भर के विभिन्न राज्यों से कुल 10 लाख से अधिक यात्री अपने गृह राज्य पहुंच चुके हैं। यात्रियों को भेजने वाले और उन्‍हें अपने यहां लेने वाले राज्‍य की सहमति के बाद ही रेलवे द्वारा ट्रेनें चलाई जा रही हैं।

इन राज्यों में संचालित हुई ट्रेन हुई प्रवासियों की घर वापसी

इन 800 ट्रेनों से विभिन्न राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश,  बिहार,  छत्तीसगढ़,  हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर,  झारखंड,  कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर,  मिजोरम, ओडिशा,  राजस्थान,  तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश,  उत्‍तराखंड  और पश्चिम बंगाल राज्यो में संचालित किया गया और इन राज्यो के प्रवासियों को अपने गृह राज्य लाया गया।

कोरोना संकट में विशेष पहल

ट्रेन में चढ़ने से पहले यात्रियों की उचित जांच सुनिश्चित की जाती है। यात्रा के दौरान यात्रियों को मुफ्त भोजन और पानी दिया जाता है। यात्रियों को भेजने वाले और उन्‍हें अपने यहां लेने वाले राज्‍य की सहमति के बाद ही रेलवे द्वारा ट्रेनें चलाई जा रही हैं ।

बुधवार, 13 मई 2020

Corona news : ऋषिकेश में सामाजिक संस्था ने कोरोना योद्धाओं को अनोखी श्रद्धांजलि दी ।। web news uttarakhand ।।

Uttarakhand-corona-warrior-event, rishikesh-news

एक पौधा कोरोना योद्धाओं के नाम , युवाओ का कोरोना योद्धाओं को अनोखा सलाम ।।

ऋषिकेश।।उत्तराखंड।। Environmental Action Group of youth संस्था द्वारा आज पौधे लगाकर विश्व के उन सभी देशों के कोरोना योद्धाओं को भावना पूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई जो वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए लड़ते लड़ते शहीद हो गए ।
आज उन सभी देशों के कोरोना योद्धाओं के नाम का सभी सदस्यों ने एक-एक पौधा लगाकर अपनी ओर से अनोखी श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही जो योद्धा कोरोना महामारी का युद्ध लड़ रहे हैं उन की मंगलमय कामना की ईश्वर से प्रार्थना कि वह जल्दी स्वस्थ हो और हम फिर एक साथ फिर मुस्कुराएंगे और कोरोना को हरा आएंगे।


Youth-news,
पेड़ लगाकर कोरोना योद्धाओं को श्रद्धांजलि देते युवा

इस महामारी में जब संपूर्ण विश्व एक दूसरे से दूर हो रहा है उस दौरान कोरोना योद्धा अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की मदद कर रहे हैं कोरोना के खिलाफ लोगों को बचाने में अपना जान जोखिम में डाल रहे हैं ऐसे योद्धाओं को शत-शत नमन है - सदानंद हलदर,संस्था के वरिष्ठ सदस्य

कोरोना वारियर्स को नमन करते हुए उनके अतुल्य योगदान के प्रति अपनी भावना प्रकट करते हुए शहीद हुए विश्व के सभी देशों के कोरोना वॉरियर्स को समर्पित वृक्ष लगाकर  हम श्रद्धांजलि  देते है-  अरविंद कुमार, सदस्य
विश्व कोरोना वॉरियर्स के इस अतुलनीय योगदान को कभी नहीं भूल सकती विश्व सदा आपकी कर्तव्य निष्ठा को याद रखेगा और आपके द्वारा किए गए अमूल्य योगदान और बलिदान के लिए आपको शत शत नमन-
मनीष बनवाल, संस्था के सचिव

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के वरिष्ठ सदस्य श्री सदानंद हलदर, मनीष बनवाल, अरविंद कुमार, अभिजीत विश्वास, शेर सिंह, आयुष रस्तोगी, सूरज मंडल, गौतम मंडल, वासुदेव मंडल, राज कुमार आदि लोग उपस्थित रहे।

Uttarakhand breaking : त्रिवेंद्र सरकार का युवाओ के लिए “Hope” पोर्टल क्या है इसमें खास पढ़े खबर।।

Hope-portal, uttarakhand-hope

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कुशल एवं अकुशल युवाओं के लिए किया पोर्टल का शुभारंभ।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को सचिवालय में मंत्रिमंडल की उपस्थिति में “Hope” (helping out people Everywhere) पोर्टल का शुभारम्भ किया।
Hope” पोर्टल के माध्यम से उत्तराखण्ड के ऐसे युवा जो विभिन्न राज्यों एवं उत्तराखण्ड में कुशल पेशेवर Skilled professional हैं तथा वर्तमान में किसी न किसी संस्थान में कार्य कर रहे हैं या जो उत्तराखण्ड में कौशल विकास विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, ऐसे युवाओं के लिए यह पोर्टल एक सेतु के रूप में कार्य करेगा। इस पोर्टल के डाटा बेस का उपयोग राज्य के समस्त विभाग तथा अन्य रोजगार प्रदाता युवाओं को स्वरोजगार/रोजगार से जोड़ने के लिए करेंगे।

पोर्टल का यू.आर.एल. -hope.uk.gov.in 

इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य कुशल और अकुशल युवाओं का डाटा बेस बनाना तथा डाटा बेस के आधार पर रोजगार/स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का समन्वय करने में यह पोर्टल महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। 

इस पोर्टल का निर्माण आईटी विभाग, कौशल विकास विभाग, नियोजन विभाग एवं एनआईसी ने आपसी समन्वय से किया। इस पोर्टल की वेब होस्टिंग उत्तराखण्ड सरकार के आईटीडीए, आईटी पार्क स्थित डाटा सेंटर में की गई है।

इस पोर्टल को बनाने में मुख्यमंत्री कार्यालय से मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार श्री रवीन्द्र दत्त, सचिव आईटी श्री आर.के सुधांशु, सचिव नियोजन श्री अमित नेगी, सचिव कौशल विकास डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, निदेशक आईटीडीए श्री अमित सिन्हा, एनआईसी के उप महानिदेशक श्री के. नारायण, एनआईसी के तकनीकि निदेशक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी ने मुख्य भूमिका निभाई।

National news : अमित शाह ने विदेशी कंपनियों को दिखायी आंख जाने क्या है पूरी खबर।।web news ।।


Home-ministers-amit-shah, amit-shah

गृह मंत्रालय का अहम निर्णय CAPF की कैंटीन होंगी स्वदेशी

आज गृह मंत्रालय ने एक अहम निर्णय लिया है कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की कैंटीनों पर अब सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री होगी। यह नियम 1 जून 2020 से देशभर की सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की कैंटीनों और स्टोरों पर लागू होगा।
कल रात प्रधानमंत्री के संबोधन में विशेष आर्थिक पैकेज
 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की घोषणा करते हुए कहा
कोरोना संकट ने हम Local Manufacturing, Local Market, Local Supply Chain, का भी महत्व समझाया है। संकट के समय में, Local ने ही हमारी Demand पूरी की है, हमें इस Local ने ही बचाया है। Local सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। समय ने हमें सिखाया है कि Local को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा। आपको आज जो Global Brands लगते हैं वो भी कभी ऐसे ही बिल्कुल Local थे। लेकिन जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल शुरू किया, उनका प्रचार शुरू किया, उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व किया, तो वो Products, Local से Global बन गए। इसलिए, आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है, न सिर्फ लोकल Products खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है।

आज गृह मंत्रालय की घोषणा से सरकार की स्वदेशी नीति पर बल देने के रूप में देखा जा रहा है आगे भी सरकार ऐसे अहम निर्णय के सकती है जिससे कोरोना संकट से आर्थिक विकास दर को रफ्तार मिल सकती है

 
Amit-shah , अमित-शाह, home-minister-amit-shah


गृह मंत्री के ट्वीट

कल माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने और लोकल प्रोडक्ट्स (भारत में बने उत्पाद) उपयोग करने की एक अपील की जो निश्चित रूप से आने वाले समय में भारत को विश्व का नेतृत्व करने का मार्ग प्रशस्त करेगी । इसी दिशा में आज गृह मंत्रालय ने यह निर्णय लिया है कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की कैंटीनों और स्टोरों पर अब सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री होगी। 1 जून 2020 से देशभर की सभी CAPF कैंटीनों पर यह लागूहोगा, जिसकी कुल खरीद लगभग 2800 करोड़ रुपए के करीब है। इससे लगभग 10 लाख CAPF कर्मियों के 50 लाख परिजन स्वदेशी उपयोग करेंगे - अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री, भारत सरकार

मंगलवार, 12 मई 2020

प्रधानमंत्री का पूरा संबोधन पढ़िए आपके लिए क्या है खास ।।web news ।।



पढिए प्रधानमंत्री का पूरा संबोधन 


सभी देशवासियों को आदर पूर्वक नमस्कार,

कोरोना संक्रमण से मुकाबला करते हुए दुनिया को अब चार महीने से ज्यादा हो रहे हैं। इस दौरान तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हुई है। भारत में भी लोगों ने अपने स्वजन खोए हैं। मैं सभी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

साथियों,
एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है। विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां संकट का सामना कर रही हैं। सारी दुनिया, जिंदगी बचाने की जंग में जुटी है। हमने ऐसा संकट न देखा है,

न ही सुना है। निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सब कुछ अकल्पनीय है, ये Crisis अभूतपूर्व है।


लेकिन थकना, हारना, टूटना-बिखरना, मानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुए, ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए, अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। आज जब दुनिया संकट में है, तब हमें अपना संकल्प और मजबूत करना होगा। हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट होगा।

साथियों,
हम पिछली शताब्दी से ही सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिंदुस्तान की है। हमें कोरोना से पहले की दुनिया को, वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने-समझने का मौका मिला है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं। जब हम इन दोनों कालखंडो को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो,

ये हमारा सपना नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी है।

लेकिन इसका मार्ग क्या हो? विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत"।

हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है- एष: पंथा:

यानि यही रास्ता है- आत्मनिर्भर भारत।

साथियों,
एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है।

मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात रखूंगा। जब कोरोना संकट शुरु हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं।

ये हम इसलिए कर पाए, क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि, आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी सिद्ध होने वाली है।

साथियों,
आज विश्व में आत्मनिर्भर शब्द के मायने बदल गए हैं, Global World में आत्मनिर्भरता की

Definition बदल गई है। अर्थकेंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा जोरों पर है। विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता।

भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो संस्कृति

जय जगत में विश्वास रखती हो, जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो, जो अपनी आस्था में 'माता भूमिः पुत्रो अहम् पृथिव्यः' की सोच रखती हो जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है।

भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव, विश्व कल्याण पर पड़ता है। जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर बदल जाती है। टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही पड़ता है। इंटरनेशनल सोलर अलायंस, ग्लोबर वॉर्मिंग के खिलाफ भारत की सौगात है।

इंटरनेशनल योगा दिवस की पहल, मानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का उपहार है। जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं।

इन कदमों से दुनिया भर में भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है, तो हर भारतीय गर्व करता है।

दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है। सवाल यह है - कि आखिर कैसे? इस सवाल का भी उत्तर है- 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प।

साथियों,
हमारा सदियों का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत जब समृद्ध था, सोने की चिड़िया कहा जाता था, संपन्न था, तब सदा विश्व के कल्याण की राह पर ही चला। वक्त बदल गया, देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया, हम विकास के लिए तरसते रहे। आज भारत विकास की ओर सफलतापूर्वक कदम बढ़ा रहा है, तब भी विश्व कल्याण की राह पर अटल है। याद करिए, इस शताब्दी की शुरुआत के समय Y2K संकट आया था। भारत के टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने दुनिया को उस संकट से निकाला था।

आज हमारे पास साधन हैं, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है,
हम Best Products बनाएंगे, अपनी Quality और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे।

साथियों,
मैंने अपनी आंखों से कच्छ भूकंप के वो दिन देखे हैं। हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा। सब कुछ ध्वस्त हो गया था। ऐसा लगता था मानो कच्छ, मौत की चादर ओढ़कर सो गया हो। उस परिस्थिति में कोई सोच भी नहीं सकता था कि कभी हालात बदल पाएंगे। लेकिन देखते ही देखते कच्छ उठ खड़ा हुआ, कच्छ चल पड़ा, कच्छ बढ़ चला।

यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है। हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं। और आज तो चाह भी है, राह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना। भारत की संकल्पशक्ति ऐसी है कि भारत आत्मनिर्भर बन सकता है।



साथियों,
आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत, पाँच Pillars पर खड़ी होगी।

पहला पिलर Economy एक ऐसी इकॉनॉमी जो Incremental change नहीं बल्कि Quantum Jump लाए ।
दूसरा पिलर Infrastructure एक ऐसा Infrastructure जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा पिलर- हमारा System- एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली Technology Driven व्यवस्थाओं पर आधारित हो।

चौथा पिलर- हमारी Demography- दुनिया की सबसे बड़ी Democracy में हमारी Vibrant Demography हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है।

पाँचवाँ पिलर- Demand- हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है,

जो ताकत है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।

देश में डिमांड बढ़ाने के लिए, डिमांड को पूरा करने के लिए, हमारी सप्लाई चेन के हर स्टेक-होल्डर का सशक्त होना जरूरी है। हमारी सप्लाई चेन, हमारी आपूर्ति की उस व्यवस्था को हम मजबूत करेंगे जिसमें मेरे देश की मिट्टी की महक हो, हमारे मजदूरों के पसीने की खुशबू हो।

साथियों,
कोरोना संकट का सामना करते हुए, नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। ये आर्थिक पैकेज, 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा।

साथियों,
हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे, और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है।

इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों को, आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को, 20 लाख करोड़ रुपए का संबल मिलेगा, सपोर्ट मिलेगा। 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में Land, Labour, Liquidity  और Laws, सभी पर बल दिया गया है।

ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे MSME के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है।

ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति,

हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन रात परिश्रम कर रहा है। ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देश के विकास में अपना योगदान देता है। ये आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिए है जो भारत के आर्थिक सामर्थ्य को बुलंदी देने के लिए संकल्पित हैं।

कल से शुरू करके, आने वाले कुछ दिनों तक, वित्त मंत्री जी द्वारा आपको 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' से प्रेरित इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

साथियों,
आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए Bold Reforms की प्रतिबद्धता के साथ अब देश का आगे बढ़ना अनिवार्य है। आपने भी अनुभव किया है कि बीते 6 वर्षों में जो Reforms हुए, उनके कारण आज संकट के इस समय भी भारत की व्यवस्थाएं अधिक सक्षम, अधिक समर्थ नज़र आईं हैं। वरना कौन सोच सकता था कि भारत सरकार जो पैसा भेजेगी, वो पूरा का पूरा गरीब की जेब में, किसान की जेब में पहुंच पाएगा।

लेकिन ये हुआ। वो भी तब हुआ जब तमाम सरकारी दफ्तर बंद थे, ट्रांसपोर्ट के साधन बंद थे।

जनधन-आधार-मोबाइल- JAM की त्रिशक्ति से जुड़ा ये सिर्फ एक रीफॉर्म था, जिसका असर हमने अभी देखा। अब Reforms के उस दायरे को व्यापक करना है, नई ऊंचाई देनी है।

ये रिफॉर्मस खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो। ये रिफॉर्म्स, Rational टैक्स सिस्टम, सरल और स्पष्ट नियम-कानून, उत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर, समर्थ और सक्षम Human Resource, और मजबूत फाइनेंशियल सिस्टम के निर्माण के लिए होंगे। ये रिफॉर्म्स, बिजनेस को प्रोत्साहित करेंगे, निवेश को आकर्षित करेंगे और मेक इन इंडिया के हमारे संकल्प को सशक्त करेंगे।

साथियों,
आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है। और आज ये समय की मांग है कि भारत हर  स्पर्धा में जीते, ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभाए। इसे समझते हुए, भी आर्थिक पैकेज में अनेक प्रावधान किए गए हैं। इससे हमारे सभी सेक्टर्स की Efficiency बढ़ेगी और Quality भी सुनिश्चित होगी।

साथियों,
ये संकट इतना बड़ा है, कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गई हैं। लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में हमने, देश ने हमारे गरीब भाई-बहनों की संघर्ष-शक्ति, उनकी संयम-शक्ति का भी दर्शन किया है। खासकर हमारे जो रेहड़ी वाले भाई-बहन हैं, ठेला लगाने वाले हैं, पटरी पर सामान बेचने वाले हैं, जो हमारे श्रमिक साथी हैं, जो घरों में काम करने वाले भाई-बहन हैं, उन्होंने इस दौरान बहुत तपस्या की है, त्याग किया है। ऐसा कौन होगा जिसने उनकी अनुपस्थिति को महसूस नहीं किया।

अब हमारा कर्तव्य है उन्हें ताकतवर बनाने का, उनके आर्थिक हितों के लिए कुछ बड़े कदम उठाने का। इसे ध्यान में रखते हुए गरीब हो, श्रमिक हो, प्रवासी मजदूर हों, पशुपालक हों, हमारे मछुवारे साथी हों, संगठित क्षेत्र से हों या असंगठित क्षेत्र से, हर तबके के लिए आर्थिक पैकेज में कुछ महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा।

साथियों,
कोरोना संकट ने हमें Local Manufacturing, Local Market, Local Supply Chain, का भी महत्व समझाया है। संकट के समय में, Local ने ही हमारी Demand पूरी की है, हमें इस Local ने ही बचाया है। Local सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। समय ने हमें सिखाया है कि Local को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा।

आपको आज जो Global Brands लगते हैं वो भी कभी ऐसे ही बिल्कुल Local थे। लेकिन जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल शुरू किया, उनका प्रचार शुरू किया, उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व किया, तो वो Products, Local से Global बन गए। इसलिए, आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है, न सिर्फ लोकल Products खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है।

मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है। आपके प्रयासों ने, तो हर बार, आपके प्रति मेरी श्रद्धा को और बढ़ाया है। मैं गर्व के साथ एक बात महसूस करता हूं, याद करता हूं। जब मैंने आपसे, देश से खादी खरीदने का आग्रह किया था। ये भी कहा था कि देश के हैंडलूम वर्कर्स को सपोर्ट करें।

आप देखिए, बहुत ही कम समय में खादी और हैंडलूम, दोनों की ही डिमांड और बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इतना ही नहीं, उसे आपने बड़ा ब्रांड भी बना दिया। बहुत छोटा सा प्रयास था, लेकिन परिणाम मिला, बहुत अच्छा परिणाम मिला।

साथियों,

सभी एक्सपर्ट्स बताते हैं, साइंटिस्ट बताते हैं कि कोरोना लंबे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा। लेकिन साथ ही, हम ऐसा भी नहीं होने दे सकते कि हमारी जिंदगी सिर्फ कोरोना के इर्द-गिर्द ही सिमटकर रह जाए। हम मास्क पहनेंगे, दो गज की दूरी का पालन करेंगे लेकिन अपने लक्ष्यों को दूर नहीं होने देंगे।

इसलिए, लॉकडाउन का चौथा चरण, लॉकडाउन 4, पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा, नए नियमों वाला होगा। राज्यों से हमें जो सुझाव मिल रहे हैं, उनके आधार पर लॉकडाउन 4 से जुड़ी जानकारी भी आपको 18 मई से पहले दी जाएगी। मुझे पूरा भरोसा है कि नियमों का पालन करते हुए, हम कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे भी बढ़ेंगे।

साथियों,
हमारे यहाँ कहा गया है- 'सर्वम् आत्म वशं सुखम्' अर्थात, जो हमारे वश में है, जो हमारे नियंत्रण में है वही सुख है। आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ-साथ सशक्त भी करती है।

21वीं सदी, भारत की सदी बनाने का हमारा दायित्व, आत्मनिर्भर भारत के प्रण से ही पूरा होगा। इस दायित्व को 130 करोड़ देशवासियों की प्राणशक्ति से ही ऊर्जा मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत का ये युग, हर भारतवासी के लिए नूतन प्रण भी होगा, नूतन पर्व भी होगा।

अब एक नई प्राणशक्ति, नई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है। जब आचार-विचार कर्तव्य भाव से सराबोर हो, कर्मठता की पराकाष्ठा हो, कौशल्य की पूंजी हो, तो आत्मनिर्भर भारत बनने से कौन रोक सकता है?

हम भारत को आत्म निर्भर भारत बना सकते हैं। हम भारत को आत्म निर्भर बनाकर रहेंगे।

इस संकल्प के साथ, इस विश्वास के साथ, मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

आप अपने स्वास्थ्य का, अपने परिवार, अपने करीबियों का ध्यान रखिए।

बहुत-बहुत धन्यवाद !!!



Breaking News : आज रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश के नाम संबोधन पढ़ें पूरी खबर ।। web news ।।





Lockdown 4.0 की तैयारी के बारे में बड़ा ऐलान कर सकते है आज रात 8 बजे के संबोधन में प्रधानमंत्री।


आज रात 8 बजे सबकी नजरें टीवी और मोबाइल स्क्रीन पर प्रधानमंत्री के संबोधन सुनने के लिए होंगी। इन बार प्रधानमंत्री आगे की रणनीति पर विशेष ध्यान रखेंगे। लॉक डाउन से आर्थिक विकास का रोडमैप भी रख सकते है साथ ही अब तक कि चुनोतियाँ का सामान करने में मिली उपलब्धियो से सबका उत्साहवर्धन भी कर सकते है । 



चर्चाओं का बाजार गर्म है अब देखना होगा आज क्या खास होता है । कोरोना को हराने के लिए नेशनल लॉक डाउन आगे बढ़ता है या फिर आगे की लड़ाई की कमान राज्यों को दी जाती है । आज के संबोधन में राहत पैकेज को लेकर भी अटकलें लगायी जा रही है । किसान, मजदूर, छोटे उद्यमी सभी उम्मीदों के साथ इंतजार कर रहे है। 

आफत में राहत :इंतजार की घड़ी खत्म1200 प्रवासियों की हुई घर वापसी ।। web news।।

Kathgodam-station, utrakhand-news

पहली ट्रैन काठगोदाम पहुँची, प्रवासियों की आस जगी ।।

हल्द्वानी ।। उत्तराखण्ड सरकार के विशेष प्रयासों से कुमांऊ मंडल के कोविड-19 लाॅकडाउन के कारण फंसे 1200 यात्रियों को सूरत गुजरात से लेकर एक विशेष ट्रेन सोमवार रात्रि 11:30 बजे काठगोदाम पहुँची। ट्रेन पहुंचने पर जिलाधिकारी श्री सविन बसंल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मीणा, मुख्य विकास अधिकारी विनीत कुमार तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियोें ने उत्तराखण्ड प्रवासियों का स्वागत किया। आने वाले यात्रियों का मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिह रावत की ओर से जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत तथा संगठन के वरिष्ठ कार्यकर्ताओ द्वारा स्वागत किया गया। अपने घर वापसी होने पर आने वाले यात्रियों के चेहरे पर आत्मसंतोष देखा गया कई यात्रियों की आंखों में खुशी भी देखी गई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री मीणा ने यात्रियों की लाइन लगवाकर तथा सोशल डिस्टेंस मेटेंन करवाया, वांछित व्यवस्थाओें मे रेलवे अधिकारियो ने पूरा सहयोग कियां, ट्रेन से आने वाले यात्रियों को कुमाऊ मण्डल के विभिन्न जनपदों में बसों के माध्यम से भेजे जाने के लिए जिलाधिकारी श्री सविन बंसल द्वारा सभी व्यवस्थायें सुनिश्चित कि गई।

सूरत से विशेष ट्रेन द्वारा 1200 यात्रियों जिसमे से अल्मोड़ा जनपद के 123 ,बागेश्वर के 291, चम्पांवत के 06, पिथौरागढ के 254, उधमसिंह नगर के 16 व नैनीताल जनपद 510 यात्रियों को सकुशल लेकर रेलवे स्टेशन काठगोदाम पहुंची। वहाँ से आगन्तुक यात्रियों को बसों के माध्यम से कुमांऊ के विभिन्न जनपदों में भेजा जायेगा। जिलाधिकारी श्री बंसल ने यात्रियों को उनके जनपदो में भेजने हेतु परिवहन निगम की 46 छोटी तथा बड़ी बसे लगाई। काठगोदाम रेलवे स्टेशन में यात्रियों की सुविधा हेतु पेयजल व्यवस्था के साथ ही, रेलवे स्टेशन मे लाईट व्यवस्था, शौचालय, घोषणा हेतु माईक सैट, स्टेशन के प्रवेश एवं निकास स्थलों मे पर्याप्त नागरिक पुलिस, रेलवे पुलिस बल की तैनाती रही।

रेलवे स्टेशन काठगोदाम से पिथौरागढ, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पांवत, उधमसिंह नगर के यात्रियों को बसों के माध्यम से अन्तर राष्ट्रीय स्टेडियम गौलापार ले जाया गया, जहां पर स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग तथा स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा भोजन, पानी तथा जूस भी स्टेशन पर उपलब्ध कराया गया तथा रहने आदि की व्यवस्था गौलापार स्टेडियम मे की गई। यात्रियों को मगंलवार की प्रातः बसों के माध्यम से उनके गन्तब्य को रवाना किया जायेगा। जब कि जनपद नैनीताल के विभिन्न शहरों ,गाॅवों के यात्रियों को जेसमिन बैकंट हाल बरेली रोड़ हल्द्वानी ले जाया जायेगा, जहां पर उनका थर्मल स्कैनिंग, स्वास्थ्य परीक्षण कर नजदीकी रहने वाले यात्रियों को उनके घरों को पहुंचाया गया, जो यात्री दूरस्थ स्थानों में रहते है,उन्हें मंगलवार प्रातः से वाहनों के माध्यम से घरों को रवाना किया जा रहा है ।

Hillywood News : lockdown में गाँव वापसी दर्शकों को खूब भायी जाने क्या है पूरी कहानी ।। web news ।।


गांव-वापसी, gaon-wapsi, pradeep-bhandari-film

गाँव वापसी पहाड़ का दर्द समेटे सुखद जीवन की ओर ले जाने वाली सच्ची कहानी

गाँव वापसी - पर्वतीय बिगुल फ़िल्म प्रोडक्शन के बैनर तले बनी पलायन पर बनी लघु फ़िल्म दर्शकों को खूब भ रही है । इस फ़िल्म के माध्यम से लेखक/निर्देशक प्रदीप भंडारी ने पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की पीड़ा आम मानस तक लाने की ईमानदार कोशिश की है । गांव वापसी लॉक डाउन के प्रथम चरण में पर्वतीय बिगुल फ़िल्म के यु ट्यूब चैनल पर रिलीज की गयी गाँव वापसी फ़िल्म को दर्शकों ने भरपूर प्यार दिया अभी तक 1 लाख 75 हजार से ज्यादा बार देखा गया साथ ही 2 हजार से ज्यादा लाइक इस फ़िल्म को you tube चैनल पर मिल चुके है ।फ़िल्म आलोचकों एंव प्रशंसकों द्वारा उत्तराखंड की संस्कृति के काम करने वाले प्रदीप भंडारी व टीम के सदस्यों से फ़िल्म हिंदी में रिलीज करने पर सवाल जरूर पूछे लेकिन प्रदीप भंडारी के संतोषपूर्वक जबाब से सभी लोग संतुष्ट हुए और फ़िल्म जबदस्त वाइरल हुई ।

कोरोना वाइरस संकट के चलते लॉक डाउन प्रवासियों की हो रही है गाँव वापसी

ऐसा फ़िल्म लिखते समय सोचा भी नही जा सकता था कि लोग भारी संख्या में गाँव वापसी करेंगे। लेकिन जब संकट की घड़ी आती है तो अपना गाँव अपनी मिट्टी की याद जरूर आती है । लॉक डाउन में जब लोग परेशान हो रहे थे तो गाड़ी न मिलने के बाद भी पैदल ही घर पहुचने की कोशिश कर रहे थे। उत्तराखंड में लाखों लोग गांव लौट चुके है या फिर इंतजार में है पलायन आयोग की रिपोर्ट भी आ चुकी है कि लोग यही रोज़गार की तलाश में है ऐसे लोगों को गांव वापसी फ़िल्म देखकर स्वरोजगार के विकल्प पर जरूर सोचना चाहिए ।

गावँ वापसी फ़िल्म देखने के लिए इस लिंक पर जाएं-https://youtu.be/GpetPqo9ayI

जानिए "गाँव वापसी" हिन्दी में क्यों ??

बहुत सारे मित्रों ने यूट्यूब में फिल्म की जमकर तारीफ़ की है । साथ ही यह नाखुशी भी जताई कि गढ़वाली पृष्टभूमि की कथा वस्तु होने के बावजूद फिल्म हिन्दी में क्यों, तो पहले तो मैं इन सभी भाइयों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ । पर साथ ही इसका कारण भी बताता हूँ कि - क्यूँकि आज सम्पूर्ण पहाड़ (उत्तराखण्ड) पलायन की पीड़ा से जूझ रहा है। फिल्म का मकसद सम्पूर्ण उत्तराखंड के उन लोगों को वापस पहाड़ जाने एवं पुश्तैनी कृषि को पुनः करने के लिए प्रेरित करना है जो रोजगार के अभाव में पहाड़ छोड़ आये हैं और दूर प्रदेशों में मामूली से पैसों के लिए कष्टपूर्ण जिंदगी जीने को मजबूर हैं। दोस्तों वैसे तो हमने पूर्ण वातावरण और टोन पहाड़ी ही रखा है, फ़िल्म की भाषा हिन्दी होने के बावजूद पूरा गढ़वाली "फ़ील" दे रही है फिरभी दोस्तों इसका मूल कारण बताता हूँ कि 'फ़िल्म को बनाने का मूल मकसद उत्तराखंडियों को अपनी कृषि और गाँव के प्रति आकर्षित करना है, प्रेरित करना है। लेकिन फिल्म में के जाने वाली बात आम लोगों समझ में आनी चाहिए। मगर दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि उत्तराखण्ड में गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी के अलावा गढ़वाल छेत्र में - रवाल्टा,जाड़भाषा, भाषा, बंगाली, अच्छा, तोल्छा, जौनपुरी तथा कुमाऊं छेत्र में कुमइया, सोयाब, अस्कोटी, सीराली, खसपर्जिया, चौंक खर्सिया, रंगोलीआदि लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक उपबोलियाँ बोली जाती हैं। इन भाषाओं को बोलने वाले अधिकांश लोगों को गढ़वाली नहीं आती. जबकि यह फिल्म प्रदेश की 50 लाख से अधिक हिन्दी भाषी गैर गढ़वाली जनता तथा नेता और नौकरशाहों को दिखाना भी मकसद है. क्यूंकि इन सबका पहाड़ के प्रति ध्यान जगने से ही पहाड़ वापसी और विकास का सपना रफ़्तार से पूरा होगा। फ़िल्म को सभी देख सकें समझ सकें अतः इस उद्देश्य से फ़िल्म की भाषा हिंदी रखी है। मुझे विश्वास है कि इस ज़वाब से जरूर मेरे सारे गढ़प्रेमी संतुष्ट होंगें, धन्यवाद- प्रदीप भण्डारी, लेखक/निर्देशक, गांव वापसी

सोमवार, 11 मई 2020

बच्चों के ऑनलाइन पढ़ाई से है परेशान तो पढ़े पूरी खबर ।। web news ।।

Napsr-news

बच्चों के ऑनलाइन बोझ की शिकायत लेकर NAPSR  मानव संसाधन विकास मंत्रालय/राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल आयोग पहुंचा


देहरादून ।। नैशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स (NAPSR) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय/राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य बाल आयोग को निजी/प्राइवेट स्कूलों द्वारा ऑनलाइन के नाम पर बच्चों को मानसिक व शारिरिक प्रताड़ना के विरुद्ध लिखित शिकायती पत्र भेज कर तुरन्त प्रभाव से ऑनलाइन क्लॉस बन्द करने की अपील करी है । COVID 19 के कारण लॉक डाउन के चलते सभी निजी व सरकारी ऑफिस, कार्यालय और प्रतिष्ठान बंद चल रहे हैं हजारों लोगों की नौकरी जा चुकी है लाखों लोगों के काम धंधे बन्द पड़े हैं और साथ ही सरकारी और गैर सरकारी स्कूल बंद चल रहे हैं ऐसे मे राज्य द्वारा फीस को लेकर दिए गए शासनादेश को देखते हुए सभी निजी/प्राइवेट स्कूलों ने ऑनलाइन क्लॉस शुरू कर दी जिसमे ऑनलाइन के नाम पर व्हाट्सएप पर काम भेजना और यू ट्यूब पर वीडियो भेज कर बच्चों को होमवर्क दिया जा रहा । इन ऑनलाइन क्लॉस के कारण प्ले ग्रुप और KG तक के छोटे-छोटे मासूम बच्चों को 05 से 06 घण्टे तक पहले मोबाइल के सामने बैठना पड़ता है और फिर ऑफलाइन जाकर घण्टो होमवर्क करना पड़ता है जिसके चलते उन्हें एक ही जगह घण्टो तक गर्दन और आँखे झुकाकर मोबाइल के सामने बैठने के कारण का बेहद उनकी सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और भविष्य मे भी उनको बेहद विकट बीमारियों से गुजरना पड़ सकता है । ऐसे मे एक तरफ जहां निजी/प्राइवेट स्कूल फीस के लालच मे बच्चों का मानसिक और शारिरिक शोषण कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर मानव संसाधन विकास मंत्रालय व उत्तराखंड शासन के उन आदेशों की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं जिसमे स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि कक्षा 02 तक के बच्चों को किसी भी स्कूल द्वारा होमवर्क नही दिया जाएगा किन्तु निजी/प्राइवेट स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लॉस के नाम पर मासूम बच्चों को लगातार होमवर्क दिया जा रहा हैक जिससे बच्चों मे आंखों व मासपेशियों की शिकायत आने लगी हैं ।

सभी निजी/प्राइवेट स्कूलों मे 25% वो बच्चे पढ़ते हैं जिनका दाखिला RTE के अंतर्गत होता है महोदया/महोदय यहां विचार करने योग्य यह बात है की जो अभिभावक अपने बच्चों की फीस और ड्रेस नही खरीद पाने के कारण अपने बच्चों को RTE के अंतर्गत पढ़ाते हैं वो अभिभावक ऑनलाइन क्लॉस के लिए स्मार्टफोन/टेबलेट/लेपटॉप या डेस्कटॉप कहाँ से लाएंगे और ऊपर से नेट का खर्चा अलग से करना पड़ता है ऐसे मे उन बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है और वो बच्चे अन्य बच्चों की अपेक्षा पढ़ाई से वंचित रह जाएंगे और यह बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की श्रेणी मे आता है जो कि न सिर्फ बाल अधिकारों का हनन है बल्कि शिक्षा के अधिकार के अधिनियम का भी उलंघन है ।हम एसोसिएशन के माध्यम से अनुरोध करते हैं कि निजी/प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस के लिए लाभ के लोभ मे चलाई जा रही ऑनलाइन क्लास तत्काल प्रभाव से बन्द कराया जाए और ऑनलाइन क्लॉस के नाम पर मासूम बच्चों के होने वाले शरीरिक व मानसिक शोषण पर अंकुश लगाकर उन्हे वर्तमान व भविष्य मे होने वाली असहनीय बीमारियों व उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से बचाने की कृपा करें -आरिफ खान,राष्ट्रीय अध्यक्ष, NAPSR