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विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर DLSA ,जिला समाज कल्याण विभाग व सामाजिक संगठनों ने विभिन्न कार्यक्रमों का किया आयोजन
देहरादून आज पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला समाज कल्याण विभाग देहरादून व सामाजिक संस्थाओं ने सिंगल मंडी कुसुम बिहार की बस्ती में बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता कराई गई । बच्चों को पर्यावरण का महत्व समझाया गया साथ ही वृक्षारोपण के माध्यम से बच्चों को पौधे लगाने के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान बच्चों ने पौधारोपण के साथ सुंदर सुंदर पेंटिंग्स भी बनाई।
कुछ बच्चे जो नशे में लिप्त थे उनकी काउंसलिंग करके नशा न करने और नशे से बचने के तरीके भी बताए गए।आज के इस कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से समीना सिद्दीकी, विमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट फाउंडेशन से मानसी मिश्रा, मैक संस्था से जहांगीर आलम, गगन फाउंडेशन से वैजयंती माला आदि लोग उपस्थित रहे।
देखे वीडियो, पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का जीवन परिचय
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यूसर्क नेपर्यावरणीय समाधान' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन
आज विश्व पर्यावरण दिवस 2021 के अवसर पर उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क), देहरादून द्वारा ऑनलाइन माध्यम से संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष निर्धारित की गई थीम "ईकोलॉजिकल रेस्टोरेशन" के अंतर्गत "उत्तराखंड में जल सुरक्षा एवं जलसंरक्षण पर केंद्रित पर्यावरणीय समाधान' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन करने हुये यूसर्क के वैज्ञानिक डा० ओम प्रकाश नौटियाल ने किया।
कार्यक्रम में यूसर्क की निदेशक प्रो० (डा०) अनीता रावत ने कहा कि पांचों तत्वों के शुद्धिकरण एवं पुनर्जीवन पर केंद्रित एप्रोच के माध्यमों से एक जल तत्व को केंद्रित करते हुए आज का कार्यक्रम "एनवायर्नमेंटल सोलूशन्स फोकसिंग ऑन वाटर प्रोटेक्शन एंड कंजर्वेशन इन उत्तराखंड" विषय पर आयोजित किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विख्यात पर्यावरणविद एवं पाणी राखो आंदोलन के प्रणेता सचिदानंद भारती द्वारा मुख्य व्याख्यान दिया गया। उन्होंने अपने व्याख्यान में उत्तराखण्ड की जल समस्याओं के समाधान हेतु पाणी राखो आन्दोलन पर विस्तार से बताते हुये तथा पहाड़ी चाल, खाल के महत्व एवं उनकी आवश्यकता पर बताया। कार्यक्रम में "क्लीनिंग ऑफ रिवर्स एण्ड रिजुविनेशन आफ स्माल ट्रिब्यूटरीज इन उत्तराखण्ड" विषय पर पैनल डिस्कसन भी किया गया, जिसमें बोलते हुये हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय बादशाही थाल परिसर के जल विशेषज्ञ एवं प्रोफेसर एन० के० अग्रवाल ने कहा कि पहाड़ के छोटे-छोटे जल स्रोतों को पुनर्जीवित करके नदियों को पुनर्जीवित किया जा सकता है। इस दिशा में सामूहिक जन सहभागिता आवश्यक है। पैनल डिस्कसन में कोसी नदी पुनर्जीवन के प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर शिवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि जलागम प्रबन्धन करके, सघन पौधारोपण एवं जन सहभागिता से कोसी, कुंजगढ़, सरोटागाड, गगास, रामगंगा नदियों जल स्रोतों का पुनर्जीवित किया जा रहा है। हैस्को के भूवैज्ञानिक विनोद खाती ने चाल, खाल, नौले धारे के पुनर्जीवन हेतु जन सहभागिता के साथ भू वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोगी स्थान पर वर्षाजल संचयन विधियां अपनाने को कहा तथा पहाड़ में पुनर्जीवित किये गये जलस्रोतों के अनुभव बताये ।
यूसर्क द्वारा आयोजित की गयी जल केंद्रित पर्यावरणीय समाधान विषय पर मॉडल निर्माण प्रतियोगिता एवं जल केंद्रित पर्यावरणीय समाधान हेतु नवाचार समाधान विषयक लेखन प्रतियोगिता के जूनियर एवं सीनियर वर्ग के प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों का परिणाम यूसक की वैज्ञानिक डा० मन्जू सुन्दरियाल एवं डा० राजेन्द्र सिंह राणा द्वारा घोषित किया गया।
प्रतियोगिता परिणाम सीनियर वर्ग
◆जल केंद्रित पर्यावरणीय समाधान विषय पर मॉडल निर्माण प्रतियोगिता के सीनियर वर्ग अपराजिता (हरिद्वार) ने प्रथम स्थान,अशंमान सुजलबेरीने (पिथौरागढ़)द्वितीय व उदय सती (रानीख़ेत)तृतीय स्थान प्राप्त किया ◆जल केंद्रित पर्यावरणीय समाधान विषय पर मॉडल निर्माण प्रतियोगिता के सीनियर वर्ग में उत्कर्ष धपोला (बागेश्वर) ने प्रथमक० नीहारिका शर्मा (देहरादून) ने द्वितीय व कृष्णा पाण्डे (नैनीताल) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया ।
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कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों शिक्षकों सहित कुल 90 लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में यूसर्क की आई०सी०टी० टीम के ओम जोशी, उमेश जोशी, राजदीप जंग, शिवानी पोखरियाल द्वारा सकिय प्रतिभाग किया गया। माटी संस्था, हिमालयन ग्राम विकास समिति गंगोलीहाट, डी०एन०ए० लैब, किशन असवाल, पवन शर्मा, डा० शम्मू प्रसाद नौटियाल, विनीत, एल०डी० भट्ट, प्रो० के० डी० पुरोहित, पर्यावरणविद प्रताप पोखरियाल उत्तरकाशी, दीप जोशी बागेश्वर, सुनील नाथन बिष्ट चमोली द्वारा चर्चा में प्रतिभाग कर अनुभव बताये गये।
घर घर की एक ही आवाज, हरित वन क्रांति की शुरुआत - चंदन सिंह नयाल
जहां एक ओर लगातार जंगल खत्म होते जा रहे हैं और दूसरी ओर जंगलों से उत्पन्न होने वाले जल स्रोत भी धीरे-धीरे समाप्त होने के कगार पर हैं इस स्थिती को देखते हुए चन्दन सिंह नयाल एक हरित वन क्रांति को गति देने का प्रयास कर रहे हैं जैसा किस शब्द से ही प्रतीत होता है हरित वन अर्थात हरे-भरे वन हमें पुनः से अपने वनों को हरा भरा करना है जिसके लिए इस क्रांति को प्रत्येक व्यक्ति द्वारा शुरू करना पड़ेगा जिस प्रकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति का जन्म हुआ उसी प्रकार लगातार पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए जंगलों के अंधाधुन कटान को देखते हुए और जल स्रोतों को सूखते देखते हुए हरित वन क्रांति शुरू होने जा रही है हम आज नहीं जागे तो समय हमारे लिए नहीं रुकेगा प्रत्येक घर से प्रत्येक व्यक्ति की इस क्रांति में भागीदारी होनी चाहिए क्योंकि जल जंगल जमीन हम सब की जरूरत है ।
हरित वन क्रान्ति के मुख्य उद्देश्य
◆ चौडी पत्ती के जंगलों को संरक्षित करना ◆चौडी पत्ती के पौधों का पौधा रोपण करना ◆फलदार पौधे लगाकर रोजगार उत्पन्न करना ◆जल स्त्रोतों का संरक्षण करना ◆जंगल में उत्पन्न होने वाले औषधीय पौधों की खेती करना
वन हरित क्रांति से जुड़ने के लिए सम्पर्क किया जा सकता है