मंगलवार, 25 मार्च 2025
सीएम योगी का निर्देश:गर्मी की छुट्टी के दौरान भी खुलेंगे स्कूल
"सौगात-ए-मोदी" योजना: ईद की ईदी या चुनावी गिफ्ट पैक?
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रमज़ान में राजनीति: "सौगात-ए-मोदी" किट की हकीकत
रमज़ान का पाक महीना चल रहा है और ईद करीब है, लेकिन इस बार चर्चा इबादत और दुआओं से ज्यादा "सौगात-ए-मोदी" योजना को लेकर हो रही है। बीजेपी सरकार ने ऐलान किया है कि वह 32 लाख गरीब मुस्लिम परिवारों को खाने-पीने की वस्तुओं और कपड़ों से भरी किट बांटेगी। इस योजना के तहत 32,000 मस्जिदों से किट का वितरण होगा, जिसमें पार्टी कार्यकर्ता भी शामिल होंगे।
अब सवाल उठता है कि क्या यह "गरीबों की सेवा" है या "चुनावी समीकरण साधने की रणनीति"? आइए इस योजना को विस्तार से समझते हैं।
"सौगात-ए-मोदी" किट में क्या मिलेगा?
BJP सरकार द्वारा वितरित की जाने वाली इस विशेष ईद किट में शामिल हैं:
✅ खाने-पीने की चीजें: चावल, दाल, चीनी, सेवई, खजूर और ड्राई फ्रूट्स
✅ कपड़े: महिलाओं के लिए सूट, पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा
✅ BJP का संदेश: एक पर्चा जिसमें सरकारी योजनाओं की जानकारी होगी
32000 मस्जिदों से किट वितरण: यह सेवा है या चुनावी गणित?
BJP के 32,000 कार्यकर्ता 32 लाख गरीब मुस्लिमों तक यह किट पहुंचाएंगे। लेकिन इससे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है:
✔️ क्या यह मुस्लिम समुदाय को भाजपा से जोड़ने की कोशिश है?
✔️ क्या यह ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नया रूप है या चुनावी मजबूरी?
बीजेपी पहले भी ‘पसमांदा मुस्लिम’ कार्ड खेल चुकी है। अब इस नई योजना से वह क्या पाना चाहती है?
"ईद मिलन समारोह" या "इलेक्शन मिलन समारोह"?
बीजेपी सिर्फ किट नहीं बांट रही, बल्कि हर जिले में "ईद मिलन समारोह" भी आयोजित कर रही है। पार्टी के अनुसार, यह समाज में सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देने का प्रयास है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनावी प्रचार का एक नया तरीका है।
✅ भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी यासिर जिलानी ने खुद माना कि,
"इस पहल का एक मकसद भाजपा और NDA के लिए समर्थन जुटाना भी है।"
क्या "सौगात-ए-मोदी" BJP के लिए वोट बैंक तैयार करेगी?
2024 लोकसभा चुनावों में भाजपा को मुस्लिम वोटों का ज्यादा फायदा नहीं मिला। लेकिन 2025 में होने वाले चुनावों के लिए पार्टी अब नई रणनीति अपना रही है।
👉 क्या यह रणनीति काम करेगी?
👉 क्या मुस्लिम वोटर्स BJP की ओर झुकेंगे?
👉 या यह सिर्फ एक चुनावी स्टंट बनकर रह जाएगी?
निष्कर्ष: "ईद की सौगात" या "वोटों की सौगात"?
"सौगात-ए-मोदी" किट को लेकर राय बंटी हुई है। कुछ इसे गरीबों की सेवा मानते हैं, तो कुछ इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा बताते हैं।
✔️क्या यह ईद का तोहफा है या 2025 चुनावों के लिए निवेश?
✔️क्या यह मुस्लिम समुदाय को BJP के करीब लाने की चाल है?
👉 आपका क्या सोचना है? हमें कमेंट में बताएं!
सोमवार, 24 मार्च 2025
यूसर्क द्वारा उत्तराखंड में "बायोइनफॉर्मेटिक्स फॉर जीनोमिक एनालिसिस 2.0" प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
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Genomic Analysis 2.0: उत्तराखंड में USERC और देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बायोइनफॉर्मेटिक्स प्रशिक्षण वर्कशॉप के प्रतिभागी |
विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) ने देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 24 मार्च 2025 से विश्वविद्यालय परिसर में "हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग ऑन बायोइनफॉर्मेटिक्स फॉर जीनोमिक एनालिसिस 2.0" विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य उच्च शिक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों को आधुनिक बायोइनफॉर्मेटिक्स तकनीकों में दक्ष बनाना है।
कार्यक्रम का उद्घाटन और उद्देश्य
कार्यक्रम का उद्घाटन यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अनीता रावत द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि यूसर्क ने देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर में राज्य का पहला "यूसर्क सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन बायोइनफॉर्मेटिक्स" स्थापित किया था। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इसी केंद्र के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बायोइनफॉर्मेटिक्स न केवल जैव प्रौद्योगिकी और जीवन विज्ञान का भविष्य है, बल्कि यह चिकित्सा अनुसंधान, औषधि विकास और व्यक्तिगत जीनोमिक चिकित्सा के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।
बायोइनफॉर्मेटिक्स का महत्व
प्रोफेसर रावत ने इस अवसर पर बताया कि बायोइनफॉर्मेटिक्स और जीनोमिक एनालिसिस का उपयोग मानव स्वास्थ्य सुधार, दवा विकास, और कृषि क्षेत्र में विशेष रूप से किया जा रहा है। उन्होंने इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों के बीच एक्सपीरिएंशियल लर्निंग (अनुभव आधारित शिक्षण) को बढ़ावा देना बताया। यह कार्यक्रम छात्रों और शोधकर्ताओं को उन्नत जैव सूचना विज्ञान तकनीकों में दक्षता प्राप्त करने में मदद करेगा।
प्रतिभागियों और संस्थानों की सहभागिता
इस कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के 25 छात्र-छात्राएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। प्रतिभागी संस्थानों में प्रमुख रूप से श्री देव सुमन विश्वविद्यालय ऋषिकेश परिसर, राजकीय महाविद्यालय डोईवाला, और देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के छात्र शामिल हैं।
विशेष अतिथियों के विचार
कार्यक्रम में देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर प्रीति कोठियाल ने यूसर्क द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डॉ. रितिका मेहरा, रजिस्ट्रार जनरल ओ. पी. सोनी, डीन रिसर्च एंड इनोवेशन डॉ. नवील अहमद, डॉ. निर्जरा सिंघवी, और अन्य शिक्षकों सहित 50 से अधिक लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
यह भी पढ़ें - मसूरी में ‘लिव इन यूके’ का मुहूर्त: UCC पर नई बहस की शुरुआत?
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को बायोइनफॉर्मेटिक्स के क्षेत्र में गहराई से समझ विकसित करने और व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है। भविष्य में भी यूसर्क इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को नवीनतम तकनीकों से जोड़ने का कार्य करता रहेगा।
शनिवार, 22 मार्च 2025
मसूरी में ‘लिव इन यूके’ का मुहूर्त: UCC पर नई बहस की शुरुआत?
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उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप और यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर आधारित पहली फिल्म ‘लिव इन यूके’ का मुहूर्त मसूरी में हुआ। फिल्म के निर्देशक प्रदीप भंडारी ने इस मौके पर UCC के प्रभाव और सामाजिक बदलावों को लेकर चिंता जताई।
"ये नया कानून उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति पर असर डाल सकता है," भंडारी ने कहा। उन्होंने बताया कि इस फिल्म के जरिए वह लोगों और सरकार तक एक संदेश पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
UCC लागू होने के बाद क्या बदला?
उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया, जिसके तहत विवाह, तलाक, विरासत और लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी गई है। कई लोगों का मानना है कि देवभूमि की संस्कृति में यह एक बड़ा बदलाव है।
निर्देशक प्रदीप भंडारी ने कहा,
"समाज और संस्कृति के हर बदलाव को स्वीकार करना जरूरी नहीं, बल्कि उसे समझना और उस पर चर्चा करना भी उतना ही जरूरी है।"
‘लिव इन यूके’ का असली मकसद क्या है?
यह कोई मसाला फिल्म नहीं, बल्कि समाज को सोचने पर मजबूर करने वाली कहानी है। फिल्म के जरिए UCC और लिव इन रिलेशनशिप के वास्तविक प्रभावों को दिखाने की कोशिश की जाएगी।
प्रदीप भंडारी बताते हैं,
"यह फिल्म बदलाव के नाम पर हो रहे सामाजिक टकराव को दिखाने का प्रयास है। यह समझने की जरूरत है कि क्या यह कानून हमारे समाज के लिए सही है या नहीं?"
यह भी पढे - देहरादून में 'MR. CHARAN' फिल्म का ग्रैंड प्रीमियर, दर्शकों ने जमकर सराहा!
फिल्म की शूटिंग कहां होगी?
फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में की जाएगी, जिनमें देहरादून, मसूरी और टिहरी शामिल हैं। फिल्म के प्रमुख कलाकार इस प्रकार हैं:
- राजेश नौगांई
- बिनीता नेगी
- वसंत घिल्डियाल
- आदिति चौहान
- राम रवि
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी नागेंद्र प्रसाद संभाल रहे हैं और एसोसिएट डायरेक्टर दीपक रावत हैं।
मुहूर्त शॉट पर कौन-कौन रहा मौजूद?
फिल्म के मुहूर्त शॉट के दौरान कई चर्चित चेहरे और फिल्मी हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें शामिल हैं:
- बिनीता नेगी
- आदिति चौहान
- विकेश बाबू
- राम रवि
- नागेंद्र प्रसाद
- दीपक रावत
- नितेश भट्ट
- रवि राणा
- गुड्डी कैंतुरा
- कमलेश भंडारी
- जितेंद्र कैंतुरा
क्या यह फिल्म UCC पर बहस को नई दिशा देगी?
‘लिव इन यूके’ केवल एक फिल्म नहीं बल्कि एक विचारधारा को प्रस्तुत करने का प्रयास है। यह दिखाएगी कि कैसे एक नया कानून समाज की पुरानी मान्यताओं को प्रभावित कर सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि यह फिल्म समाज पर क्या प्रभाव डालती है और UCC पर चल रही बहस को किस दिशा में मोड़ती है।
यहां देखें इस खास मौके का वीडियो:
बुधवार, 19 मार्च 2025
"जन जागरण अभियान समिति का 'अद्भुत सेवा सम्मान' समारोह | Uttarakhand News |
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"जन जागरण अभियान समिति द्वारा 'अद्भुत सेवा सम्मान' में फिल्म विधा से जुड़े व्यक्तियों का सम्मान |
देहरादून, 19 मार्च 2025: सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाला प्रभावशाली उपकरण भी है। इसी भावना को सम्मान देते हुए जन जागरण समिति ने फिल्म विधा से जुड़े व्यक्तियों को "अद्भुत प्रतिभा सम्मान" से नवाजा। राजधानी देहरादून के करनपुर स्थित जन जागरण समिति कार्यालय में आयोजित इस गरिमामयी समारोह में फिल्म अभिनेता और निर्देशक धनंजय कुकरेती तथा फिल्मकार हेमेंद्र मलिक को सम्मानित किया गया।
समारोह की झलक: जब कला का सम्मान हुआ
इस कार्यक्रम में जन जागरण समिति के अध्यक्ष स्वप्निल सिन्हा ने फिल्म विधा में उल्लेखनीय योगदान देने वाली इन प्रतिभाओं को सम्मानित किया। समिति के उपाध्यक्ष प्रमोद बेलवाल ने अपने संबोधन में कहा,
"समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पहचान देना हमारी समिति का कर्तव्य है। हम समय-समय पर ऐसी विभूतियों को सम्मानित करते हैं और आगे भी इस परंपरा को जारी रखेंगे।"
धनंजय कुकरेती, जो फिल्म अभिनेता और निर्देशक दोनों ही भूमिकाओं में अपनी पहचान बना चुके हैं, ने सम्मान प्राप्त करने के बाद अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा,
"यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि उन सभी लोगों का है जो सिनेमा के माध्यम से समाज को एक नई सोच देने का प्रयास कर रहे हैं। जब आपके काम को पहचान मिलती है, तो आगे और बेहतर करने की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। मैं समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सभी पदाधिकारियों का दिल से धन्यवाद करता हूं।"
सिनेमा का समाज पर प्रभाव
सिनेमा केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम भी है। धनंजय कुकरेती और हेमेंद्र मलिक जैसे कलाकार अपने सृजनात्मक कार्यों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे में जन जागरण समिति द्वारा किया गया यह सम्मान समाज में कला और सिनेमा के महत्व को और भी अधिक बढ़ावा देने का कार्य करेगा।
सम्मान समारोह में रही विशिष्ट उपस्थिति
इस अवसर पर समिति के अन्य प्रमुख सदस्य भी उपस्थित रहे, जिनमें सचिव विवेक श्रीवास्तव, सहसचिव विजय शुक्ला, और अथर्व कुकरेती प्रमुख रूप से शामिल थे। कार्यक्रम में शामिल सभी गणमान्य व्यक्तियों ने सम्मानित कलाकारों को शुभकामनाएं दीं और सिनेमा के प्रति उनके योगदान की सराहना की।
समाज में रचनात्मकता को मिलेगा बढ़ावा
ऐसे सम्मान समारोह न केवल कलाकारों को प्रेरित करते हैं, बल्कि समाज में सृजनात्मकता को भी बढ़ावा देते हैं। जब किसी कलाकार की मेहनत और प्रतिभा को सार्वजनिक रूप से सराहा जाता है, तो इससे अन्य उभरते कलाकारों को भी प्रोत्साहन मिलता है। जन जागरण समिति की यह पहल निश्चय ही सिनेमा और सामाजिक योगदान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानी जाएगी।
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मंगलवार, 18 मार्च 2025
वनाग्नि नियंत्रण: पिथौरागढ़ में वन विभाग की तकनीकी कार्यशाला, Forest Fire Mobile App की जानकारी
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"पिथौरागढ़ में वनाग्नि रोकथाम कार्यशाला के दौरान वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी।" |
पिथौरागढ़, उत्तराखंड – वनाग्नि रोकथाम और सुरक्षा उपायों को लेकर पिथौरागढ़ वन प्रभाग में एक दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
वन सुरक्षा और आग रोकथाम के प्रयास
कार्यशाला की अध्यक्षता प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह ने की। उन्होंने बताया कि वनाग्नि नियंत्रण को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ग्रामीण स्तर, विद्यालयों और विकासखंड स्तर पर गोष्ठियों के माध्यम से लोगों को जंगलों में आग न लगाने के प्रति सचेत किया जा रहा है।
वन क्षेत्राधिकारी बेरिनाग और चंपावत ने वनों में आग लगने के दुष्प्रभाव और वन संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदमों पर जानकारी दी। पंचायत स्तर पर महिला मंगल दलों और वन पंचायतों को वनाग्नि रोकने के लिए सहयोग करने का निर्देश दिया गया।
Forest Fire Mobile App से मिलेगी त्वरित सूचना
तकनीकी सत्र के दौरान पंकज रतूड़ी ने 'Forest Fire Mobile App' की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस ऐप के माध्यम से वनाग्नि घटनाओं की तुरंत सूचना दी जा सकती है, जिससे समय पर आवश्यक कदम उठाकर जंगलों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
आपातकालीन संचार प्रणाली को मजबूत करने की पहल
कार्यशाला में वायरलेस तकनीकी विशेषज्ञ उपेंद्र गोयल ने वन विभाग की आपातकालीन संचार प्रणाली को मजबूत करने के लिए वायरलेस तकनीकों की जानकारी दी।
वनाग्नि रोकथाम के लिए जन जागरूकता आवश्यक
सेवानिवृत्त वन क्षेत्राधिकारी दिनकर जोशी ने जनता को आग के प्रति जागरूक करने और वनाग्नि रोकथाम में सकारात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रशिक्षण प्रमाणपत्र प्रदान कर किया गया सम्मानित
कार्यक्रम के अंत में गंगोत्री कौशल विकास एवं उत्थान समिति के अध्यक्ष रमेश खत्री द्वारा कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लेने और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को चिन्हित कर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
सोमवार, 17 मार्च 2025
देहरादून में 'MR. CHARAN' फिल्म का ग्रैंड प्रीमियर, दर्शकों ने जमकर सराहा!
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देहरादून में 'MR. CHARAN' फिल्म का प्रीमियर |
17 मार्च 2025 | देहरादून
'MR. CHARAN' फिल्म का भव्य प्रीमियर देहरादून में आयोजित
बहुप्रतीक्षित फिल्म 'MR. CHARAN' का भव्य प्रीमियर देहरादून के दून लाइब्रेरी में 17 मार्च 2025 को दोपहर 2 बजे आयोजित किया गया। इस इवेंट में फिल्म के कलाकारों और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई सम्मानित लोग शामिल हुए।
फिल्म का निर्देशन और निर्माण
इस फिल्म का निर्देशन श्री धनंजय कुकरेती ने किया है और इसे मा प्रकृति फाउंडेशन द्वारा प्रोड्यूस किया गया है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और निर्देशन को दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया।
फिल्म के प्रमुख कलाकार
धनंजय कुकरेती, अर्चना मिधा, कुलदीप उपाध्याय (केडी), प्रदीप अरोड़ा, उषा लाल, ऋतिका सकलानी, रणजीत बर्तवाल, शोभा गुसाईं, क्षितिज सक्सेना, राहुल सक्सेना, अभिषेक गुप्ता, आचार्य वार्षा माता, सुंदर महरा, निशा, विनोद, तन्नू पोखरियाल।
फिल्म की कहानी
'MR. CHARAN' एक प्रेरणादायक कहानी है, जो चरण सिंह नामक एक युवा की जीवन-यात्रा को दर्शाती है। चरण सिंह पंजाब के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मा लड़का है, जिसका पिता एक सेना अधिकारी हैं और माँ एक शिक्षिका। उसके जीवन में संघर्ष, सपने और आत्म-सम्मान की तलाश है।
चरण का बचपन एक अनुशासनप्रिय और मूल्यों से भरपूर वातावरण में बीतता है। लेकिन जब वह किशोरावस्था में प्रवेश करता है, तो उसकी ज़िंदगी में कई अप्रत्याशित घटनाएँ घटती हैं, जिससे उसकी दुनिया पूरी तरह बदल जाती है। उसे कई ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं जो उसके भविष्य को आकार देते हैं।
फिल्म में चरण की कठिनाइयों, उसके आत्म-संघर्ष और समाज द्वारा लगाए गए दबावों को खूबसूरती से चित्रित किया गया है। वह अपने सपनों और परिवार के दायित्वों के बीच फंसा हुआ है। उसकी यात्रा सिर्फ एक साधारण व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक ऐसे किरदार की है, जो खुद की पहचान को लेकर संघर्ष करता है और अपनी राह खुद बनाता है।
फिल्म दिखाती है कि किस तरह चरण सिंह साहस, आत्मसम्मान और संघर्ष के बल पर खुद को साबित करता है। हर दृश्य में उसके जीवन के संघर्ष और उसकी जीत को भावनात्मक रूप से उकेरा गया है, जिससे दर्शक उसकी कहानी से गहराई से जुड़ाव महसूस करेंगे।
फिल्म की रिलीज़
फिल्म के मेकर्स के अनुसार, 'MR. CHARAN' को जल्द ही भारतभर के सिनेमाघरों और ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज़ किया जाएगा। हालांकि, इसकी आधिकारिक रिलीज़ डेट अभी घोषित नहीं की गई है।
क्या आप इस फिल्म को देखने के लिए उत्साहित हैं? अपनी राय नीचे कमेंट में दें
शनिवार, 15 मार्च 2025
फूलदेई: उत्तराखंड का प्रकृति प्रेम से जुड़ा पर्व | Phooldei Festival in Uttarakhand
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उत्तराखंड में बसंत ऋतु के आगमन पर फूलदेई पर्व मनाने की तैयारी मे सजे पहाड़ । |
उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत में कई अद्भुत पर्व और त्योहार हैं, जो न केवल प्रकृति से जुड़ाव दर्शाते हैं, बल्कि समाज में मेलजोल और प्रेम को भी बढ़ावा देते हैं। इन्हीं में से एक है फूलदेई, जो बसंत ऋतु के स्वागत में मनाया जाता है। यह पर्व खासतौर पर बच्चों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है, जहाँ वे ताजे फूलों को एकत्र कर घर-घर जाकर शुभकामनाएँ देते हैं। इस त्योहार की जड़ें इतिहास, लोककथाओं और परंपराओं में गहराई से समाई हुई हैं।
फूलदेई का इतिहास और महत्व
फूलदेई पर्व का संबंध उत्तराखंड की प्राचीन कृषि परंपराओं और प्रकृति पूजन से है। यह त्योहार वर्ष के उस समय आता है, जब पहाड़ों में बसंत ऋतु दस्तक देती है, बर्फ पिघलती है, और जंगलों में रंग-बिरंगे फूल खिलने लगते हैं।
ऐतिहासिक रूप से, यह पर्व स्थानीय देवी-देवताओं को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि अगर घरों की देहरी पर फूल अर्पित किए जाएँ और मंगल गीत गाए जाएँ, तो परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसे देवी पार्वती और भगवान शिव के आशीर्वाद से भी जोड़ा जाता है, क्योंकि हिमालय पार्वती का मायका माना जाता है।
फूलदेई से जुड़ी लोककथाएँ और किवदंतियाँ
1. फूलों की देवी का आशीर्वाद
एक पुरानी लोककथा के अनुसार, किसी समय उत्तराखंड के एक गाँव में भीषण अकाल पड़ा। न फसल उग रही थी, न बारिश हो रही थी। एक दिन, गाँव के एक बच्चे को स्वप्न आया कि यदि वे जंगलों से ताजे फूल लाकर घर-घर सजाएँ और देवी से प्रार्थना करें, तो गाँव में खुशहाली लौट आएगी।
गाँव के सभी बच्चों ने इस परंपरा को अपनाया, और कुछ ही दिनों में बारिश शुरू हो गई, जिससे फसलें फिर से हरी-भरी हो गईं। तभी से फूलदेई पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।
2. राजकुमारी की मनोकामना और फूलदेई
एक अन्य लोककथा के अनुसार, हिमालय की तलहटी में बसे एक राज्य की राजकुमारी बहुत दयालु थी। उसने एक साधु से सुना कि यदि बसंत ऋतु में बच्चे फूलों को घर-घर सजाएँ और देवी को समर्पित करें, तो राज्य में कभी कोई संकट नहीं आएगा।
राजकुमारी ने यह परंपरा शुरू की, और धीरे-धीरे यह पूरे उत्तराखंड में लोकप्रिय हो गई। आज भी यह पर्व बच्चों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
फूलदेई की परंपराएँ और उत्सव
फूलदेई पर्व के दिन सुबह-सुबह बच्चे जंगलों और बगीचों से ताजे फूल इकट्ठा करते हैं। वे इन फूलों को थालियों में सजाकर गाँव या कस्बे के हर घर के दरवाजे पर रखते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं। इस दौरान पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं, जिनमें सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। घर के लोग बच्चों को मिठाई, गुड़, चावल, या पैसे देकर आशीर्वाद देते हैं।
पारंपरिक फूलदेई गीत:
"फूल देई, फूल देई,
घर द्वार भर देई।
देवी देवता आशीष दे,
सुख समृद्धि से घर महके।"
यह पर्व केवल बच्चों का नहीं, बल्कि पूरे समाज का उत्सव है। इस दिन परिवार अपने घरों की सफाई करते हैं, आंगन में फूल सजाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा करते हैं।
फूलदेई का आधुनिक रूप
आज के दौर में जब शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, फूलदेई जैसी परंपराएँ गाँवों तक ही सीमित होती जा रही हैं। हालाँकि, उत्तराखंड में अब भी यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। राज्य के सांस्कृतिक संगठनों और विद्यालयों में भी इसे बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी रह सके।
फूलदेई पर्व न केवल प्रकृति से प्रेम और सामुदायिक सौहार्द्र का संदेश देता है, बल्कि यह हमें हमारी संस्कृति की अनमोल धरोहर से भी जोड़े रखता है।
फूलदेई केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा देने का पर्व है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें अपने पर्यावरण को संजोना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को इसकी महत्ता बतानी चाहिए। उत्तराखंड की यह परंपरा हमारे समाज की एक अनमोल धरोहर है, जिसे बचाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।
"आओ मिलकर फूलदेई मनाएँ, प्रकृति और संस्कृति से जुड़ाव बढ़ाएँ!"
रविवार, 9 मार्च 2025
महिला सशक्तिकरण की मिसाल बना सखा क्लब का ‘महिला सम्मान कार्यक्रम’
देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सखा क्लब द्वारा एक भव्य ‘महिला सम्मान कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया। इस मौके पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया।
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आंगनवाड़ी अध्यक्षा रेखा नेगी और नन्हीं आशाएं चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष नेहा शर्मा मौजूद रहीं। इसके अलावा, उत्तराखंड आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता मनोज ध्यानी और वार्ड नंबर 74, ब्रह्मपुरी के पार्षद सतीश कश्यप भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
महिला शक्ति को सम्मान
उत्तराखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाली आशा नौटियाल, तारा पांडे, सुलोचना मेंडोलिया और सुलोचना बिष्ट को विशेष सम्मान दिया गया। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता जीनत और शाइना की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक प्रेरणादायक बना दिया।
सखा क्लब का नेतृत्व और आयोजन
कार्यक्रम का सफल आयोजन सखा क्लब के अध्यक्ष देव सिंह चौहान, सचिव मधुर माथुर, उपाध्यक्ष नरेश कुमार प्रजापति, उपसचिव संगीता नेगी, कोषाध्यक्ष मनोज कुमार और कार्यक्रम अध्यक्ष सिमरन ठाकुर के नेतृत्व में किया गया।
महिलाओं की भागीदारी और प्रेरणादायक संबोधन
इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाओं और बालिकाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन पूरी तरह से महिला सदस्यों द्वारा किया गया, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा मिला।
मुख्य अतिथियों ने महिला सशक्तिकरण, समाज में महिलाओं की भूमिका और उनके अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सशक्त महिलाएं ही एक मजबूत समाज की नींव रखती हैं।
संवाद और प्रेरणा का मंच
यह आयोजन न केवल सम्मान का अवसर था, बल्कि यह एक संवाद मंच भी बना, जहां महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए और एक-दूसरे को प्रेरित करने का संकल्प लिया।
सखा क्लब द्वारा किया गया यह प्रयास महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ।
बुधवार, 5 मार्च 2025
देहरादून के डॉक्टरों को मिला 'होम्योपैथी पुरोधा सम्मान 2025'
सम्मान समारोह में रही दिग्गज हस्तियों की मौजूदगी
इस सम्मान समारोह में कई प्रसिद्ध हस्तियां शामिल हुईं। बॉलीवुड अभिनेता आशीष विद्यार्थी, अभिनेत्री मंदिरा बेदी और प्रसिद्ध गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला ने डॉक्टरों को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि:
- श्री नितिन गडकरी (केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री)
- श्री अश्विनी चौबे (केंद्रीय राज्य मंत्री)
- श्री लल्लन सिंह (केंद्रीय राज्य मंत्री)
- श्री मनोज तिवारी (सांसद, दिल्ली)
- श्री राजेश वर्मा (सांसद, बिहार)
- श्री अरुण भारती (सांसद)
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बर्नेट होम्योपैथी के एम.डी. डॉ. नीतीश दुबे ने की।
डॉ. शैलेन्द्र कौशिक और डॉ. सृष्टि पंवार का योगदान
डॉ. शैलेन्द्र कौशिक और डॉ. सृष्टि पंवार होम्योपैथिक चिकित्सा के क्षेत्र में लंबे समय से उत्कृष्ट योगदान दे रहे हैं। अपने अनुभव और समर्पण से उन्होंने सैकड़ों मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। होम्योपैथी चिकित्सा को आगे बढ़ाने और समाज में इसकी प्रभावशीलता को मजबूत करने के लिए उनके प्रयासों की सराहना की गई।
सम्मान मिलने पर डॉक्टरों की प्रतिक्रिया
🗣 "यह सम्मान न केवल हमारा, बल्कि पूरे होम्योपैथिक चिकित्सा क्षेत्र का सम्मान है। हम अपने मरीजों की सेवा के लिए हमेशा समर्पित रहेंगे और होम्योपैथी को एक प्रभावी चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।"
होम्योपैथी चिकित्सा के प्रति बढ़ती जागरूकता
आजकल होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को लोग तेजी से अपना रहे हैं। यह न केवल एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते। भारत में होम्योपैथी का विस्तार तेजी से हो रहा है और इसे एक प्रभावी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता मिल रही है।
'होम्योपैथी पुरोधा सम्मान 2025' का आयोजन उन चिकित्सकों को पहचान और प्रोत्साहन देने के लिए किया गया था जो होम्योपैथी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। डॉ. शैलेन्द्र कौशिक और डॉ. सृष्टि पंवार को यह सम्मान मिलना पूरे देहरादून के लिए गर्व की बात है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना है, बल्कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को एक नई ऊंचाई तक ले जाने का संकेत भी है
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रविवार, 2 मार्च 2025
माणा हिमस्खलन रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा - 46 श्रमिक बचाए गए, 8 की मौत
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चमोली जिले के माणा क्षेत्र में 28 फरवरी को हुए हिमस्खलन में फंसे श्रमिकों के लिए चलाया गया सर्च और रेस्क्यू अभियान सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। इस आपदा में कुल 54 श्रमिक प्रभावित हुए, जिनमें से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, जबकि दुर्भाग्यवश 8 श्रमिकों की मृत्यु हो गई।
मुख्यमंत्री ने रेस्क्यू टीमों की सराहना की
घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण
- हिमस्खलन में फंसे कुल श्रमिक – 54
- सुरक्षित बचाए गए श्रमिक – 46
- मृतक श्रमिक – 8
- जोशीमठ में उपचाराधीन श्रमिक – 44
- एम्स ऋषिकेश में उपचाराधीन श्रमिक – 2
युद्धस्तर पर संचालित रेस्क्यू अभियान
- सुरक्षित निकाले गए 46 श्रमिकों में से 44 को ज्योतिर्मठ स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी स्थिति सामान्य है और उचित चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।
- 2 श्रमिकों का एम्स ऋषिकेश में इलाज चल रहा है और वे स्वस्थ हो रहे हैं।
- 7 मृतकों का पोस्टमार्टम कर पार्थिव शरीर उनके परिजनों को सौंप दिया गया।
रेस्क्यू अभियान में आधुनिक तकनीकों का उपयोग
- GPR (Ground Penetrating Radar) को जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से एमआई-17 हेलीकॉप्टर द्वारा घटनास्थल पर भेजा गया।
- एनडीआरएफ ने थर्मल इमेजिंग कैमरा, विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, रोटरी रेस्क्यू सॉ, एवलांच रॉड और डॉग स्क्वाड की सहायता से रेस्क्यू अभियान को तेज किया।
- एसडीआरएफ और यूएसडीएमए ने भी अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग कर श्रमिकों की खोज में सहयोग दिया।
- वायु सेना और राज्य सरकार के हेलीकॉप्टरों ने राहत एवं बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।