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शनिवार, 15 मई 2021
शनिवार, 1 अगस्त 2020
कोरोना से बुरी तरह प्रभावित पर्यटन को फूलों की घाटी से आस, आज से पर्यटकों के लिए खुली की घाटी ।।web news।।
कोरोना काल में फूलों की घाटी के दीदार कर सकेंगे पर्यटक
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी आज से पर्यटकों की आवाजाही के लिए लिए खोल दी गई है। पर्यटक अब घाटी में फूलों की खूबसूरती देखने आ सकेंगे। हालांकि घाटी 1 जून को ही खोल दी गई थी। लेकिन, कोरोना संक्रमण के चलते अब तक एक भी पर्यटक घाटी के दीदार को नहीं पहुंचा। अब नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने निर्णय लिया है कि कोरोना गाइडलाइन के तहत पर्यटकों की घाटी में आवाजाही कराई जाएगी। फूलों से गुलजार घाटी को इस समय पर्यटकों का इंतजार है। जिला पर्यटन अधिकारी उम्मीद जताते हैं कि कोरोना संक्रमण का असर कम होने के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। इन दिनों घाटी में लगभग 350 प्रजाति के रंग-बिरंगे फूल खिले हुए हैं। इसके अलावा पर्यटक नदी, झरने, दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीव, परिंदों के साथ ही औषधीय वनस्पतियां भी देख सकते हैं।सितंबर के आसपास घाटी में 550 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। जिसमें उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल भी शामिल है। अक्टूबर तक खुली रहने वाली घाटी में वर्ष 2018 में करीब 14 हजार पर्यटक पहुंचे थे। जबकि बीते बर्ष 2019 में 17 हजार 640 पर्यटक पहुंचे। जिनसे पार्क प्रशासन को 27 लाख 60 हजार 450 रूपए की आमदनी हुई। कोरोना से इस वर्ष पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
बुधवार, 10 जून 2020
पॉजिटीव वेब : बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए सरकार ने खोले द्वार , जाने क्या है पूरी खबर ।।web news।।
श्री बदरीनाथ धाम में दर्शन हेतु सरकार की गाइडलाइंस जारी कर दी है ।
30 जून तक राज्य के लोगों के बाबा केदारनाथ के दर्शन की अनुमति सरकार द्वारा दी गयी है। इस दौरान दर्शन के अभिलाषी भक्तों को सम्बंधित धाम के लिए एडवांस में निशुल्क टोकन लेना होगा। टोकन की समय सीमा के भीतर ही दर्शन की अनुमति मिलेगी। श्रद्धालुओं को 2 मीटर की दूरी बनाकर पंक्तिबद्ध होना होगा। गर्भगृह में दर्शन के लिए केवल 1 मिनट का वक्त मिलेगा।बद्रीनाथ धाम में एक दिन में अधिकतम 1200 श्रद्धालु दर्शन कर सकते है साथ दर्शन का समय निर्धारित करते हुए सुबह 7:00 से सांय 7:00 तक का कर दिया गया है।गाइडलाइन के मुख्य बिंदु इस प्रकार है ।
◆ धाम में दर्शन का समय प्रातः: 7:00 से सांय 7:00 तक रहेगा ।◆बद्रीनाथ धाम में पधारने वाले समस्त अद्धालुगण/तीर्थ यात्रीगण को अपने स्वयं के स्तर से की गई स्थानों में ही प्रवास करना होगा।
◆ तीर्थ यात्रा गणों को दर्शन हेतु निःशुल्क टोकन प्राप्त करने होंगे, जिन्हें देवस्थानम् बोर्ड द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराया जायेगा।
◆ निःशुल्क दर्शन टोकन प्राप्ति हेतु टेक्सी स्टैण्ड एवं नीलकण्ठ विश्राम गृह के भूतल पर स्थापित काउण्टर से प्राप्त करना होगा।
◆ दर्शन टोकन श्रद्धालुओं/तीर्थयात्रियों को दर्शन से पूर्व में ही प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
निःशुल्क दर्शन टोकन काउण्टर में शारिरिक दूरी बनायें रखना एवं मास्क लगाना अनिवार्य होगा। निःशुल्क दर्शन टोकन में दर्शन हेतु निश्चित समय एवं तिथि अंकित होगी। (उदाहरणत:यदि दर्शन टोकन में 10 बजे का समय अंकित किया गया है तो यात्रीगण 10:59 मिनट तक भी दर्शन पंक्ति में पंक्तिबद्ध हो सकता है)
◆तीर्थयात्रियों/श्रद्धालुओं को दर्शन टोकन में अंकित समय पर दर्शन लाईन में दर्शन हेतु मन्दिर परिसर में निर्धारित लाईन में पंक्तिबद्ध होना पड़ेगा।
1 घण्टे में 120 दर्शनार्थ का दर्शन का पुण्य लाभ अनुमन्य होंगा।
◆ दर्शन हेतु मन्दिर के अन्दर सभा मण्डप में 30 सेकेण्ड का समय अनुमन्य होगा।
◆ दर्शन पंक्ति 240 मीटर की होगी, जो कि सिंह द्वार से ब्रहमकपाल तिराहे पैदल मार्ग तक 2-2 मीटर की दूरी पर बनाये गये चिन्हित गोले पर यात्रियों को एकल पंक्तिबद्ध खड़ा होना होगा।
◆ विशेष पूजा में संपादित करने वाले यात्रियों को सामाजिक दूरी के दृष्टिगत सभा मण्डप में बैठने की अनुमति नहीं होगी, उन्हें दर्शन (धर्म दर्शन) निर्धारित स्थान (मचान) से अनुमन्य होगा।
◆ बदरीनाथ धाम में उक्त प्रक्रिया तहत प्रतिदिन 1200 अद्धालुओं को निःशुल्क टोकन आंवटित किये जायेंगे, जो तदनुसार सभी शासन प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुये दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त कर पायेंगे। निःशुल्क टोकन 1 व्यक्ति को एक समय में 3 से अधिक टोकन आंवटित नहीं किये जायेंगे। टोकन की जांच सिंह द्वार में की जायेगी।
शुक्रवार, 15 मई 2020
चार धाम : बदरीनाथ धाम के कपाट खुले यात्रियों को करना होगा इंतजार।।web news।।
आज सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर खुले श्री बद्रीनाथ जी के द्वार
श्री बदरीनाथ धाम।। प्रात: 4 बजकर 30 मिनट कृष्ण अष्टमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र में पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट विधि विधान व विशेष पूजा अर्चना करके दैनिक पूजा के लिए खोले गए । इसी के साथ चार धामों के कपाट खुल गए है, गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट 26 अप्रैल को व केदारनाथ धाम के 29 मई के दिन खुल गए थे।देश के चार धामों में एक धाम श्री बद्रीनाथ धाम जी के कपाट खुलने के सुअवसर पर आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं। भगवान विष्णु विश्व कल्याण के लिए ही अवतरित हैं। हम सभी देशवासी भगवान बद्रीविशाल से यहीं कामना करते हैं कि विश्व का कल्याण हो और संकट के इस समय में संपूर्ण मानव जाति पर उनका आशीष बना रहे। जय बद्री विशाल- डॉ रमेश पोखरियाल निशंक , केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार
श्री बद्ररीनाथ धाम के कपाट खुलने पर सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत लाॅकडाउन की स्थिति में आम श्रद्धालुओं को भगवान बदरीनाथ जी के दर्शन की कुछ प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। भगवान बदरीनाथ जी के आशीर्वाद से हम इस वैश्विक महामारी को हराने में अवश्य सफल होंगे। आपके समस्त मनोरथ पूर्ण हों, ऐसी भगवान बदरी विशाल से कामना करता हूं- त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड
इस बार श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा बदरीनाथ धाम को फूलों से सजाया गया है।
बद्रीनाथ धाम कपट खुलने के शुभ अवसर पर सीमित लोग उपस्थित रहे क्योंकि वैश्विक माहमारी कोरोना वाइरस के संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉक डाउन घोषित है , इसके मध्यनजर सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य सरकारी एडवाइजरी का पालन करना अनिवार्य है । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के चार धामों के कपाट खुले है जबकि कोरोना महामारी संकट टलने के बाद सभी को शीघ्र चारधाम यात्रा शुरू होने की उम्मीद है।
गुरुवार, 14 मई 2020
CharDham Yatra : श्री बदरीनाथ धाम पहुंचे आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी कल सुबह खुलेंगे कपाट जाने क्या है पूरी जानकारी ।। web news।।
15 मई को प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर खुलेंगे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट।
श्री बदरीनाथ धाम।। कल 15 मई प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे । इस शुभ अवसर पर कम लोग उपस्थित रहेंगे क्योंकि वैश्विक माहमारी कोरोना वाइरस के संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉक डाउन घोषित है , इसके मध्यनजर सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य सरकारी एडवाइजरी का पालन करना अनिवार्य है । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के चार धामों के कपाट खुले है जबकि कोरोना महामारी संकट टलने के बाद सभी को शीघ्र चारधाम यात्रा शुरू होने की उम्मीद है।![]() |
श्री बद्रीनाथ धाम की सुन्दर फूलों से सजावट |
इस बार श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा बदरीनाथ धाम को फूलों से सजाया गया है।
कम संख्या में बदरीनाथ धाम जाने की अनुमति प्रशासन द्वारा दिये जाने के कारण देवस्थानम बोर्ड तथा सीमित संख्या में हकूकधारी बदरीनाथ धाम पहुंचे। कपाट खुलने की प्रक्रिया से जुड़े कम से कम लोगों को श्री बदरीनाथ धाम जाने की अनुमति दी गयी है।
कल प्रात: 3 बजे से कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। कुबेर जी, श्री उद्धव जी एवं गाडू घड़ा दक्षिण द्वार से मंदिर परिसर में रखा जायेगा।कल 15 मई प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर कृष्ण अष्टमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे-डा.हरीश गौड़, मीडिया प्रभारी ,उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड
मंगलवार, 12 मई 2020
Hillywood News : lockdown में गाँव वापसी दर्शकों को खूब भायी जाने क्या है पूरी कहानी ।। web news ।।
गाँव वापसी पहाड़ का दर्द समेटे सुखद जीवन की ओर ले जाने वाली सच्ची कहानी
कोरोना वाइरस संकट के चलते लॉक डाउन प्रवासियों की हो रही है गाँव वापसी
ऐसा फ़िल्म लिखते समय सोचा भी नही जा सकता था कि लोग भारी संख्या में गाँव वापसी करेंगे। लेकिन जब संकट की घड़ी आती है तो अपना गाँव अपनी मिट्टी की याद जरूर आती है । लॉक डाउन में जब लोग परेशान हो रहे थे तो गाड़ी न मिलने के बाद भी पैदल ही घर पहुचने की कोशिश कर रहे थे। उत्तराखंड में लाखों लोग गांव लौट चुके है या फिर इंतजार में है पलायन आयोग की रिपोर्ट भी आ चुकी है कि लोग यही रोज़गार की तलाश में है ऐसे लोगों को गांव वापसी फ़िल्म देखकर स्वरोजगार के विकल्प पर जरूर सोचना चाहिए ।गावँ वापसी फ़िल्म देखने के लिए इस लिंक पर जाएं-https://youtu.be/GpetPqo9ayI
जानिए "गाँव वापसी" हिन्दी में क्यों ??
बहुत सारे मित्रों ने यूट्यूब में फिल्म की जमकर तारीफ़ की है । साथ ही यह नाखुशी भी जताई कि गढ़वाली पृष्टभूमि की कथा वस्तु होने के बावजूद फिल्म हिन्दी में क्यों, तो पहले तो मैं इन सभी भाइयों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ । पर साथ ही इसका कारण भी बताता हूँ कि - क्यूँकि आज सम्पूर्ण पहाड़ (उत्तराखण्ड) पलायन की पीड़ा से जूझ रहा है। फिल्म का मकसद सम्पूर्ण उत्तराखंड के उन लोगों को वापस पहाड़ जाने एवं पुश्तैनी कृषि को पुनः करने के लिए प्रेरित करना है जो रोजगार के अभाव में पहाड़ छोड़ आये हैं और दूर प्रदेशों में मामूली से पैसों के लिए कष्टपूर्ण जिंदगी जीने को मजबूर हैं। दोस्तों वैसे तो हमने पूर्ण वातावरण और टोन पहाड़ी ही रखा है, फ़िल्म की भाषा हिन्दी होने के बावजूद पूरा गढ़वाली "फ़ील" दे रही है फिरभी दोस्तों इसका मूल कारण बताता हूँ कि 'फ़िल्म को बनाने का मूल मकसद उत्तराखंडियों को अपनी कृषि और गाँव के प्रति आकर्षित करना है, प्रेरित करना है। लेकिन फिल्म में के जाने वाली बात आम लोगों समझ में आनी चाहिए। मगर दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि उत्तराखण्ड में गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी के अलावा गढ़वाल छेत्र में - रवाल्टा,जाड़भाषा, भाषा, बंगाली, अच्छा, तोल्छा, जौनपुरी तथा कुमाऊं छेत्र में कुमइया, सोयाब, अस्कोटी, सीराली, खसपर्जिया, चौंक खर्सिया, रंगोलीआदि लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक उपबोलियाँ बोली जाती हैं। इन भाषाओं को बोलने वाले अधिकांश लोगों को गढ़वाली नहीं आती. जबकि यह फिल्म प्रदेश की 50 लाख से अधिक हिन्दी भाषी गैर गढ़वाली जनता तथा नेता और नौकरशाहों को दिखाना भी मकसद है. क्यूंकि इन सबका पहाड़ के प्रति ध्यान जगने से ही पहाड़ वापसी और विकास का सपना रफ़्तार से पूरा होगा। फ़िल्म को सभी देख सकें समझ सकें अतः इस उद्देश्य से फ़िल्म की भाषा हिंदी रखी है। मुझे विश्वास है कि इस ज़वाब से जरूर मेरे सारे गढ़प्रेमी संतुष्ट होंगें, धन्यवाद- प्रदीप भण्डारी, लेखक/निर्देशक, गांव वापसीशनिवार, 9 मई 2020
Lockdown effect: लॉक डाउन में सहस्त्रधारा की ऑनलाइन यात्रा ।। web news ।।
गर्मियो में ठंडक दिलाने वाला सहस्त्रधारा इन बार लॉक डाउन की चादर ओढ़े आराम कर रहा है ।
Sahastradhara ।। देहरादून के सबसे नजदीकी पर्यटक स्थलों मे लोकप्रिय सहस्त्रधारा मे इन दिनो हजारो की संख्या में प्रतिदिन सैलानी घूमने व नहाने आते थे। सहस्त्रधारा की विशेषता है की यहां पर प्राचीन शिव मंदिर है कहा जाता है इस मंदिर में गुरु द्रोणार्चाय जी ने बैठकर तपस्या की थी तथा मंदिर के पास गुफाए है ओर उन गफाओ व मंदिरो के ऊपर सैकडो जल की धाराऐ टपकती रहती है जिसके नाम से प्रसिद्ध है सहस्त्रधारा । सहस्त्रधारा मे गंधक का जल भी बहुत मशहूर है जिसमे कहां जाता है की उस पानी के पीने से नहाने से शरीर के चर्म रोग जैसे-खाज खुजली फोडे फुन्सी आदि ठीक हो जाती है ओर गैस कब्ज ठीक होता है । लेकिन कोरोना जैसी वैश्विकमहामारी के चलते पूरे देश मे देशव्यापी लाकडाउन के चलते सहस्त्रधारा मे इसका असर साफ देखा जा सकता है जहां पर हजारों लोग प्रति दिन परिवार व दोस्तो के साथ घुमने नहाने के लिए आते थे आज पुरा सहस्त्रधारा सुनसान पडा है जंहा इस समय पर पैदल चलने तक का रास्ता नही मिलता था आज वहां सारी दुकाने होटल रेस्टोरेंट ढाबे व अन्य सभी लोगो के छोटे छोेटे रोजगार बंद पडे है जिसके कारण लोगो के सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया है । स्थानीय व्यापारियो पर इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है क्योकी स्थानीय व्यापारी अपने तीन महीने के अप्रैल मई जून सीजन पर ही निर्भर करता है तीन महिने कमाकर पूरे साल का गुजर बसर करने को मजबूर रहते है । सहस्त्रधारा के मार्केट में खिलौने, गिफ्ट आइटम की दुकानें, फ़ास्ट फूड ,रेस्टोरेंट्स, भेलपुरी- चोले कुल्चे वाले, तालाबों में स्वामिग कॉस्ट्यूम, लॉकर, रबर ट्यूब वाले छोटी छोटी आर्थिक गतिविधियों से जुड़े तीन माह दिन रात एक करके मेहनत करते है । सरकार द्वारा लॉक डाउन से उभरने के लिए राहत पैकेज में आफत की इस घड़ी में होटल व्यवसायी, वाटर पार्क के साथ साथ छोटे छोटे आर्थिक गतिविधियों से जीवप यापन करने वाले लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए।![]() |
सहस्त्रधारा अप्रैल 2019 |
सहस्त्रधारा की संक्षिप्त जानकारी
सहस्त्रधारा एक खूबसूरत व लोकप्रिय पर्ययन स्थान है, जो देहरादून से लगभग 11 किमी की दूरी पर है। सहस्त्रधारा का शाब्दिक अर्थ 'हजार गुना वसंत' है । यहाँ एक सुंदर झरना लगभग 9 मीटर गहरा है, बाल्दी नदी और उसके आसपास के क्षेत्र में स्थित गुफायें, स्थानीय लोग छोटे छोटे कृत्रिम तालाबों का निर्माण आजीविका के लिए बनाते है जो यात्रियों को लुभाते है और इस जगह की सुंदरता को बढ़ते हैं, और इसे एक आदर्श पिकनिक स्थल बनाती हैं । जगह की अद्भुत आभा मानसून के दौरान कई गुना बढ़ जाती है, यहां बहता हुए पानी की धारा जीवन शक्ति और ऊर्जा के साथ प्रतिध्वनित होती है। ऐसा कहा जाता है कि, सल्फर की उपस्थिति के कारण इस झरने के पानी में औषधीय गुण होते है इसलिए त्वचा रोगों से पीड़ित लोग इस जगह पर अपने रोगों के इलाज के लिए झरने में स्नान करने के लिए आते है । यहाँ के पानी में सल्फर के अलावा, चूना भी शामिल है, जिसकी वजह से चुने की गुफाएं बन जाती हैं।![]() |
सहस्त्रधारा अप्रैल 2020 |
सहस्त्रधारा पर्यटक स्थल से ऑनलाइन जुडने के लिए महत्वपूर्ण लिंक -
पर्यटन स्थल सहस्त्रधारा से जुड़ी ताज़ा घटनाक्रमों के लिए फ़ेसबुक पेज विजिट किये जा सकते है।
★ Sahastradhara
★ सहस्त्रधारा युवा संग़ठन
इन पेजों के एडमिन का विशेष आभार हम इस संक्षिप्त आर्टिकल माध्यम से करना चाहते है और आगे भी उम्मीद रखते है इन पेज संचालकों के माध्यम से नवीन गतिविधियों उपलब्ध होती रहेंगी।
यदि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी कम नही हुयी या समय रहते इसकी वैक्सीन नही बनी तो देश मे पर्यटक से जुडे लोगो पर रोजी रोटी तथा आर्थिकी संकट गहरा जायेगा जिसके कारण देश मे भूखमरी जैसे हालता उत्पन्न हो सकते है । सुनील चमोली बताते है इस समय पर व्यापारी व व्यवसायी लोग काफी परेशान हताश व निराश है क्योकी सरकार ने जरुरत के सामान की। दुकान खोलने के निर्णय तो ले लिये है लेकिन पर्यटक क्षेत्र पूर्णतया प्रतिबंद रहेगे सरकार को पर्यटको से जुडे लोगो के बारे मे विचार करना चाहिए ओर उनके बारे मे भी उचित निर्णय लिया जाना चाहिए । जो लोग सहस्त्रधारा मे तालाबो मे टियूब किराये पर देकर अपनी गुजर बसर करते है उन लोगो के बारे मे सरकार को विचार करना चाहिए -सुनील चमोली सामाजिक कार्यकर्ता/होटल व्यवसायी सहस्त्रधारा, देहरादून
यह भी पढ़ें- Uttrakhand tourism : चम्बा के सौंदर्य दर्शन ।। web new ।।
मंगलवार, 28 अप्रैल 2020
Uttrakhand tourism : चम्बा के सौंदर्य दर्शन ।। web new ।।
चम्बा की एक झलक पर web news का आलेख
चम्बा भारत के उत्तराखंड राज्य में टिहरी गढ़वान जिले का सुदर हिल स्टेशन और शहर (कस्बा) है। यहां से बर्फ से ढके स्वर्णिम पहाड़ महान हिमालय और भागीरथी घाटी का मनोरम नजारा देखा जा सकता है। चम्बा मसूरी मोटर मार्ग के आस पास की फल एवं सब्जी पट्टी स्वादिष्ट सेबों और जैविक सब्जियों के लिये प्रसिद्ध है। चम्बा बाज-बुराँश के पेड़ों व सेब , खुमानी , काफल के लिए भी प्रसिद्ध है। चम्बा गांवों से घिरा सुंदर हिल स्टेशन है। आस पास के गांवों का मुख्य बाजार होने के कारण चम्बा वासियों का मुख्य व्यवसाय व्यपार तथा आसपस के क्षेत्र में कृषि व दुग्ध व्यवसाय पर आर्थिकी निर्भर है। चम्बा अपने प्राकृतिक परिवेश और प्रदूषण रहित खूबसूरती क लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। देवदार और चीड़ के पेड़ों से घिरा हुआ, चंबा का अन्नवेषित इलाका प्रकृति प्रेमियों के लिए एक सपनों की दुनिया के सामान है।चम्बा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि- चंबा वही वीर भूमि हैं जहाँ प्रथम विश्व युद्ध के दौरान नायक रहे विक्टोरिया क्रास विजेता शहीद गब्बर सिंह जन्मे थे | प्रथम विश्व युद्ध में यहाँ के 36 सैनिक शामिल हुए, जिसमें से चार शहीद हो गए थे| तब से लेकर आज तक इस गाँव के अधिकांश युवा सेना में रहकर देश की सेवा में लगे हैं|
टिहरी रियासत को राज परिवार से मुक्त करने के 84 दिन तक अन्नशन करने वाले क्रांतिकारी श्रीदेव सुमन चबा के निकट जौल गावँ के थे।
चम्बा की भौगोलिक स्थित- चम्बा टिहरी बांध जलाशय और नई टिहरी के साथ मसूरी और ऋषिकेश को जोड़ने वाली सड़कों के एक जंक्शन पर स्थित है। चम्बा समुद्र तल से 1524 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
चम्बा की अन्य जगहों से दूरी - चम्बा टिहरी झील से 19 किमी ,नई टिहरी से 11 किमी , मंसूरी से 60 किमी, नरेंद नगर से 48 किमी, ऋषिकेश से 60 किमी , देवप्रयाग से 22 किमी, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून 88किमी , नई दिल्ली से 302 दूरी पर स्थित है।
चम्बा का मौसम -चम्बा का मौसम लगभग साल भर ठण्डा एवं सुनहरा रहता है । गर्मी के मौसम के दौरान अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता है, जबकि न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। जुलाई के महीने में इस क्षेत्र में मानसून के मौसम की शुरुआत हो जाती है। मानसून के दौरान चम्बा में सामान्य से कम बारिश होती है। बारिश के मौसम के तुरंत बाद सर्दियों का मौसम लग जाता है जो कि नवंबर के महीने से शुरू होता है। इस दौरान न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता है। दिसम्बर से फरवरी के मध्य और कभी कभी मार्च के महीने बर्फवारी होती है। अप्रैल से जून के महीने में भी शीतल हवा चम्बा का मौसम सुहाना बनाती है ।
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चम्बा का सुनहरा मौसम |
क्या है चम्बा में खास - यह हिल स्टेशन अपने सेब और खुबानी के बाग और साथ ही साथ बुरांश के फूलों के लिए जाना जाता है। टिहरी बांध, सुरकंडा देवी मंदिर और ऋषिकेश की ओर बढ़ रहे पर्यटकों के लिए चम्बा एक आदर्श ठहराव स्थल के रूप में कार्य करता है। गब्बर सिंह नेगी मेमोरियल और श्री बागेश्वर महादेव मंदिर कुछ ऐसी लोकप्रिय जगह हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
चम्बा घूमने गए यात्रियों के लिए गब्बर सिंह नेगी के स्मारक काफी लोकप्रिय है। इसका निर्माण 1925 में ठाकुर गब्बर सिंह के सम्मान में बनाया किया गया था जिन्होंने सन 1913 में गढ़वाल राइफल्स में बंदूकधारी सैनिक के रूप में अपनी सेवाएँ दी थीं और साथ ही साथ प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी में अपनी बटालियन के साथ लड़े और युद्ध में विजय हासिल की। अपनी बहादुरी के लिए, उन्हे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, मरणोपरांत विजय क्रॉस के साथ सम्मानित किया गया। हर साल 21 अप्रैल को गढ़वाल रेजिमेंट इस महान योद्धा को अपनी श्रद्धांजलि देती है।
श्री बागेश्वर महादेव मंदिर, चंबा में एक और प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण है। यह एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल है, जहाँ पर्यटक हर साल आते जाते हैं। यह मंदिर हिंदू भगवान, विनाश शिव के लिए समर्पित है और जो हिंदुओं के बीच एक महान धार्मिक महत्व रखती है। माना जाता है कि मंदिर में मौजूद शिवलिंग रहस्यमय तरीके से जमीन के नीचे से निकल के बहर आया था। शिवरात्रि जो की हिन्दुओं का त्योहार है वो यहाँ काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
चम्बा के आस पास के अन्य दर्शनीय जगह-आसपास के पर्यटन स्थल - धनोल्टी, सुरकंडा देवी मंदिर, कानाताल, रानीचौरी, नई टिहरी , टिहरी झील है।
चम्बा उत्तराखंड में माता के तीन सिद्धपीठों के केंद्र में स्थित है- चन्द्रबदनी, सुरकण्डा और कुंजापुरी
चन्द्रबदनी - चंद्रबदनी पहुचने के लिए आपको देवप्रयाग से जामनी खाल होते हुए नैखरि एवं जुराना बैन्ड तक गाड़ी में जाना होगा। यह एक रमनीक स्थल भी है,
सुरकण्डा- चम्बा से काणाताल होते हुए कद्दूखाल तक सडक़ मार्ग से पहुँचकर आगे पैदल मार्ग से यात्रा करके सुरकण्डा देवी के दर्शन किये जा सकते है।
कुंजापुरी-चम्बा से नागनी खाड़ी आगरा खाल होते हुए कुंजापुरी माँ के दर्शन किये जा सकते है ।
इन मे से किसी भी सिद्धपीठों के दर्शन आप उपरोक्त तीनों में से किसी एक मंदिर में खडे होकर कर सकते हैं
चम्बा का मुख्य आकर्षण- 8 गति बैशाख 20-21 अप्रैल चम्बा का मेला (थौल) मुख्य आकर्षण का केंद्र है। आसपास के ग्रामीण , देश-प्रदेश के सैलानी इस दिन का आनंद लेते है ।
चम्बा के थौल के बारे में अधिक जानने के लिए यह पढ़ें- उत्तराखड की सांस्कृति का केंद्र बिन्दु है थौल मेले -विनय तिवारी ।। web news uttrakhand ।।
महत्वपूर्ण जानकारी -
◆ चम्बा का पिनकोड - 249145
◆ चम्बा स्थित स्टेट ब्रांच का IFSCI कोड - SBIN0006534
◆ चम्बा नगर पालिका आफिस का सम्पर्क सूत्र - 01376255308
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चम्बा का आज का दृश्य 28 अप्रैल 2020 |
चम्बा से ऑनलाइन जुडने के लिए महत्वपूर्ण लिंक - पर्यटन हिल स्टेशन चम्बा से जुड़ी ताज़ा घटनाक्रमों के लिए फ़ेसबुक पेज विजिट किये जा सकते है।
★ चम्बा- उत्तराखंड
★ chamba the hill king - tehri garhwal
इन पेजों के एडमिन सुमित बहुगुणा, विनय तिवारी, कृष्णा शर्मा का विशेष आभार हम इस आर्टिकल के माध्यम से करना चाहते है और आगे भी उम्मीद रखते है इन पेज संचालकों के माध्य्म से नवीन गतिविधियों उपलब्ध होती रहेंगी।
चम्बा का समुदायिक रेडियो केन्द्र भी है - 2001 में स्थापित सम्भवतः यह पहला कम्युनिटी रेडियो स्टेशन है जो कम्युनिटी द्वारा कम्युनिटी के लिए चलाया जाता है । सामुदायिक रेडियो हेंगलवाणी से गढ़वाली में समाचार,गीत और अन्य कार्यक्रम प्रसारित होते है । इसे आप इंटरनेट स्ट्रीमिंग व 90.4 MHz पर लाइव सुन सकते है ।
चंबा जाने का सबसे अच्छा समय - यात्री साल के किसी भी समय चंबा घुमने के लिए जा सकते है, फिर भी ये ही सलाह दी जाती है की जब सर्दियाँ अपने खुमार पर होती है उस समय यहाँ यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि बर्फबारी अत्यधिक ठंड आपको परेशान कर सकती है । मार्च और जून के बीच की अवधि, चम्बा और आया पास के दर्शनीय स्थलों की यात्रा और अन्य बाहरी गतिविधियों के लिए आदर्श माना जाती है।
कैसे पहुंचे हिल स्टेशन चम्बा- ऋषिकेश तक रेल से, जैली ग्रांट एयरपोर्ट तक हवाई जहाज से तथा देहरादून तक बस, रेल से पहुंचकर आगे कि यात्रा के लिये बस , टैक्सी हर समय उपलब्ध रहती है आप अपनी कार से भी आसानी से यहां पहुंच सकते है, TGMO की बस सेवा के साथ ही रोडवेज की बस व विश्वनाथ बस सेवा से आरामदायक यात्रा की जा सकती है ।
ऋषिकेश रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो चम्बा से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित है। हिल स्टेशन पहुचने के लिए यात्री यहाँ से टैक्सी किराये पे ले सकते हैं। यहाँ से आप को निकट के शहरों के लिए बसें और टैक्सियां मिल जाएँगी। श्रीनगर, देहरादून, टिहरी, देवप्रयाग, उत्तरकाशी, मसूरी, और ऋषिकेश से आप को चंबा के लिए काफी बसें मिल जाएँगी।
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