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निःशुल्क स्वाथ्य शिविर में 150 से ज्यादा ग्रमीणों का हेल्थ चेकअप किया गया
आज हैस्को संस्था ने नागथात में निःशुल्क स्वास्थ शिविर का आयोजन किया जिसमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथिक फिजिशियन की देहरादून यूनिट के चिकित्सकों ने निःशुल्क सेवाएं दी, शिविर में नागथात क्षेत्र के लगभग 15 गावँ के 150 से अधिक ग्रामीणों का निःशुल्क स्वास्थ परीक्षण किया गया , जिसमें बीपी , शुगर आदि की जांच भी की गयी । शिविर में प्रारंभिक जांच उपरांत आवश्यकतानुसार दवाइयां निःशुल्क दी गयी ।
हम नागथत क्षेत्र में स्वरोजगार, जल संरक्षण, महिला सशक्तिकरण , बच्चों के पोषण एवं विकास, कृषि विकास से जुड़े कार्यकर्मो के साथ साथ अन्य कार्यक्रम चला रहे है जिससे लोगों के साथ जुड़ाव हो गया है इसलिए ग्रामीणों के स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए हमने स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया - डॉ किरण नेगी , सीनियर वैज्ञानिक, हैस्को
कोरोनकाल में चिकित्सीय गतिविधियों से ग्रामीणों में उत्सुकता रही क्योंकि दूरस्थ क्षेत्र में कोरोनकाल चिकित्सा व्यस्था प्रभावित हुई । हैस्को के कार्यकर्ताओं ने शिविर में अधिक से अधिक ग्रमीणों को लाभ पहुंचाने के लिए अपना प्रयास किया । इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथिक फिजिशियन की देहरादून यूनिट केडॉ इंदरजीत नंदा, डॉ० बनर्जी, डॉ० हरिओम, डॉ० कृष्ण गोपाल और डॉ० आदित्य ने निःशुल्क सेवाएं दी साथ ही हैस्को से डॉ० किरन नेगी, अनिता नेगी, राजेश रावत , प्रवेंद्र नेगी, योगेंद्र नेगी, सुनिल चमोली, नमिता तोमर, नेहा तोमर, नेहा नेगी, सुमित्रा,शोभा राठौर,सुभद्रा वर्मा, दीपा उनियाल आदि ने शिविर के सफल आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई ।
पर्यावरणविद डॉ0 जोशी ने केबीसी में जीती 25 लाख की धनराशि
शुक्रवार रात नौ बजे सोनी टीवी के बहुचर्चित शो केबीसी कर्मवीर के स्पेशल एपिसोड में हैस्को के संस्थापक पर्यावरणविद डॉ0 अनिल प्रकाश जोशी ने केबीसी में 25 लाख जीते। कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर बैठकर अमिताभ बच्चन को दी संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी साथ ही उनके सवालों का जवाब दिया। केबीसी कर्मवीर शो के तहत उनके साथ फिल्म निर्देशक अनुराग बसु ने अमिताभ बच्चन द्वारा पूछे जा रहे सवालों के जवाब देने में जोशी की मदद की। उत्तराखंड की ओर से सामाजिक क्षेत्र के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने केबीसी में पहुंचकर 25 लाख रुपए की धनराशि जीती। जब अमिताभ बच्चन उनसे सवाल पूछ रहे थे तो बीच-बीच में उनकी संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी भी ले रहे थे। वे ज्यादा धनराशि जीत सकते थे, लेकिन समय पूरा हो जाने के कारण वह 25 लाख रुपए ही जीत सके।
डॉ अनिल प्रकाश जोशी हैस्को संस्था के संस्थापक है संस्था के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और स्वरोजगार पर उत्तराखंड में काम कर रहे हैं। उनका इस क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम है। केबीसी की शूटिंग पहले की गयी थी जिसका प्रसारण बीते शुक्रवार को सोनी चैनल पर हुआ। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ हॉट सीट पर उत्तराखंड के कर्मवीर को बैठे देख उत्तराखण्ड वासियों ने ख़ुशी जाहिर की ।
हिमालय दिवस की तैयारी में डॉ० अनिल प्रकाश जोशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस
डॉ० अनिल प्रकाश जोशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा जीवन और अर्थव्यवस्था के परिग्रह के परिणामस्वरूप ही विश्व पर कोविड -19 महामारी की मार पड़ी है। मानव इतिहास में अब तक की सबसे खराब इस महामारी में पूरे विश्व को पंगु बना दिया है और हर तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी। हमेशा की तरह इस बार भी दुनिया भर में प्रकृति की बिगड़ते हालातों पर केवल बहस ही हुई है इसी बीच सोशल मीडिया पर प्रकृति के सुधार हालातों से संबंधित विभिन्न खबरें भी वायरल हुई। कहीं ना कहीं हमें ये तो पता है कि हमने प्रकृति के साथ जो भी ज्यातियां की हैं कोरोना उसी का नतीजा है। हम इस तथ्य को समझने में पूरी तरह असफल रहे हैं कि आखिरकार दो प्रकृति ही है जो हमारे भाग्य को निर्धास्ति करती है और अगर हम अपनी सीमाओं को पार करेंगे तो प्रकृति ही उसका हिसाब करेगी। इस दौरान खासतौर से जब कोविड 19 एक असाधारण वैश्विक आपदा बन कर उभरा तय प्रकृति ने आम जनमानस का ध्यान खींचा। ये भी सच है कि मनुष्य ने अपने लालम व विलासिताओं के लिये प्रकृति का दोहन करने की सारी सीमाओं को पार कर दिया है। अब समय आ गया है कि जब हम सबको अपने अस्तित्व और जीवन के सार को बचाने के लिये सामूहिक रूप से प्रकृति के संरक्षण हेतु जुटना होगा। इसके अलावा विभिन्न पारिस्थितिकी इकाईया जिनका मानव सभ्यता के विकास में अभूतपूर्व योगदान है उन्हें बचाने के लिये समझबूझ और जोश के साथ आना होगा वर्ना हम उन्हें हमेशा के लिये खो देंगे। जैसे कि अंटार्कटिका और हिमालय का उदाहरण हमारे सामने है जो कि आज विघटन की कगार पर है।
हिमालय सदियों से विभिन्न जीवन सहायक संसाधनों का केन्द्र रहा है जिनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यह अपने जल, मृदा और वायु से बहुत से देशों की प्रत्यक्ष व अप्रत्यस रूप से सेवा करता है। कृषि को बढ़ावा देकर विभिन्न कृषि आधारित उद्योगों को विकसित कर और अपने पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के माध्यम से हिमालय हमारे देश की अर्थव्यवस्था में बृहद रूप से योगदान देता है।
इस वर्ष हिमालय दिवस की विषयवस्तु हिमालय और प्रकृति पर केन्द्रित होगी
हिमालय ने विभिन्न पारिस्थितिकी संकटों से हमारे देश की सुरक्षा की है इसलिये भी इस कोविड 19 आपदा की विभीषिका के बाद हिमालय को समझने की जरूरत ज्यादा है। हालांकि ये पारिस्थितिकी तंत्र कुछ मोर्चों पर असमर्थ भी हो चुका है पर बावजूद इसकी सेवा में अनवरत हमारे साथ है। इसीलिये इस वर्ष हिमालय दिवस की विषयवस्तु हिमालय और प्रकृति पर केन्द्रित होगी वर्तमान कोविड 19 की महामारी और उसके संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए हिमालय को संरक्षित करने की आवश्यकता है तभी हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा। हिमालय ने अपनी प्रकृति से ही मन विरोधियों के प्रति कवच का काम किया है यहां का अनाज, जड़ी-यूटी. कदमूल फल की व्याख्या शास्त्रों व पुराणों में हैं। यहाँ शुरूआती दौर में वनौषधि व भोजन ही सभी तरह की बिमारियों से दूर रखता रहा है। हिमालय ने यह भी दृश्य है कि वो मात्र देश का मुकुट व सीमाओं की रक्षा नही करता बल्कि मानव समाज की प्रतिरक्षा में भी प्रमुख है।
डॉ० अनिल प्रकाश जोशी ने प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा
इस बार का हिमालय दिवस इन की महिमा जो देश व स्थानीय लोगों की असिनिता आस्था व आर्थिकी पर केन्द्रित रहेगी। इन्ही चर्चाओं के बीच में हिमालय के प्रति सामूहिक कार्य जो यहाँ के संस्थानों व संगठनों द्वारा किये जाने चाहिये की भी पहल होगी। उत्तर-पूर्वी व पश्चिमी हिमालय के निवासी. सामाजिक, राजनैतिक व वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने की कोशिश की आज बड़ी आवश्यकता है सामूहिक प्रयत्नों से ही हिमालय की रक्षा संभव है।
हैस्को बाग में आपका स्वागत है, जाने हैस्को बागों की पूरी जानकारी web news की विशेष रिपोर्ट
देश निर्माण में सामाजिक संगठनों की भूमिका हमेशा ही सराहनीय रही कोविड 19 के व्यापक प्रभाव से लोगों की आर्थिकी पर नकारात्मक असर पड़ा । देश के प्रधनमंत्री ने इन समस्याओं से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की साथ ही किसानों के आमदनी दोगुने करने के सरकार के लक्ष्य पूर्ण करने के लिए भी जरूरी कदम उठाए ।
हैस्को संस्था ने 2018 में किसानों की आय वृद्धि एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए हैस्को बागों की परिकल्पना की , ग्राउण्ड जीरो पर किसानों के सहयोग से वर्ष 2019 में बगीचों का निर्माण किया गया। 2020 में कोविड 19 असर किसानों की आय पर पड़ा , संस्था ने किसानों की आय बढ़ाने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए हैस्को बागों के निर्माण कार्य में गति बढ़ा दी है । इन बागों की सफलता के आधार पर संस्था पूरे प्रदेश मेंबागों को विकसित करने की योजना बनायेगी ।
एक नजर हैस्को बाग प्रोजेक्ट पर
◆हैस्को संस्था द्वारा चकराता क्षेत्र के जाखधार और मजगांव में बागों को विकसित किया जा रहा है।
◆ अभी तक 5 बागों का निर्माण कार्य चल रहा है ।
◆अभी तक हैस्को बागों में 5 हैक्टेयर एरिया पर 2500 पौधे लगाए गए है ।
मजगांव में भविष्य के लिए नर्सरी में अखरोट की पौध तैयार की जा रही है।
◆जाखधार में आम, अमरूद, आड़ू, की नर्सरी तैयार की जा रही है।
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहली बैठक
अप्रैल 8, 2018 में जाखधार में एक बैठक का आयोजन किया गया था । बैठक पदम भूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी जी के निर्देश में रखी गयी थी। क्षेत्रवासियों से वार्ता के दौरान। डॉ जोशी ने पूरे क्षेत्र को फल पट्टी में बदलने की बात रखी साथ ही यह विश्वास भी दिलाया कि आने वाले समय मे क्षेत्र को फल पट्टी में परिवर्तित करने के लिए पूर्ण सहयोग करेंगे ।
बाग विकसित करने की शुरुआती (2019)फ़ोटो
हैस्को बागों में इन बातों का रखा जा रहा है विशेष ध्यान
◆बगीचों को जंगली जानवरों से कोई नुकसान न हो इसके लिए तार बाड़ की भी व्यवस्था भी की गई।
◆बाग किसानों के सामूहिक भी हैं और व्यक्तिगत भी है।
◆भविष्य में इस स्थान पर एक छोटी प्रोसेसिंग इकाई लगाने की संभावना को भी तलाशा जा रहा है।
◆ संस्था द्वारा बागों में पोधों की उपलब्धता में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 2 नर्सरी का निर्माण किया गया।
◆ जैविक खाद की उपलब्धता के लिए कम्पोस्ट पिटों का निर्माण किया गया है।
◆बगीचों में सिचाई की भी उचित व्यवस्था करवाई जा रही है ।
हैस्को बाग पायलेट प्रोजेक्ट (आत्मनिर्भर किसान परियोजना ) के नामित एवं इच्छुक 25 किसान
स्थानीय किसान महावल सिंह नेगी एवं हमीर चौहान के नेतृत्व में कई स्थानीय किसानों को जोड़ कर हैस्को संस्था की आत्मनिर्भर किसान परियोजना जैसे सुंदर परिकल्पना को आत्मसात कर रहे है साथ ही इनका सहयोग सरदार सिंह, निट्टू, शियाराम, श्याम सिंह, मातवर खन्ना, गोपाल दास, जमातू दास, कलमू दास, मुन्ना वर्मा, गजिया दास, गीता दास, कुशालु दास, माया दत्त जोशी, बलवीर जोशी, खजान खन्ना, गोलतू, बल्ली, इंद्र सिंह, शिव दास, रणवीर वर्मा, सूरत राम जोशी, भोलू, नरेंद्र सिंह आदि किसान कर रहे है ।
Dr. Anil Prakash Joshi's most popular video series ARTH Episode -3 Nature Reacts
बॉयोटैक किसान परियोजना के अंतर्गत हैस्को संस्था द्वारा किसानों को एक दिवसीय धान की खेती का प्रशिक्षण दिया गया।
डी बी टी दिल्ली के सहयोग से बॉयोटैक किसान परियोजना के अंतर्गत हरिद्वार जिले के चमरिया गांव में हैस्को संस्था द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें गांव के लगभग सभी किसानों ने प्रतिभाग किया । प्रशिक्षण कार्यक्रम तहत किसानों को प्रभावशील ढंग से किसानी कार्य करने के लिए तकनीकी जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही किसानों की समस्याओं का समाधान भी परियोजना के अंतर्गत किया जा रहा है। किसानों को धान उन्नत किस्म के जानकारी के साथ ही किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली जैसे फसल उत्पादन के साथ बागवानी एवं मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
हेडलाइन्स
◆ प्रशिक्षण कार्यक्रम का विषय एडवांस राइस कल्टीवेशन और पॉली हाउस प्रोडक्शन का अभ्यास विषय पर रहा।
◆50 से अधिक किसानों ने प्रतिभाग किया ।
◆प्रशिक्षण कार्यक्रम 3 सत्रों के माध्यम से पूरा हुआ ।
◆किसानों को धान उन्नत किस्म के जानकारी दी गयी।
कोरोना काल मे परियोजना की विशेष पहल
बॉयोटैक किसान परियोजना के अंतर्गत किसानों को कोविड 19 के रोकथाम के लिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स के अनुसार खेती करने के बारे जानकारी दी गयी साथ ही 3 परिवारों जो कोविड 19 के दृष्टिगत लॉक डाउन के चलते गावं वापिस लौट उन्हें धान की उन्नत किस्म प्रयोग के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध करायी गयी ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित रहे ।
एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 3 सेशन में चला जिसमें 50 से अधिक किसानों ने प्रतिभाग किया । प्रशिक्षण कार्यक्रम में रिसोर्स पर्सन- डॉ राकेश कुमार, रंजना कुकरेती और एम.एम. नेगी रहे । प्रशिक्षण कार्यक्रम 3 सत्रों के माध्यम से पूरा हुआ ।
हैस्को संस्था ने नागथात में लगवाये 500 से अधिक नींबू के पौधे ।
जुलाई-अगस्त माह में हौस्को संस्था द्वारा नागथात क्षेत्र के 10 गांवों में समूहों के माध्यम से बड़े पैमाने में पौधारोपण कार्यक्रम किया गया। जिसमे बच्चे ,युवा एवं महिलाओं ने उत्साह दिखाया । इस बरसात 500 से अधिक निम्बू के पौधे लगाए गए ।
नागथात क्षेत्र के इन गांव में किया गया पौधारोपण
लाछां, सिल्ला , द्विना, बिसोई, खुन्ना, अलमान,रखटाड, क्वासा, काण्डोई, मैसासा गांव में जुलाई अगस्त के माह में संस्था द्वारा पौधारोपण किया गया ।
बच्चों व युवाओं ने बढ़ चढ़ के प्रतिभाग किया ।
Bmz और TDH के सहयोग से हैस्को द्वारा ग्रामीण विकास के लिए परियोजना चलाई जा रही जिसके अंतर्गत महिला, युवाओ एवं बच्चों के समूहों का गठन किया गया । बच्चों के समूह में बाल अधिकारों के साथ साथ पर्यावरणीय अधिकार भी खेल खेल में बताये जाते है । साथ ही कुछ अन्य गतिविधियों से भी बाल मन को प्रकृति से जोड़ने का कार्य किया जाता है । इस बरतसात के मौसम में बच्चों ने अपने घर के आस पास व खेतों में पौधे रोपे साथ उनकी देखभाल करने की ज़िमेदारी भी समूह के सभी सदस्यों ने ली । बच्चों को यह पर्यावरणीय गतिविधि बहुत अच्छी लगी व आगे भी अपने जन्म दिन व अन्य शुभावसरों पर पौधे रोपने की इच्छा जताई व अपने समूह की मासिक बैठकों में भी अपने अपने पौधे की वर्तमान स्थिति की जानकारी देंगे ।
महिलायें ने भी अपनी ज़िमेदारी निभाई ।
गाँव मे परियोजना के अंतर्गत 10 गांव में 10 महिला समूहों का गठन किया गया है जिसमें लगभग सभी परिवारों की महिलाएं समूह की सदस्य है। इन समूहों को समूह प्रबंधन की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी जाती है । समूह द्वारा स्वरोंजगार ,महिला अधिकार, स्वछता, हेल्थ एन्ड हाइजीन, सरकारी योनजाओ आदि विषयों पर गोष्टी, सेमिनार ,वर्कशॉप, आदि का आयोजन समय समय पर होता रहता है । साथ ही प्रत्येक माह समूह की मीटिंग होती है इस बरसात के मौसम से पहले ही बैठकों में बड़े स्तर पर पौधारोपण करने का निर्णय लिया गया था उसके बाद हैस्को संस्था द्वारा पौधे उपलब्ध कराए गए । महिलाओं ने जुलाई-अगस्त के माह में खूब पौधारोपण किया।
डॉ अनिल प्रकाश जोशी की "अर्थ" वीडियो सीरीज से आसान भाषा में समझिए पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को
पदम भूषण व पर्यावरणविद् डॉ अनिल प्रकाश जोशी पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को वीडियो सीरीज के माध्यम से जानकारी दे रहे है, अभी तक अर्थ वीडियो सीरीज के दो भाग प्रसारित किए गए है , अर्थ वीडियो सीरीज के सभी भाग यू ट्यूब चैनल और प्रसारित किए जाएंगे । डॉ अनिल प्रकाश जोशी द्वारा प्रसारित अर्थ वीडियो सीरीज देखने के लिए यू ट्यूब चैनल से जुड़ें ।
अर्थ वीडियो सीरीज के पार्ट -1 में अर्थवेद के मंत्र माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या के आधार पर वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को समझाया गया है ।
पृथ्वी की उत्पति जानने के लिए ....जुड़िए डॉ अनिल प्रकाश जोशी से और सुनिए उनकी जुबानी..अर्थ वीडियो सीरीज पार्ट -1 में
अर्थ वीडियो सीरीज पार्ट -2
जले विष्णु थले विष्णु.... जल और थल दोनों में विष्णु का वास है, दोनों ही जीवन को पनपाते हैं,अर्थ वीडियो सीरीज का पार्ट -2 में जल से हुए जीवन की उत्पत्ति का सार को समर्पित है ।
जीवन की रहस्यमयी उत्पत्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से
जानने के लिए जुड़िए डॉ अनिल प्रकाश जोशी से और सुनिए उनकी जुबानी..अर्थ वीडियो सीरीज पार्ट -2 में
पहाड़ों में हैस्को की बरसात के पानी की बूंद बूंद बचाने का अभियान
उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न जनपदों के साथ साथ देश के अन्य राज्यों में डॉ अनिल प्रकाश जोशी द्वारा संचालित हैस्को संस्था की बसासत के पानी की बूंद बूंद बचाने के अभियान की वेब न्यूज़ की एक्सक्लूजिव रिपोर्ट
बरसात का पानी पहाड़ और पहाड़ियों के काम लाने की सफल अभियान
उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न जनपदों के साथ साथ देहरादून जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र नाग थात के गांवों में पानी की समस्या को देखते हुए हैस्को संस्था ने जरूरत मंद परिवारों को 750 ली कि टंकी उपलब्ध कराई जिससे पानी वर्षा जल एकत्र कर घर के कामों में प्रयोग किया जा सके ।
इस बरसात पानी की एक एक बूंद इकठ्ठा करने के लिए तैयार रहें, पानी बनाना नही बचाया जा सकता है - डॉ किरन नेगी, सीनियर साइंटिस्ट , हैस्को
जल संरक्षण के संदेश के साथ आत्म निर्भर भारत की ओर,
वर्षा जल को संरक्षित कर एक ओर डॉ अनिल प्रकाश जोशी जी द्वारा संचालित हैस्को संस्था पर्यवरण के प्रति लोगों की समझ बढ़ाने का काम कर रही है वहीं संस्था के तकनीक विशेषज्ञओं द्वारा गावँ के स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार के साधन गांव में ही उपलब्ध करा कर आत्मनिर्भर भारत अभियान से जोड़ने का कार्य भी कर रहे हैं ।
पानी की समस्या हमेशा बन रहती है गांव के पंचायती नल से पानी भर के लाना पड़ता है , संस्था द्वारा दी गयी टंकी में बारिश का पानी भरने से बर्तन धोने , कपडे धोने आदि घर के कामों के लिये पानी लाने की आवश्यकता नही पड़ेगी - गांव की महिला लाभार्थी
पर्यावरणविद् , हैस्को के संस्थापक डॉ अनिल प्रकाश जोशी की बहुचर्चित वीडियो सीरीज "Arth" देखने के लिए क्लिक करें
डॉ अनिल प्रकाश जोशी से और जानिये पृथ्वी की उत्पत्ति के गूढ़ विज्ञान को....यू ट्यूब चैनल से जुड़ने के लिए क्लिक करें
ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा जल संचय करने के मुख्य तरीके
◆छत प्रणाली
इस तरीके में आप छत पर गिरने वाले बारिश के पानी को संजय करके रख सकते हैं। ऐसे में ऊंचाई पर खुले टंकियों का उपयोग किया जाता है जिनमें वर्षा के पानी को संग्रहित करके नलों के माध्यम से घरों तक पहुंचाया जाता है। यह पानी स्वच्छ होता है जो थोड़ा बहुत ब्लीचिंग पाउडर मिलाने के बाद पूर्ण तरीके से उपयोग में लाया जा सकता है।
◆भूमिगत टैंक
यह भी एक अच्छा तरीका है जिसके माध्यम से हम भूमि के अंदर पानी को संरक्षित रख सकते हैं। इस प्रक्रिया में वर्षा जल को एक भूमिगत गड्ढे में जमा किया जाता है जिससे भूमिगत जल की मात्रा बढ़ जाती है।
◆ सतह जल संग्रह सिस्टम
सतह जल वह पानी होता है जो वर्षा के बाद ज़मीन पर गिर कर धरती के निचले भागों में बहकर जाने लगता है। नालियों में जाने से पहले सतह जल को रोकने के तरीके को सतह जल संग्रह कहा जाता है। ड्रेनेज पाइप के माध्यम से वर्षा जल को कुआं, नदी, तालाबों में जमा करके रखा जाता है जो बाद में पानी की कमी को दूर करता है।
◆ वाटर रिचार्ज सिस्टम
इस सिस्टम अंतर्गत गेबियन स्ट्रेचर , ट्रेंचस, वाटर पौंड, बृक्षारोपण कर वर्षा जल से जलस्रोतों का जल स्तर बढ़ाया एवं पुनर्जीवित किया जा सकता है , हैस्को संस्था विगत कई वर्षों से इस प्रणाली पर शोधपूर्ण कार्य कर रही है जिसकी जानकारी दूसरे आलेख में विस्तारपूर्वक दी जाएगी ।
वर्षा जल संचयन के
◆घरेलू काम के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी बचा सकते हैं और इस पानी को कपड़े साफ करने के लिए खाना , बर्तन एवं घर साफ करने के लिए, नहाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
◆वर्षा जल संचयन या रेन वाटर हारवेस्टिंग से ज्यादा से ज्यादा पानी को अलग-अलग जगहों में इकट्ठा किया जाता है ज। अलग-अलग जगहों में पानी का संचयन करने के कारण जमीन पर बहने वाले जल की मात्रा में कमी आती है जिससे प्राकृतिक आपदा को रोकने में मदद मिलती है।
◆ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक पानी को इस्तेमाल करने से स्वच्छ पीने लायक पानी को हम ज्यादा से ज्यादा बचा सकते हैं। वर्षा पानी को शौचालय के लिए, नहाने के लिए और बर्तन धोने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
◆वर्षा जल संचयन से क्यारियों घर के आस पास के किचन गार्डन, बैकयार्ड गार्डन में पानी से सिंचाई की जा सकती है ।
◆ वर्षा जल संचयन से जलस्रोतों का पानी बढ़ाया जा सकता है , जिससे गर्मियों में पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है।