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शनिवार, 12 जून 2021

IMA Dehradun : उत्तराखण्ड के 37 युवा जांबाज सेना में शामिल,देश-दुनिया को मिले 425 युवा सैन्य अधिकारी ।web news।

425 जेंटलमैन कैडेट्स बने सेना अधिकारी

12 जून शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून में पासिंग आउट परेड (POP) ओथ सेरेमनी के बाद 425 जेंटलमैन कैडेट्स लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना का अभिन्न अंग बन गए। डिप्टी कमांडेंट जगजीत सिंह ने परेड की सलामी ली। कमांडेंट हरिंदर सिंह ने परेड की सलामी ली। जिसके बाद ले. जनरल आरपी सिंह परेड स्थल पहुंचे और परेड की सलामी ली।पीओपी को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही और आईएमए की तरफ जीरो जोन बना रहा।
आइएमए के एतिहासिक चेटवुड भवन के सामने ड्रिल स्क्वॉयर में परेड सुबह साढ़े छह बजे शुरू हुई। पासिंग आउट बैच के 425 जेंटलमैन कैडेट्स में से 341 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले। जबकि 84 युवा सैन्य अधिकारी 9 मित्र देशों अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, भूटान, मारीशस, श्रीलंका, वियतनाम, टोंगा, मालद्वीव व किर्गिस्तान की सेना का अभिन्न अंग बने। पिछले साल संक्रमण के चलते इस बार भी कैडेटों के परिवार पीओपी में शामिल नहीं हुए।

उत्तराखंड के लिए गौरव का पल 37 जाम्बज बने अफस

मातृभूमि की रक्षा के लिए वीरभूमि उत्तराखण्ड के युवा हमेशा से उत्साहित रहते है । सेना में सिपाही हो या फिर अधिकारी उत्तराखंड के युवा हमेशा आगे रहते है। इस बार भी उत्तराखण्ड के 37 युवा भारतीय सेना में अफसर बने हैं। साथ ही इस बार पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के 66 और हरियाणा के 38 कैडेट्स पास आउट हो रहे हैं ।

राज्यवार कैडेटों की संख्या जो बतौर लेप्टिनेन्ट सेना को देंगे सेना

उत्तर प्रदेश से 66, हरियाणा से 38, उत्तराखंड से 37, पंजाब से 32, बिहार से 29, जम्मू कश्मीर से 18, दिल्ली से 18, महाराष्ट से16, हिमाचल प्रदेश से  16,राजस्थान से 16, मध्य प्रदेश से 14,पश्चिम बंगाल से 10, केरल से 07, कर्नाटक से 07, झारखंड  से 05, मणिपुर से 05, तेलंगाना से 02, गुजरात से 01,गोवा  से 01,उड़ीसा से  01, तमिलनाडु से  01,आंध्र प्रदेश  से  01, लद्दाख से 01, चंडीगढ़ से 01,असम  से 01 व मिजोरम से  01 कैडेट्स सेना को अपनी सेवा देंगे ।

रविवार, 27 सितंबर 2020

IMA News : आईएमए के पास जाम से मुक्ति के लिए अंडर पास का 28 को होगा शिलान्यास, ।।web news।।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 28 सितम्बर को आईएमए में बनने वाली दो टनल का वर्चुअल शिलान्यास करेंगे ।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 28 सितम्बर को दोपहर 3:30 बजे आईएमए देहरादून में बनने वाली दो टनल का वर्चुअल शिलान्यास करेंगे।
आईएमए द्वारा मीडिया को बताया गया कि परियोजना पर 45 करोड़ रुपये की लागत आएगी और यह दो साल में पूरी हो जाएगी। बहुप्रतीक्षित परियोजना से अकादमी का उत्तरी, दक्षिण और मध्य परिसर आपस में जुड़ जाऐंगे । बीच से राष्ट्रीय राजमार्ग-72 गुजरने के कारण परिसर के एक भाग से दूसरे भाग में जाने में असुविधा होती है । अंडरपास से व्यस्त राजमार्ग पर यातायात में भी सुगमता होगी और आईएमए के कैडेट और कर्मियों की भी सुरक्षा होगी।
ई-उद्घाटन में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, पीवीएसएम, यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, एडीसी और सेनाध्यक्ष, जनरल एमएम नरवाने, पीवीएसएम, एवीएसएम द्वारा नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्धघाटन समारोह में प्रतिभाग करेंगे ।


आईएमए में दो सुरंगों के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार से ₹45 करोड़ की स्वीकृति मिल चुकी है। परेड के दौरान आईएमए में सुरक्षा की दृष्टि से माननीय रक्षा मंत्री जी से दो सुरंगों के लिए अनुरोध किया गया था, जिस पर उन्होंने शीघ्र ही अपनी सहमति दी। इसके लिए मैं माननीय रक्षा मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं- त्रिवेंद्र सिंह रावत , मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्य सचिव, उत्तराखंड ओम प्रकाश, कमांडेंट आईएमए, लेफ्टिनेंट जनरल जयवीर सिंह नेगी, पीवीएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, वीएसएम और जीओसी उत्तराखंड सब एरिया, मेजर जनरल आरएस ठाकुर आधारशिला रखने के लिए निर्माण स्थल पर मौजूद रहेंगे।

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

LLSumit2020 : महामारी की वजह से दुनिया के करीब 1 अरब बच्‍चों की शिक्षा तक पहुंच संभव नहीं हो पा रही है ।।Web News।।


लॉरियेट्स एंड लीडर्स फेयर शेयर फॉर चिल्‍ड्रेन समिट का आयोजन 9 और 10 सितंबर 2020 को किया जा रहा है।

बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्‍मेलन का प्रमुख एजेंडा कोरोना महामारी के दौरान और उसके बाद दुनिया के सबसे वंचित और कमजोर बच्चों की दशा को सुधारने के लिए उचित आर्थिक हिस्सेदारी की मांग करना और समाज के साथ मिलकर काम करने पर केंद्रित है। 

लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन समिट में जारी रिपोर्ट के मुख्य अंश


लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन समिट में जारी रिपोर्ट कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान दुनिया में बच्चों की बुरी स्थिति को उजागर करती है दो दिवसीय लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन समिट में आज ‘‘फेयर शेयर फॉर चिल्‍ड्रेन- प्रिवेंटिंग द लॉस ऑफ ए जेनरेशन टू कोविड-19’’ नामक एक रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि जी-20 देशों द्वारा वित्‍तीय राहत के रूप में 8.02 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की गई थी, लेकिन उसमें से अभी तक केवल 0.13 प्रतिशत या 10.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर ही कोविड-19 महामारी के दुष्‍प्रभावों से लड़ने के मद में आवंटित किया गया है। रिपोर्ट में दुनिया के करोड़ों बच्चों के भविष्य की रक्षा के प्रति अमीर सरकारों के असमान आर्थिक रुख को भी दर्शाया गया है। इस समिट का आयोजन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है।

रिपोर्ट खुलासा करती है कि कोरोना महामारी की वजह से स्‍कूलों के बंद रहने से दुनिया के करीब 1 अरब बच्‍चों की शिक्षा तक पहुंच संभव नहीं हो पा रही है। घर पर इंटरनेट की अनुपलब्‍धता के कारण 40 करोड़ से अधिक बच्‍चे ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रमों का उपयोग करने में असमर्थ हैं।
34 करोड़ 70 लाख बच्‍चे स्‍कूलों के बंद होने से पोषाहार के लाभ से वंचित हैं। परिवारों के पास खाना नहीं होने से सबसे कम उम्र के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसलिए अगले छह महीने में 5 साल से कम उम्र के 10 लाख 20 हजार से अधिक बच्‍चों के कुपोषण से काल के गाल में समा जाने का अनुमान है। वहीं, टीकाकरण योजनाओं के बाधित होने से एक वर्ष या उससे कम उम्र के 8 करोड़ बच्‍चों में बीमारी का खतरा बढ़ गया है।


कोरोना महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट की वजह से घरेलू आय में भारी कटौती से सबसे गरीब परिवारों के बच्‍चों का स्‍कूल जाना बंद हुआ है, जिससे वे बाल श्रम, गुलामी, दुर्व्‍यापार और बाल विवाह करने को मजबूर हुए हैं। जहां लॉकडाउन में कमी आई है, वहां बाल श्रमिकों को फिर से काम पर वापस लाया जा रहा है। भारत में भी यह खतरा मंडरा रहा है। 
भारत के 4 करोड़ से अधिक कामगारों को 25 मार्च से 31 मार्च के बीच सरकारी सहायता प्रणालियों की भारी उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ा। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा से संबंधित शिकायतों में भारी वृद्धि हुई। यह रिपोर्ट भारत सहित अन्‍य गरीब देशों की स्थितियों को सामने लाने का काम करती है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ‘‘संकट से पहले की गहरी वैश्विक असमानता, पांव पसारती बीमारियां, लॉकडाउन के गंभीर आर्थिक परिणाम, दुनिया के सबसे कमजोर और हाशिए पर पड़े परिवारों के लिए बेरोजगारी से सुरक्षा जाल की अनुपस्थिति, खाद्य आपूर्ति और कीमतों पर प्रभाव, स्‍कूलों में पोषाहार कार्यक्रमों का बंद होना और बच्‍चों के खिलाफ बढ़ती हिंसा सब ने मिलकर बाल अधिकारों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।’’ 
रिपोर्ट के मुताबिक विश्व अर्थव्यवस्था में इस वर्ष 5.2 प्रतिशत तक गिरावट की आशंका व्‍यक्‍त की गई है। यदि महामारी 2020 से आगे बढ़ती है और अर्थव्यवस्था में इसी तरह गिरावट जारी रहती है तो 40 करोड़ लोगों के अत्यधिक गरीबी में फिसलने का खतरा है। 2 अरब लोग अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में काम करते हैं, जिनकी औसत आय में 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। जिन परिवारों के पास काम नहीं रहने से कोई आय नहीं है, वे भुखमरी का सामना कर रहे हैं।
बच्चों के साथ हिंसा या दुर्व्यवहार की घटनाएं लॉकडाउन के दौरान तेजी से बढ़ी हैं। स्‍कूल जो उन्‍हें दुर्व्‍यवहार करने वालों से सुरक्षा प्रदान करते हैं, उसके बंद होने के कारण ऐसा परिवर्तन देखा जा रहा है। दूसरी ओर बच्‍चों को चाइल्‍ड लाइन वगैरह से जो सुरक्षा मिलती थी, वहां तक सीमित पहुंच के कारण भी उनकी सुरक्षा को दोहरा झटका लगा है।
दुनियाभर में 3 करोड़ से अधिक बच्चे शरणार्थी या विस्थापित हैं। पहले से ही गैर-विस्थापित गरीब-वंचित बच्चों के समान वे भी कई तरह के अभावों का सामना कर रहे हैं। एक तरफ उनको शिक्षा की पहुंच और भोजन तक पहुंच में कमी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ बाल विवाह या बाल श्रम और दुर्व्‍यापार के लिए उन्‍हें मजबूर होना पड़ रहा है। उनके पास कोविड-19 वायरस के दुष्‍प्रभाव से बचने के भी कोई विकल्‍प नहीं हैं।



2014 के नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने रिपोर्ट के निष्‍कर्षो पर टिप्‍पणी करते हुए कहा


रिपोर्ट के निष्‍कर्षो पर टिप्‍पणी करते हुए लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन के संस्‍थापक और 2014 के नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा-"पिछले दो दशकों में हम पहली बार बाल श्रम, गुलामी, गरीबी और स्‍कूलों से बाहर होने वाले बच्‍चों की बढ़ती संख्‍या को देख रहे हैं। यह कोविड-19 के दुष्‍प्रभावों को दूर करने के लिए जो वायदे किए गए थे, उस वायदे को दुनिया की अमीर सरकारों द्वारा पूरा नहीं करने के उनके असमान आर्थिक रुख के प्रत्‍यक्ष परिणाम हैं। मैंने अपना जीवन बाल श्रम को समाप्त करने के लिए समर्पित कर दिया है और सामूहिक प्रयासों से इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। मैं इस अकल्‍पनीय स्थिति को होने देने के लिए तैयार नहीं हूं। दुनिया की सबसे अमीर सरकारें अपने आप को संकट से बाहर निकालने के लिए खरबों का भुगतान कर रही हैं। वहीं समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर पड़े बच्‍चों को अपने रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है। निष्क्रियता कोई विकल्प नहीं है।”

समिट में शामिल होने वाली प्रमुख हस्तियां

कैलाश सत्यार्थी की अगुआई में आयोजित इस समिट में शामिल होने वाली प्रमुख हस्तियों में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा, स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन, भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिता फोर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर के नाम शामिल हैं। इसके अलावा नोबेल शांति विजेताओं में लेहमाह गॉबी, तवाकोल कर्मन, मुहम्मद यूनुस और जोडी विलियम्स सहित कई अन्य वैश्विक नेता भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

समिट की पूरी रिपोर्ट सहित अतिरिक्त जानकारी वेबसाइट पर पर देख सकते है।

www.laureatesandleaders.org

Fair share for children sumit 2020


सोमवार, 6 जुलाई 2020

जन्म दिन विशेष : विश्व शांति दूत दलाई लामा से घबराता ड्रैगन , ।।web news।।


एक नजर दलाई लामा , तिब्बत और भारत के आध्यत्मिक और वास्तविक रिश्ते पर


web news एडिटर डेस्क ।। आज दलाई लामा का 85वां जन्मदिवस है । 14वें दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को हुआ था। बचपन से वे तिब्बतियों की परेशानियों को समझने लगे थे साथ ही इसके लिए वे चीन के खिलाफ आवाज उठाने लगे । भारत ने दलाई लामा को तब शरण दी थी, जब वह मात्र 23 वर्ष के थे । दलाई लामा को मुख्य रूप से शिक्षक के तौर पर देखा जाता है क्योंकि लामा का मतलब गुरु होता है। दलाई लामा अपने लोगों को सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

अपने जन्मदिन के अवसर पर दलाई लामा ने ट्विटर पर अमेरिकन भौतिक विज्ञानी डेविड बोह्म के बारे में स्पेशल ऑनलाइन स्क्रीनिंग की योजना का ऐलान किया है, जिन्हें तिब्बती धर्मगुरु अपने साइंस के गुरुओं में से एक मानते हैं। बता दें कि रविवार को दलाई लामा ने जन्मदिन के एक दिन पहले ताइवान में आयोजित समारोहों के दौरान जनरल टीचिंग ऑन माइंड की ट्रेनिंग भी दी।



चीन के अत्याचार से परेशान होकर दलाईलामा ने भारत में ली शरण

13वें दलाई लामा ने 1912 में तिब्बत को चीन से स्वतंत्र घोषित कर दिया था और इस वजह से सन 1950 में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया और यह तब हुआ जब वहां 14वें दलाई लामा के चुनने की प्रक्रिया चल रही थी। तिब्बत को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा। कुछ सालों बाद तिब्बत के लोगों ने चीनी शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया और अपनी आजादी की मांग करने लगे। विद्रोहियों को इसमें सफलता नहीं मिली। दलाई लामा को लगा कि वह चीन के जाल में बुरी तरह से फंस जाएंगे तो सन 1959 में उन्होंने भारत में शरण ली। दलाई लामा के साथ भारी संख्या में तिब्बती भी भारत आए थे।  भारत में निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों की संख्या 80,000 से अधिक है और सभी हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के हिमालयी शहर में निर्वासन में रहने लगे।

आखिर दलाईलामा के नाम भर से क्यों बढ़ जाती है चीन की बेचैनी

भारत द्वारा दलाई लामा को शरण देना चीन को अच्छा नहीं लगा और उसे डर बना रहा कि दलाईलामा उसके तानाशाही और क्रूरता के बारे में दुनिया को न बता दे। दलाईलामा अक्सर तिब्बत की स्वतंत्रता की बात करते हैं जो कि चीन को हमेशा से नागवार गुजरा है ।

भारत और तिब्बत का धार्मिक रिश्ता

भारत-चीन संघर्ष के दौर में तिब्बत को नहीं भूलना चाहिए । भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश मानसरोवर चीन का तिब्बत पर कब्जे के कारण ही आज चीन के पास है । तिब्बत आध्यात्मिक-सांस्कृतिक वृहत भारत का अंग था कभी। जब तक तिब्बत से भारत की सीमा लगी रही, भारत सुरक्षित रहा। चीन द्वारा इस सीमा का अतिक्रमण करते ही भारत की सीमाएं रण-क्षेत्र बन गयीं।

बुधवार, 20 मई 2020

Corona virus effect : नोबेल विजेता और वैश्विक नेताओं ने बच्चों की सुरक्षा के लिए किया एक ट्रिलियन डॉलर मदद का किया आह्वान ।। web news ।।

International-update

विश्व के 88 नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं ने कोरोना महामारी से बच्‍चों की सुरक्षा के लिए एक ट्रिलियन डॉलर की मदद का किया आह्वान

‘’लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन्‍स’’ संस्‍था की पहल पर नोबेल पुरस्‍कार विजेताओं और वैश्वक नेताओं ने बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर सोमवार को एक बयान जारी किया है। उन्‍होंने विश्‍व की सरकारों से आह्वान किया है कि वे लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद प्रभावित होने वाले बच्‍चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और इस सिलसिले में अपनी एकजुटता दिखाएं।

जाने लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन्‍स संस्था के बारे में

‘’लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन्‍स’’ की स्‍थापना 2014 में नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित विश्व प्रसिद्ध बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने की थी। श्री सत्‍यार्थी चार दशकों से बाल मजदूरी, बाल दुर्व्‍यापार (ट्रैफिकिंग) और बाल दासता के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रहे हैं। इस संस्‍था की स्‍थापना का उद्देश्‍य दुनियाभर में वंचित, पीड़ित और हाशिए के बच्‍चों के सामने पेश आ रही चुनौतियों का समाधान और उनके अधिकारों की आवाज को बुलंद करना है।

इस अवसर पर श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा

इस अवसर पर श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा, ‘’लॉरियेट्स एंड लीडर्स के हम सभी सदस्‍य दुनियाभर की सरकारों को याद दिलाना चाहते हैं कि आपदा के इस गंभीर संकट की घड़ी में समाज में सबसे कमजोर और हाशिए के बच्‍चों को वे नहीं भूलें। हमें अब एक पूरी पीढ़ी को बचाने और उसकी सुरक्षा का उद्यम करना चाहिए।‘’

नोबेल पुरस्कार विजेताओं और वैश्विक नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा....

“कोविड-19 ने हमारी दुनिया में पहले से मौजूद असमानताओं को और उजागर कर दिया है। कोरोना वायरस दुनिया की आबादी के बहुमत पर अपना प्रभाव जारी रखेगा और उसके बाद इसका सबसे विनाशकारी प्रभाव समाज में सबसे कमजोर और वंचित लोगों पर पड़ेगा। महामारी का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बच्चों के शोषण को और बढ़ाएगा। महामारी से बचने के लिए घरों में फंसे बच्चों को यौन शोषण और घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ेगा। लॉकडाउन जैसे-जैसे खुलेगा, बच्चों का दुर्व्‍यापार किया जाएगा। उन्हें अपने परिवारों की आजीविका चलाने के लिए मजबूरन स्‍कूलों की पढ़ाई बीच में छोड़नी होगी और अपने श्रम को सस्‍ते में बेचना पड़ेगा। अगर एक बार के लिए सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले बच्चों और उनके परिवारों को दुनिया की सरकारों से मिलने वाली राशि में से उनका उचित हिस्सा 20 प्रतिशत मिलता है, तो यह मानवता के हक में होगा और इसके परिणाम परिवर्तनकारी होंगे। एक ट्रिलियन डॉलर की जो अपील विश्‍व की सरकारों से की जा रही है, वह एक ओर जहां संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की सभी चैरिटी को पूरा करने में सक्षम होगी, वहीं दूसरी ओर कम आय वाले देशों को जो उनके बकाये का पुनर्भुगतान होना था, वह भी पूरा हो जाएगा। यह राशि 2 वर्षों के उस ग्‍लोबल कमी को भी पूरा करेगी, जिसके तहत सतत विकास लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए स्वास्थ्य, जल, स्वच्छता और शिक्षा पर निवेश करने की बात की जाती है। इससे एक करोड़ से अधिक लोगों की जान बचाई जाएगी। हम जी-20 के नेताओं से अपनी सीमाओं से परे अतिरिक्त कार्रवाई करने पर भी बल दे रहे हैं, जिनकी तत्काल अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता है। हम सभी जी-20 नेताओं को मौजूदा वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का भी भी आह्वान करते हैं।”

हस्ताक्षरकर्ताओं में निम्नलिखित प्रमुख गणमान्‍य शामिल हैं:

• दलाई लामा
• डेसमंड टुटु
• एचआरएच प्रिंस अली अल हुसेन
• लेमाह जोबोवी
• केरी कैनेडी
• रिगोबर्टा मेन्चु तुम
• जोस रामोस-होर्ता
• मैरी रॉबिन्सन
• गाय राइडर
• कैलाश सत्यार्थी

गौरतलब है कि लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन्‍स कैलाश सत्यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) की एक पहल है। 

रविवार, 17 मई 2020

International Update : इजराइल के पीएम बने प्रधानमंत्री मोदी के दोस्त पढे क्या है पूरी खबर।


Pm-israil

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को गठबंधन सरकार बनने पर बधाई दी।

इजराइल में 70 वर्षीय नेतन्याहू और उनके प्रतिद्वंद्वी से सहयोगी बने बेनी गैंट्ज ने मिलकर गठबंधन सरकार बनाई है, जिसके बाद वहां कई महीने से जारी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त हो गई। नई सरकार में गठबंधन समझौते के मुताबिक 18 महीने तक नेतन्याहू प्रधानमंत्री इस्राइल के प्रधानमंत्री रहेंगे ,अगले 18 महीने तक बेनी गांत्ज प्रधानमंत्री बनेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर हिब्रू और अंग्रेजी दोनों भषाओं में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को गठबंधन सरकार बनने पर बधाई दी ।

Narendra-modi
पीएम नरेंद्र मोदी ने नेतन्याहू को ट्विटर पर दी  बधाई संदेश


पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मेरे मित्र नेतन्याहू को इस्राइल में पांचवीं बार सरकार बनाने के लिए बधाई।’’
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में आगे कहा, ‘‘मैं आपको और बेनी गांत्ज को शुभकामनाएं देता हूं। भारत-इस्राइल रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए अपकी सरकार के साथ मिलकर काम जारी रखेंगे।

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मंगलवार, 12 मई 2020

आफत में राहत :इंतजार की घड़ी खत्म1200 प्रवासियों की हुई घर वापसी ।। web news।।

Kathgodam-station, utrakhand-news

पहली ट्रैन काठगोदाम पहुँची, प्रवासियों की आस जगी ।।

हल्द्वानी ।। उत्तराखण्ड सरकार के विशेष प्रयासों से कुमांऊ मंडल के कोविड-19 लाॅकडाउन के कारण फंसे 1200 यात्रियों को सूरत गुजरात से लेकर एक विशेष ट्रेन सोमवार रात्रि 11:30 बजे काठगोदाम पहुँची। ट्रेन पहुंचने पर जिलाधिकारी श्री सविन बसंल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मीणा, मुख्य विकास अधिकारी विनीत कुमार तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियोें ने उत्तराखण्ड प्रवासियों का स्वागत किया। आने वाले यात्रियों का मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिह रावत की ओर से जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत तथा संगठन के वरिष्ठ कार्यकर्ताओ द्वारा स्वागत किया गया। अपने घर वापसी होने पर आने वाले यात्रियों के चेहरे पर आत्मसंतोष देखा गया कई यात्रियों की आंखों में खुशी भी देखी गई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री मीणा ने यात्रियों की लाइन लगवाकर तथा सोशल डिस्टेंस मेटेंन करवाया, वांछित व्यवस्थाओें मे रेलवे अधिकारियो ने पूरा सहयोग कियां, ट्रेन से आने वाले यात्रियों को कुमाऊ मण्डल के विभिन्न जनपदों में बसों के माध्यम से भेजे जाने के लिए जिलाधिकारी श्री सविन बंसल द्वारा सभी व्यवस्थायें सुनिश्चित कि गई।

सूरत से विशेष ट्रेन द्वारा 1200 यात्रियों जिसमे से अल्मोड़ा जनपद के 123 ,बागेश्वर के 291, चम्पांवत के 06, पिथौरागढ के 254, उधमसिंह नगर के 16 व नैनीताल जनपद 510 यात्रियों को सकुशल लेकर रेलवे स्टेशन काठगोदाम पहुंची। वहाँ से आगन्तुक यात्रियों को बसों के माध्यम से कुमांऊ के विभिन्न जनपदों में भेजा जायेगा। जिलाधिकारी श्री बंसल ने यात्रियों को उनके जनपदो में भेजने हेतु परिवहन निगम की 46 छोटी तथा बड़ी बसे लगाई। काठगोदाम रेलवे स्टेशन में यात्रियों की सुविधा हेतु पेयजल व्यवस्था के साथ ही, रेलवे स्टेशन मे लाईट व्यवस्था, शौचालय, घोषणा हेतु माईक सैट, स्टेशन के प्रवेश एवं निकास स्थलों मे पर्याप्त नागरिक पुलिस, रेलवे पुलिस बल की तैनाती रही।

रेलवे स्टेशन काठगोदाम से पिथौरागढ, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पांवत, उधमसिंह नगर के यात्रियों को बसों के माध्यम से अन्तर राष्ट्रीय स्टेडियम गौलापार ले जाया गया, जहां पर स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग तथा स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा भोजन, पानी तथा जूस भी स्टेशन पर उपलब्ध कराया गया तथा रहने आदि की व्यवस्था गौलापार स्टेडियम मे की गई। यात्रियों को मगंलवार की प्रातः बसों के माध्यम से उनके गन्तब्य को रवाना किया जायेगा। जब कि जनपद नैनीताल के विभिन्न शहरों ,गाॅवों के यात्रियों को जेसमिन बैकंट हाल बरेली रोड़ हल्द्वानी ले जाया जायेगा, जहां पर उनका थर्मल स्कैनिंग, स्वास्थ्य परीक्षण कर नजदीकी रहने वाले यात्रियों को उनके घरों को पहुंचाया गया, जो यात्री दूरस्थ स्थानों में रहते है,उन्हें मंगलवार प्रातः से वाहनों के माध्यम से घरों को रवाना किया जा रहा है ।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

Corona warrior : कोरोना काल के महायोद्धा बने pm मोदी || web news bharat ||


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कोरोना काल के महायोद्धा बने pm मोदी।।

कोराना के महासंकट से पूरी दुनिया जूझ रही है. गरीब देश हो या अमीर सबको कोराना से लोहा लेना पड़ रहा है। लेकिन इस महायुद्ध में पीएम मोदी ने अपनी अलग छाप छोड़ी है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने कोरोना से युद्व में मोदी को नंबर वन योद्धा माना है. एक अमेरिकी कंपनी मॉर्निंग कंसल्ट ने पीएम मोदी को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे अग्रणी नेता माना है. मॉर्निंग कंसल्ट नाम की ग्लोबल टेक्नोलॉजी और मीडिया कंपनी ने मार्च में एक सर्वे कराया । इस सर्वे में दुनिया ने पीएम मोदी को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा और प्रभावशाली नेता माना है । सर्वे में पीएम मोदी की लोकप्रियता 68 प्रतिशत बताई गई जबकि डोनाल्ड ट्रंप की लोकप्रियता 3 प्रतिशत गिर गई है। अमेरिका की ग्लोबल डेटा इंटेलिजेंस कंपनी मॉर्निंग कनसल्ट पॉलिटिकल इंटेलिजेंस के मुताबिक 14 अप्रैल को पीएम मोदी की रेटिंग 68 प्रतिशत बताई गई है जो कि इस साल की शुरुआत में 62 प्रतिशत थी।

ऐसे हुए पीएम मोदी आगे


पीएम मोदी की रेटिंग में सुधार की वजह कोरोना वायरस से निपटने को लेकर उनकी तैयारी है। उन्होंने जनता जनता कर्फ़्यू से देशवासियों को लॉकडाउन से पहले तैयार किया जरूरत पड़ने पर 25 मार्च को देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी जिसे 14 अप्रैल को 19 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया। वहीं, उन्होंने वैश्विक नेताओं को महामारी से निपटने में एकजुट करने की भी कोशिश की। सार्क देशों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक हो या फिर जी 20 देशों की बैठक कराने के लिए किया जाने वाली पहल।

इन सभी वजहों ने ही मोदी की लोकप्रियता में इजाफा किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने जरूरी दवाइयों के निर्यात से प्रतिबंध हटाते हुए दुनिया के अन्य देशों की मदद की पहल की है जिसे दुनियाभर के देशों ने स्वीकारा भी है।


ट्रंप की रेटिंग में क्यों हुई गिरावट


कोरोना संकट काल से पहले ट्रंप की लोकप्रियता 49 प्रतिशत थी जो कि गिरकर अब 43 प्रतिशत हो गई है। अमेरिका में कोरोना वायरस से अब तक 40 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और ट्रंप प्रशासन आलोचनाओं के केंद्र में है।

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वित्त मंत्री का ट्वीट


वित्त मंत्री ने किया ट्वीट 

वित्त मन्त्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट करके यह जानकारी शेयर की साथ ही खुशी जाहिर करते हुए कुछ ग्राप भी ट्वीट किए जिसमें प्रधानमंत्री का लोकप्रिय का ग्राप तेजी से अन्य राष्ट्राध्यक्षों से ऊपर जाते हुए दर्शया गया ।

रविवार, 12 अप्रैल 2020

Corona virus update : कोरोना का कहर मनुष्यो के लिए बनता जा रहा है जहर ।


कोरोना का कहर भारत , अमेरिका , स्पेन , इटली की स्थिति


Corona virus 


कोरोना वायरस का कहर विश्व में जारी है , ताजे आंकड़े और भी भयानक हो रहे है विश्व में कोरोना पीड़ितों की संख्या लगभग 17 लाख के पार हो गए है हर मिनट कोरोना पीड़ितों की संख्या में तेजी आ रही है ।

world wide corona virus picture

Corona virus update

विश्व
कुल मामले - 1780909
मौत -108852
स्वस्थ हुए- 404497
सक्रिय -1267560

भारत
कुल मामले -8504
मौत -289
स्वस्थ हुए-972
सक्रिय -7243

अमेरिका
कुल मामले -533135
मौत -20580
स्वस्थ हुए-30507
सक्रिय -482033

स्पेन
कुल मामले -163025
मौत -16606
स्वस्थ हुए-59106
सक्रिय -87312

इटली
कुल मामले -152271
मौत -19468
स्वस्थ हुए-32534
सक्रिय -100265